सोनीपत में तहसीलदार-कानूनगो समेत 5 अफसर फंसे:ITI चौक के पास सरकारी जमीन पर किया खेल; सरकार को करोड़ों का नुकसान, 11 पर FIR

  1. Home
  2. HARYANA
  3. SONIPAT

सोनीपत में तहसीलदार-कानूनगो समेत 5 अफसर फंसे:ITI चौक के पास सरकारी जमीन पर किया खेल; सरकार को करोड़ों का नुकसान, 11 पर FIR

सोनीपत में तहसीलदार-कानूनगो समेत 5 अफसर फंसे:ITI चौक के पास सरकारी जमीन पर किया खेल; सरकार को करोड़ों का नुकसान, 11 पर FIR


(k9 media)हरियाणा के सोनीपत में भू माफियाओं, तहसीलदार और नगर निगम के अधिकारियों में बड़े गठजोड़ का खुलासा हुआ है। इनकी मिलीभगत से करीब 3 हजार गज शहरी क्षेत्र की सरकारी जमीन को कब्जा करके कृषि योग्य भूमि दिखाकर औने पौने दामों में रजिस्ट्री कर दी गई। सरकार के हाथ से जमीन तो गई ही, साथ में जमीन की रजिस्ट्री में 5-6 करोड़ का नुकसान हुआ। खास बात है कि पहले जमीन की रजिस्ट्री कृषि योग्य भूमि बता कर की गई। फिर एक महीने में टुकड़ों में 10 रजिस्ट्री रिहायशी क्षेत्र बताकर की गई और एक रजिस्ट्री कॉमर्शियल एरिया बताकर की गई।

वर्तमान में 7 हिस्सों में विभाजित 3 हजार गज की जमीन बिक्री के इस गौरखधंधें में थाना सिविल लाइन पुलिस ने CM फ्लाइंग के SI सुनील कुमार के बयान पर तत्कालीन तहसीलदार विकास, पटवारी राजेंद्र, कानूनगो सुरेश कुमार, नगर निगम के सहायक अभियंता देवेंद्र और नायब तहसीलदार बलवान सिंह समेत 11 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। तहसीलदार पर खुद खड़े होकर अपनी देखरेख में जमीन की रजिस्ट्री कराने के आरोप हैं। यह जमीन सरकार की है। एक परिवार ने कब्जा करके अपने नाम करा लिया।

यह है विवादित जमीन की लोकेशन

विवादित जमीन सोनीपत शहर में ITI चौक के पास मुख्य सड़क पर है। दिसंबर.2004 में इसके आसपास की कॉलोनी को अधिकृत कॉलोनी में बदला जा चुका था। इस जमीन के पूर्व में दुकानें और ITI चौक है। दक्षिण में मुख्य सडक व बोस्टल जेल, उद्योग हैं और पश्चिम में PWD का ऑफिस व औद्योगिक क्षेत्र है। उत्तर में रिहायशी मकान, दुकानें हैं। नगर निगम सोनीपत के सम्पति कर रिकार्ड में वर्ष 2016-17 व 2020-21 के अनुसार यह जमीन खाली कॉमर्शियल प्लाट अंकित है तथा वर्ष 2004 से अधिकृत कालोनी में है।

कलेक्टर रेट में घालमेल

तहसील सोनीपत के शहरी क्षेत्र के कलेक्टर रेट की लिस्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ हुआ है कि सड़क के दोनों तरफ 100 फुट की गहराई तक कॉमर्शियल जगह होगी। यह व्यवसायिक जगह है। यहां का व्यवसायिक रेट वर्ष 2020 मे 17 हजार रुपए गज और रिहायशी रेट 12 हजार रुपए गज था। जमीन की बाजारी कीमत इससे काफी ज्यादा है। किन्तु जब रजिस्ट्री संख्या 2709 कराई गई तो वह मात्र 4 हजार 843 रुपए गज के हिसाब से ही करा दी। सरकार को इससे 5 से 6 करोड़ रुपए के राजस्व का चूना लगा।

सीएम फ्लाइंग ने जांच में पाया कि इस व्यवसायिक, रिहायशी कस्टोडियन जगह को रेवेन्यू व नगर निगम विभाग के अधिकारियों ने कुछ भू माफियाओं के साथ मिल कर सुनियोजित तरीके से रिकॉर्ड के अनुसार कृषि भूमि दिखा कर अंतरण/ रजिस्ट्रीकृत करके नियमों की अनदेखी कर निजस्वार्थ में अनुचित लाभ कमाने की नियत से सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपए की अनुचित हानि पहुंचाई है।

वर्ष 2014 में लाभार्थी द्वारा जब रेवेन्यू अधिकारी को रेजिस्ट्रेशन अपने पक्ष में करवाने के लिए आवेदन किया गया था तब इस विवादित जमीन का अन्तरण तहसीलदार बिक्री द्वारा 2020 में एक पटवारी द्वारा नियमों के खिलाफ मनमाने तरीके से बिना किसी मापदंड के भू माफियाओं के साथ मिल कर कराए मूल्यांकन के आधार पर मौका निरीक्षण करने के बावजूद इसे कृषि भूमि दिखा कर मात्र 2 करोड़ 30 लाख रुपए के हिसाब से कर दिया। जबकि जमीन की बाज़ारी कीमत तकरीबन 17 करोड़ रुपए थी।

CM फ्लाइंग ने की गुप्त जांच

पुलिस को सौंपी जांच रिपोर्ट में CM फ्लाइंग ने बताया कि गुप्त जांच के दौरान पाया गया कि इस विवादित 3 हजार गज जमीन की रजिस्ट्री संख्या 2709 दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को रामचंद्र व मामन पुत्र रामदिया, ओमी पुत्री रामदिया तथा सतबीर व रणधीर पुत्र जागेराम वासीयान कबीरपुर के नाम हरियाणा निष्क्रान्त सम्पति ( प्रबन्धन तथा निपटान ) नियम 2011 के नियम 8 (1) का हवाला देकर सरकार की तरफ से सचेत क्लर्क कार्यालय तहसीलदार बिक्री ने खड़े होकर कराई।

इस रेट में हुई जमीन की रजिस्ट्री

बताया गया है कि यह विवादित रजिस्ट्री करीब 3 हजार गज की कृषि भूमि रेट पर 1 करोड़ 45 लाख 30 हजार रुपए में करीब 4843 रुपए प्रति गज के हिसाब से कराई गई। जबकि यह विवादित जमीन नगर निगम सोनीपत के अन्दर शहर में ITI चौक के पास मुख्य सड़क पर है। इसकी मुख्य सड़क पर चौड़ाई करीब 225 फुट व गहराई 120 फुट है। यह विवादित जमीन सुजान सिंह पार्क एक्सटेंशन / शंकर कालोनी सोनीपत में स्थित है और यह कालोनी वर्ष 2004 में सुजान सिंह पार्क एक्सटेंशन के नाम से अधिकृत कालोनी बनी थी।

एक महीने बाद ही टुकड़ों में रजिस्ट्री

विवादित जमीन का मालिक बनने के साथ ही हरेंद्र सैनी, रामचंद्र, मामन, सतबीर, ओमी, रणधीर आदि ने एक महीने बाद ही इस जमीन को रिसेल करना शुरू कर दिया। रिसेल में रजिस्ट्री संख्या 4090 दिनांक 12 नवंबर 2020 में रामचंद्र ने शशी मिगलानी के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 4645 दिनांक 1 दिसंबर 2020 ओमी व सतबीर ने अनीता के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 4647 दिनांक 1 दिसंबर 2020 को ओमी ने मिनू जैन के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 4648 दिनांक 1 दिसंबर 2020 को ओमी ने अन्जू जैन के नाम रिहायशी प्लाट दिखाकर कराइ्र गई।

इसी प्रकार रजिस्ट्री संख्या 4671 दिनांक 17 नवंबर 2020 को मामन ने सरला देवी के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 7129 दिनांक 8 फरवरी 2021 सतबीर ने प्रकाशी देवी के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 6561 दिनांक 28 सितंबर 2021 को रणधीर ने सन्तोष, बिजेन्द्र के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 919 दिनांक 22 अप्रैल 2021 को सतबीर ने बिमला सैनी के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 921 दिनांक 22 अप्रैल 2021 को सतबीर व रणधीर ने शकुंतला के नाम रिहायशी प्लाट, रजिस्ट्री संख्या 925 दिनांक 22 अप्रैल 2021 को सतबीर व अन्जू जैन ने निधी व मोहिनी के नाम रिहायशी प्लाट की करवाई।

यहां भी हुआ खेल

जांच रिपोर्ट के अनुसार सभी रजिस्ट्री रिहायशी प्लाटों की 12 हजार रुपए प्रति गज के हिसाब से करवाई गई है। जमीन बेचे जाने से एक महीना पहले यह जमीन इन्होंने कृषि भूमि दिखाकर मात्र 4 हजार 843 रुपए गज के हिसाब से ली थी। अब वर्ष 2022 में रजिस्ट्री नंबर 13681 दिनांक 24 मार्च 2022 को रणधीर व सरला देवी ने निधी सैनी के नाम कॉमर्शियल प्लाट व रजिस्ट्री नंबर 13682 दिनांक 24 मार्च 2022 को रणधीर व सरला देवी ने राजरानी के नाम कॉमर्शियल प्लाट की रजिस्ट्री 20 हजार रुपए प्रति गज के हिसाब से करवाई है।

स्पष्ट है कि जब सरकार की तरफ से रजिस्ट्री नंबर 2709 दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को करवाई गई। उस वक्त जमीन कृषि भूमि थी। एक माह बाद इसी जमीन की 10 रजिस्ट्री रिहायशी प्लाट की करवा दी और अब 2 रजिस्ट्री कॉमर्शियल प्लाट की करवा दी हैं। चौंकाने वाली बात है कि रजिस्ट्री संख्या 4647 की मालिक मीनू जैन ने भी नगर निगम सोनीपत में कॉमर्शियल रेट के पैसे भरकर शोरूम बनाया है। यानी इसी जमीन में से रिसेल में 3 रजिस्ट्री कॉमर्शियल प्लाट की हो गई हैं। इससे भी इस बात की पुष्टि होती है कि यह जमीन कॉमर्शियल भूमि है।

2018 में जमीन सरकार को मिली थी

3 हजार गज की विवादित जमीन को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में रामचन्द्र , सतबीर वगैराह ने जमीन पर कब्जे के लिए केस डाला था। सरकार ने इनके खिलाफ RSA 1891 of 1994 इनकी Adverse Possession के खिलाफ रिट डाली हुई थी, जो पेंडिंग चल रही थी। इस पर हाइकोर्ट ने 5 अक्टूबर 2018 को फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इस जमीन पर सतबीर व रामचंद्र आदि का अवैध कब्जा माना। जमीन सरकार की बताई गई। तहसीलदार आदि ने इसको छीपा कर इस सरकारी जमीन को सतबीर व रामचंद्र के नाम बता दिया। इन्होंने जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम होते ही आगे बेचना शुरू कर दिया।

गलत तरीके से कब्जा बताया

जांच में सामने आया कि 20 मई 2020 को हलका पटवारी राजेन्द्र सिंह ने तहसीलदार बिक्री कार्यालय के पत्र के बाद मौके पर जाकर जमीन का निरीक्षण किया। जमाबन्दी 1963-64 खेवट नंबर 311 खाता नंबर 552 खाता नंबर 5 (कास्तकार) में रामदिया पुत्र शिवनाथ 1/2 भाग और जागेराम पुत्र नेकी 1/2 भाग दर्ज होने पर इनका कब्जा माना। जमाबंदी वर्ष 2018-19 तक भी इनका नाम दर्ज है, जबकि रामदिया की मौत 1981 और जागेराम की मौत 1985 में हो चुकी थी। इसलिए रामदिया व जागेराम के वारिसों रामचंद्र, मामन, ओमी, सतबीर व रणधीर निवासी कबीरपुर का कब्जा माना।

पटवारी ने रिपोर्ट में मौका पर टीन-टपर, खाद डाला हुआ लिखा और कहा कि मानो जमीन पर कब्जा किया हुआ है। कृषि भूमि रेट 1 करोड़ 60 लाख प्रति एकड़ लिखा और बाद में 27 मई 2020 को इस जमीन की बाजारी कीमत 2 करोड़ 30 लाख प्रति एकड़ अपने अनुमान से लिखी।

पटवारी ने रिपोर्ट में यह खेल किया

राजेन्द्र सिंह पटवारी ने अपने मौका निरीक्षण में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया कि जमीन शहर के अन्दर है, ITI चौक के पास है, आस पास दुकानें, मकान और इंडस्ट्रीज एरिया है। साथ ही जमीन मुख्य सड़क पर है और यहां लम्बे समय से खेती नहीं होती और तहसील सोनीपत में उपलब्ध रिकार्ड गिरदावरी अनुसार वर्ष 1999 से हाल तक यहां पर कोई खेती नहीं हुई है। केवल अपने रिकार्ड जमाबंदी के आधार पर मौका के तथ्यों को छिपाते हुए कृषि भूमि के रेटों की रिपोर्ट कर दी।

इस हमाम में सब नंगे

पटवारी राजेन्द्र सिंह की इस रिपोर्ट को कानूनगो सुरेश कुमार ने भी मौका पर जाकर सही माना। तहसीलदार बिक्री विकास व नायब तहसीलदार बिक्री सुशीला ने भी पटवारी व गिरदावर की रिपोर्ट को सही माना और तत्कालीन कमिशनर सेल सोनीपत ने अप्रूवल दी। किसी ने भी पटवारी राजेन्द्र सिंह की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज नहीं की। तहसीलदार बिक्री विकास ने इस जमीन की बिक्री के लिए दिनांक 29 मई 2020 को कमिशनर बिक्री (डीसी सोनीपत) को अप्रूवल के लिए जो आदेश किये उनमें नियम 10 (1) का हवाला दिया कि शहरी सम्पत्ति को उसके अधिभोगियों को अन्तरण करना है।

उक्त अधिकारियों ने मौके पर वर्तमान स्थिति को रिकार्ड पर लाए बिना राजस्व रिकार्ड में चली आ रही कृषि भूमि के आधार पर ही अन्तरण करने के आदेश पारित कर दिए। कृषि भूमि रेट का हवाला देकर ही आदेश किये गए हैं। इसी प्रकार नगर निगम सोनीपत के सम्पति कर रिकार्ड अनुसार वर्ष 2016-17 व 2020-21 में खाली कॉमर्शियल प्लाट अंकित होने के बाद भी रिहायशी भूमि के चार्ज लेकर दिनांक 25 सितंबर 2020 को नो ड्यूज सर्टिफिकेट (NOC) दिया गया। शहर में रिहायशी भूमि का चार्ज 120 रुपए प्रति गज और कॉमर्शियल भूमि का चार्ज 1000 रुपए प्रति गज है। इस NOC के आधार पर ही बलवान सिंह नायब तहसीलदार ने कृषि भूमि के रेट पर और उसी अनुसार स्टाम्प ड्यूटी लेकर रजिस्ट्री संख्या 2709 दिनांक 12 अक्टूबर 2020 की हुई है।

जांच रिपोर्ट में लिखा है कि अगर यह जमीन व्यवसायिक रेट पर बेची जाती तो सरकार को 5-6 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान न होता। जांच पर पाया गया है कि कस्टोडियन की विवादित जमीन 3000 गज, जो नगर निगम सोनीपत के अंदर ITI चौक के पास मुख्य सड़क पर व्यवसायिक जमीन है। नगर निगम सोनीपत के संपत्ति कर रिकॉर्ड वर्ष 2016-17 और 2020-21 के अनुसार यह जमीन खाली कॉमर्शियल प्लाट अंकित है। यह जमीन वर्ष 2004 से अधिकृत कॉलोनी में होते हुए इस व्यवसायिक सरकारी कस्टोडियन जमीन को कृषि रेट पर रजिस्ट्री नंबर 2709 दिनांक 12 अक्टूबर 2020 के अनुसार बेचा गया है।

अफसरों पर जांच रिपोर्ट में ये आरोप

तत्कालीन पटवारी राजेंद्र सिंह गांव कालूपुर, जिसने मौके पर जाकर तथ्यों को छिपाते हुए व्यवसायिक जमीन की केवल अपने रिकॉर्ड के आधार पर कृषि भूमि दिखाकर इस जमीन कि बिक्री के रेट निर्धारित किए। असल में यहां 20-25 वर्षों से रिकॉर्ड अनुसार कोई खेती नहीं हुई। गिरदावर सुरेश कुमार जिसने मौका पर जाकर पटवारी राजेंद्र सिंह की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए अपनी रिपोर्ट की। तत्कालीन तहसीलदार बिक्री विकास, जिसने विवादित भूमि व्यवसायिक होते हुए बिना जांच पड़ताल व मौका निरीक्षण किए कृषि भूमि रेट पर भूमि बेचने के सेल्ज ऑर्डर जारी किए।

तत्कालीन नायब तहसीलदार बलवान सिंह ने व्यवसायिक जमीन होते हुए और रिहायशी जमीन का NOC होते हुए रिकॉर्ड की अनदेखी कर व्यवसायिक भूमि की कृषि भूमि रेट पर रजिस्ट्री कर दी। नगर निगम के सहायक अभियंता देवेंद्र ने नगर निगम सोनीपत के रिकॉर्ड अनुसार उस दौरान संपत्ति कर रिकॉर्ड में विवादित जमीन व्यवसायिक, खाली प्लाट अंकित होते हुए भी रिहायशी रेट के चार्ज लेकर NOC जारी की।

मामले में इनकी बदनीयती

प्रॉपर्टी डीलर हरेंद्र सैनी निवासी कबीरपुर इस विवादित जमीन को कृषि रेट पर बिकवाने का मुख्य पैरोकार है। हरेंद्र इस विवादित रजिस्ट्री व अन्य इसी जमीन की रिसेल में हुई कई रजिस्ट्री में गवाह है। जमीन के खरीददार रामचंद्र व मामन, सतबीर, रणधीर, ओमी निवासी कबीरपुर के साथ मिलीभगत और बदनीयती पाई गई है। क्योंकि इसी जमीन की रिसेल में केवल ए माह बाद से ही करीब 10 रजिस्ट्री रिहायशी रेट पर हुई हैं। मार्च 2022 में 2 रजिस्ट्री कॉमर्शियल रेट पर हुई हैं।

इन पर हुआ केस दर्ज

3 हजार गज की इस जमीन की खरीद फरोख्त में हुई धांधलीबाजी में CM फ्लाईंग के SI सुनील कुमार की शिकायत पर थाना सिविल लाइन में अफसरों समेत 11 व्यक्तियों के खिलाफ धारा 420 , 409 , 467 , 468 , 471,120 बी के तहत केस दर्ज किया गया है। इसमें तत्कालीन तहसीलदार विकास, पटवारी राजेंद्र, कानूनगो सुरेश कुमार, नगर निगम के सहायक अभियंता देवेंद्र और नायब तहसीलदार बलवान सिंह के अलावा प्रॉपर्टी डीलर हरेंद्र सैनी, रामचंद्र, मामन, सतबीर, ओमी और जागेराम का नाम FIR में है।

थाना सिविल लाइन के सब इंस्पेक्टर जगबीर सिंह ने बताया कि सीएम फ्लाइंग की जांच रिपोर्ट को DSP विरेंद्र सिंह ने थाने में भेजा था। रिपोर्ट के अवलोकन के बाद केस दर्ज किया गया है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

Around The Web

Uttar Pradesh

National