बॉर्डर के बाद मंडी में किसानों को तंग कर रही है सरकार, मंडी बंद करने के बेतुके फैसले को वापिस ले सरकार : अभय चौटाला

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बॉर्डर के बाद मंडी में किसानों को तंग कर रही है सरकार, मंडी बंद करने के बेतुके फैसले को वापिस ले सरकार : अभय चौटाला

बॉर्डर के बाद मंडी में किसानों को तंग कर रही है सरकार, मंडी बंद करने के बेतुके फैसले को वापिस ले सरकार : अभय चौटाला


बॉर्डर के बाद मंडी में किसानों को तंग कर रही है सरकार, मंडी बंद करने के बेतुके फैसले को वापिस ले सरकार!

एक तरफ गठबंधन सरकार दावे कर रही है कि मंडियों में किसानों को कोई परेशानी नहीं है तो दूसरी तरफ दो दिन के लिए प्रदेश की सभी मंडियां बंद करके किसानों के खिलाफ फैसला लिया है। अन्नदाता को परेशान करने के फैसलों से साफ पता चलता है कि यह सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी सरकार है। प्रदेशभर में दो दिन मंडियां बंद करने का फैसला जानबूझकर किसानों को परेशान करने के लिए लिया गया है।  मौसम विभाग कईं  दिनों से चेतावनी दे रहा है कि अगले कुछ दिनों तक तेज आंधियां व बारिश होने की संभावनाएं हैं। ऐसे समय में सरकार का दो दिन मंडियां बंद करने का फैसला सीधे तौर पर किसानों के विरूद्ध है।

हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि गेहूं के चरम सीजन पर मंडियों को दो दिन के लिए बंद करने का फैसला लिया गया है। किसान जल्द से जल्द अपनी पकी हुई फसल मंडियों में पहुंचाना चाहते हैं ताकि सरकारी तंत्र उनकी फसल खरीदकर उसे सुरक्षित गौदामों में पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकें। आज प्रदेशभर की मंडियों में सरकार के सारे खोखले दावों की पोल खुली हुई है। प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं बची है। अफसरशाही के इशारों पर सरकार ऐसे बेतुके किसान विरोधी फैसले ले रही है। इससे पहले प्रदेश की 18 मंडियों को बंद कर चुके हैं। यू-टर्न सरकार है। कभी कहते हैं कि किसान मैसेज के अनुसार फसल लाएं, कृषि मंत्री कहता है कि मैसेज की जरूरत नहीं है।  

सरकार 48 घंटे में किसानों की फसल का भुगतान करने के झूठे दावे कर रही है। जबकि 15 दिनों बाद भी किसानों को उनकी फसल का दाम नहीं मिला है। अभी तक केवल 50 लाख टन (50 प्रतिशत) फसल ही मंडी में आई है, उसमें से केवल 25 प्रतिशत का उठान हुआ है। खरीद में नमी के नाम पर लूट, बारदाने की किल्लत व उठान में देरी के मामलों में सरकार पूरी तरह फेल हुई है और मंडी में पानी, बिजली व शौचालय आदि व्यवस्थाओं की खस्ता हालत है। सत्ता की मलाई चाटने वाले क्या जाने किसानों का दर्द क्या होता है! सरकार लिफ्टिंग ज्यादा करवाकर मंडी बंद करने के तुगलकी फरमान वापिस ले और सभी मंडियों को खोलकर फसल की सुचारू रूप से खरीद करें।

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