भवन निर्माण के समय देना होगा इन बातों पर ध्यान,नियम तोड़ने पर होगी 2 साल की कैद

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भवन निर्माण के समय देना होगा इन बातों पर ध्यान,नियम तोड़ने पर होगी 2 साल की कैद

भवन निर्माण के समय देना होगा इन बातों पर ध्यान,नियम तोड़ने पर होगी 2 साल की कैद


पंचकूला | हरियाणा की मनोहर सरकार ने भवन निर्माण से जुड़े नियमों में पहले से ज्यादा सख्ती बढ़ा दी है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि भवन निर्माण कार्यों में सिर्फ उपचारित अपशिष्ट जल का ही प्रयोग करना होगा. अगर किसी ने नियमों की अवहेलना करते हुए भूजल का इस्तेमाल किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. उसे भारी- भरकम जुर्माने के अलावा दो साल तक की सजा भी हो सकती है. सरकार का कहना है कि निर्माण कार्यों में इस्तेमाल के बाद बाकी बचे पानी को ड्रेन या सीवर में भी नहीं छोड़ सकते हैं. इस पानी का इस्तेमाल खेती- बागवानी, साफ- सफाई सहित अन्य कार्यों में किया जा सकता है.भवन निर्माण में भूजल के इस्तेमाल की लगातार सामने आ रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी बड़े प्रोजेक्ट पर विशेष निगरानी रखने के आदेश जारी किए हैं. खासकर दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के जिलों सोनीपत, झज्जर, गुरुग्राम और फरीदाबाद में विशेष निगरानी रखी जाएगी जहां बड़े पैमाने पर भवन निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं.सरकार का कहना है कि अब भवन निर्माण के लिए बिल्डरों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनवायरनमेंट क्लीयरेंस लेनी होगी. पहले कंसर्न टू एस्टेब्लिश और फिर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कंसर्न टू आपरेट प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया गया है. निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात बिल्डर को शेष बचे पानी का प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा.हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्ष केशनी आनंद अरोड़ा ने भी अफसरों के साथ बैठक में उपचारित अपशिष्‍ट जल नीति का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं. जो लोग उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग नहीं करेंगे, उनकी ताजे पानी की सप्लाई को रोका जा सकता है.सरकार का कहना है कि नियमों का पालन न करने वाले बिल्डरों को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा. फिर भी यदि नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो उनके खिलाफ पर्यावरण कोर्ट में केस दर्ज किया जाएगा, जहां से उन्हें भारी- भरकम जुर्माने से लेकर 6 महीने से लेकर दो साल तक की कैद हो सकती है.

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