चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, नेता प्रतिपक्ष का प्रदेश के लोगों के नाम खुला पत्र 

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चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, नेता प्रतिपक्ष का प्रदेश के लोगों के नाम खुला पत्र 

चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, नेता प्रतिपक्ष का प्रदेश के लोगों के नाम खुला पत्र 


चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा, नेता प्रतिपक्ष का प्रदेश के लोगों के नाम खुला पत्र 
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 मेरे प्रिय प्रदेशवासी बुज़ुर्गों,         भाइयो-बहिनो और बच्चो !

       यह हम सबके लिए गर्व की बात है कि सदियों पहले हमारे पुरखों ने परस्परता, पुरकता, एकत्त्व, अपनत्व , समता और सह्रदयता जैसे शास्वत सिद्धांतों और स्थाई सत्यों पर आधारित एक सुदृढ़ व स्वस्थ समाज की संरचना की । इसी संस्कृति और संस्कारों की धरोहर को हमारे पूर्वजों ने संचित और सुरक्षित रखा और हमको सौंप दिया । 
       इतिहास साक्षी है कि ईंन्ही मूल्यों और संस्कारों की शक्ति के बल पर ही हमारे पूर्वजों ने राजाओं की निरंकुशताओं , महायुद्धों , हैज़ा व चेचक की महामारियों ( जो कि कातिक की बीमारी के नाम से याद की जाती हैं), अकालों आदि विपरीत परिस्थितियों और विपतियों का सभी ने मिलकर दृढ़ता से सामना किया और विजय प्राप्त की । करोना की महामारी के इस दौर मैं आप सबको सम्बोधित , इस पत्र के माध्यम से , मैं आप सभी से उन्ही सामाजिक मूल्यों और परम्पराओं को निभाने का आग्रह  व आहवान करता हूँ । 
       सबसे पहले मैं अपील करता हूँ कि कम से कम इस संकट के समय में राजनीति , धर्म, जाति वर्ग, वर्ण तथा क्षेत्र आदि अंग्रेज़ों की सियासत द्वारा खड़ी की गई , हमारा बँटवारा करने वाली , सभी कृत्रिम और स्वार्थपरक दीवारों को गिरा दो । मौत किसी को इन बातों के आधार पर न पहचानती है और न छोड़ती है । अगर ये उपरोक्त सामाजिक बुराइयाँ स्थाई तौर पर मिटा दी जाएँ तो हम सबका जीवन सुखी होगा । जिएँगे तो सभी जिएँगे , नहीं तो कोई नहीं । 
       दूसरा ये महामारी एक गम्भीर समस्या है और इसका राजनितिकरण नहीं मानवीयकरण होना  चाहिए । इस समय किसी की आलोचना व दोषारोपण करने का लाभ नहीं है । इसे अस्थाई तौर त्यागकर भविष्य में सामान्य हालात होने तक इन्तज़ार करें । प्रजातंत्र में सरकार  की नाकामियों  की सज़ा देने का प्रावधान है - उस अवसर पर आप द्वारा झेले  गए कष्टों को याद कर लेना । अभी तो सभी अपने आप से कहो कि 
 अभी जो छाया अँधेरा है ,          उसमें कुछ क़सूर मेरा है । 
असल में सरकार समेत हम सब दोषी हैं । 
        तीसरा, यह लड़ाई सब की साँझी है । सरकार की सत्ता और समाज की जीवनमान सत्ता मिलकर महामारी के इस संकट को साहस और सहजता से पराजित कर सकते हैं । हम सबके जीवन की सुरक्षा कर सकते हैं । अतः सभी को इस लड़ाई में शामिल होना चाहिए । 
         मेरी पृष्ठभूमि गाँव की है और मैं शहर में रहता हूँ । इसलिए मुझे दोनो जगहों की जीवनशैली की विशेषताओं का अनुभव भी है और अनुमान भी । वास्तव में तो ये दोनो कुछ ढाँचागत सुविधाओं को छोड़ , एक जैसी ही हैं , क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से आकर ही लोग छोटें शहरों में बसे हैं । अतः में आपसे अनुरोध करता हूँ कि शहर-क़स्बों के वार्डों और गाँव की पंचायतों में 8-10 समाज- सेवी सदस्यों की समितियाँ गठित की जाएँ जो घर घर जाकर सभी लोगों का करोना परीक्षण कराएँ । हर घर को करोना- किट मुहैया कराना तथा उनके उपचार के लिए प्रयत्न करें। उपचार हेतु पैसे से लेकर प्लाज़्मा तक सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार , समाजसेवी संस्थाओं और सभी व्यक्तियों से सहयोग लें । इस से हर गली मोहल्ले में लोग आशान्वित व सुरक्षित महसूस करेंगे तथा आंतकित व आक्रोशित नहीं होंगे । 
           यह बात सही है , सोशल मीडिया व अन्य प्रचार माध्यमों में , करोना बीमारी के विषय में तरह- तरह की ग़लत सूचनाओं की भरमार के कारण अज्ञानवश लोग भ्रमित भी हैं और भयभीत भी । लेकिन वास्तविकता से भी विमुख न हों । मुझ से भी करोना की रोकथाम के लिए जारी आवश्यक हिदायतों के पालन में चूक हुई और इस वायरस से प्रभावित हो गया । लेकिन मामूली लक्षण दिखाई देते ही तुरंत परीक्षण व उपचार के लिए बिना समय गवाए अस्पताल में दाखिल हुआ । फलस्वरूप ज़रूरी इलाज़ उपरांत ठीक भी हो गया । अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि करोना बीमारी का उपचार हो सकता है बशर्ते आप मामूली से लक्षण नज़र आने पर तुरन्त समय पर परीक्षण कराएँ व उपचार कराएँ । लापरवाही करने पर ही यह घातक होता है । पहली वेव में तो कई लोग इसे बीमारी मानने से ही इंकार करते थे ।वार्डों  और गावों में गठित ये समितियाँ अपने- अपने क्षेत्रों की संक्रमण की  स्थिति , उपलब्ध चिकित्सा सुविधा, सक्रमण के कारण होने वाली मृत्यु , उपचार के लिए दवाई , ऑक्सिजन आदि की कमी का सही सही ब्योरा सरकार को भेजें । इस से सरकार को उचित सहायता पहुचाने में मदद मिलेगी । ये समितियाँ ये भी सुनिश्चित करें कि उनके वार्ड़ में , गाँव में कोई भी व्यक्ति या जीव जन्तु भूखा न रहे , गरीबों, मज़दूरों  व कमजोर वर्गों का विशेष ध्यान रखें । सरकार को भी पूर्ण पारदर्शिता और परानुभूति का प्रदर्शन नहीं बल्कि पालन करना चाहिए । 
            मैं आपसे यह भी अपील करता हूँ कि आप करोना काल के दौरान अपनी जीवन-शैली में , खान-पान में , सामाजिक रिवाजों और व्यवहार में  , आवश्यक परिवर्तन लाएँ । मुझे मालूम है गाँव में लोग इक्कठे होकर चौपाल, पोलियों में हुक्का व बीड़ी पीते हैं - ताश व चोपड़ खेलते हैं - गाँव शहर में माताएँ- बहिने कीर्तन- भजन में एकत्रित होती हैं । इन सामाजिक आदतों और आचरणों को कुछ दिनों के लिए छोड़ दें । जीवन- मरण , ब्याह- शादी की रस्मों - रिवाजों में भी परिस्थितियों अनुसार परिवर्तन करें । सरकार द्वारा जारी करोना सम्बन्धी सभी हिदायतों का और लॉक डाउन में अनुशासन का सख़्ती से पालन करें । मास्क ज़रूर पहनें अन्यथा बुजुर्ग पगड़ी का , नौजवान बच्चे गमछे का और माताएँ- बहिनें चुनरी का उपयोग मास्क के रूप में कर सकते हैं । 
          मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि जिसके पास जो कुछ भी है उस से एक- दूसरे की मदद करें ।मेरे प्यारे प्रदेश-वासियो यह बात याद रखना कि संकट के समय जो किसी के आँसू पौंछता है तो समाज और भगवान भी उसकी आँखों में आँसू नहीं आने देते । 
        होंसला और हिम्मत, सुदृढ़ता और सह्रदयता हरियाणा के समाज की विशिष्टतायें हैं । इस समय में वही हमारे हथियार हैं । सभी भाई- बहिनों से मेरा निवेदन है कि सरकार और समाज- सेवी संस्थाओं को सहयोग दें और सहयोग लें । राष्ट्र कवि मेथिलीशरण गुप्त की पंक्तियाँ :
      कुछ हो न तजो निज़ साधन को , 
      नर हो न निराश करो मन को । 
     हमें प्रोत्साहित करती हैं । जो नहीं है उसे भूलकर जो है उसी से काम चलाओ । 
      आओ हम सब मिलकर करोना के ख़िलाफ़ जंग जारी रखें जीतने तक ।
       जयहिंद 
                         आपका 


                     (भूपेंद्र सिंह हुड्डा)

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