पानीपत नगर निगम में बड़ा घोटाला
पानीपत : नगर निगम इंजीनियरों की इंजीनियरिंग की एक ओर करतूत सामने आई है। वार्ड नंबर 26 के मेन नाले को तैयार किए अभी 8 महीने भी नहीं हुए थे कि घटिया मटेरियल अपने आप टूटकर नाले में बहना शुरू हो गया है। मटेरियल में सीमेंट न लगाने से नाले के ऊपर रखी कंक्रीट की स्लैब महज हाथ लगाने से ही टूट जा रही हैं। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इंजीनियर इसका लेवल तक सही नहीं कर पा रहे हैं। इस नाले में बहने वाला गंदा पानी सीधी दिशा की बजाए उल्टी दिशा में बहता है। इसको निकालने के लिए मोटर पंप का सहारा लेना पड़ता है।
इससे यहां के स्थानीय निवासियों में निगम इंजीनियरों के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ भयंकर गुस्सा पनप रहा है। जिससे एक बार फिर से यहां की करीब 10 कॉलोनियों के करीब 60 हजार लोगों पर मानसून में जलभराव का खतरा मंडराने लगा है। लोगों का कहना है कि महज 5 दिन बाद ही वे यहां मोटर बोट लेकर निगम वालों का स्वागत करेंगे।
खास बात ये है कि निकासी न होने की वजह से जलभराव से परेशान होकर इस नाले को बनाने और इसकी रिपयेरिंग करवाने के लिए यहां के स्थानीय निवासियों ने अक्तूबर 2020 में करीब 15 दिन तक लगातार अनिश्चतकालीन धरना दिया था। जिसके बाद नाले की रिपेयरिंग करवाई गई जो 6 माह भी नहीं टिकी।
99 लाख से बना था नाला, फिर लगाया 47 लाख का टेंडर
स्थानीय लोगों ने बताया कि उक्त नाले का निर्माण करीब 99 लाख रुपये से करवाया गया था। लेवल सही न होने की वजह से गंदे पानी की निकासी नहीं हो पाई। इसके सुधार के लिए फिर से 47 लाख का टेंडर लगाया गया है, लेकिन इस पर भी अब काम नहीं चलाया जा रहा है। इसके बाद इसकी रिपेयरिंग व स्लैब के लिए 27 लाख का टेंडर लगाया। इसके बाद भी इसकी सुध नहीं ली जा सकी। हालांकि निगम का कहना है कि उन्होंने सीएम अनाउंसमेंट के तहत करीब 4 करोड़ के काम निकासी के तहत किए थे। ये उनमें से एक था।
नाले के निर्माण और रिपेयरिंग के काम में निगम ने महा घोटाला किया है। निर्माण सामग्री मेें सीमेंट तक नहीं लगाई गई। जिससे स्लैब हाथ से ही टूट रही हैं। इसके लिए वार्ड के लोग और वे खुद शपथ पत्र तक दे सकते हैं। इस नाले के निर्माण से लोगों को परेशानी हुई है। गंदे पानी का बहाव सीधे की बजाए उल्टी दिशा में जा रहा है।