रायपुर : 12वी पास युवक ने बिटकॉइन में निवेश का झांसा देकर की 100 करोड़ की ठगी
रायपुर के 12वीं पास कम्पाउंडर ने दो ट्रेडिंग एप बनाकर छत्तीसगढ़ समेत 8 राज्यों के 2 हजार निवेशकों से डेढ़ साल में करीब 100 करोड़ की ठगी की है। लॉकडाउन में सुशील साहू की कम्पाउंडर की नौकरी छूटी तो उसने ठगी के लिए मल्टीलेवल मार्केटिंग का तरीका अपनाया था। नागपुर के संदीप को 1 लाख रुपए देकर दो एप विकसित कराए। एक एप क्विक कम्युनिटी ट्रेडिंग (Quick community trending) था। दूसरा- क्विक ट्रेड टुडे (Quick trade today)। इनके जरिए ठगी करने का प्लान बनाया। ऑफिस खोला, जिसमें डेटा माइनिंग का पूरा सेटअप था।
बिटकॉइन में निवेश का झांसा देकर निवेशकों से पैसा जुटाया। लोगों को फांसने के लिए पहले 100 डॉलर में मेंबर बनाता था। फिर न्यूनतम 1000 डॉलर का निवेश करवाता था। उसने डेटा माइनिंग के जरिए अपनी करंसी मार्केट में लॉन्च करने की तैयारी तक कर ली थी। प्लानिंग के तहत मार्च 2023 में उसने एप्लीकेशन से पैसों का विड्राल बंद कर दिया। जब निवेशकों के पैसे नहीं मिले, तो सबसे पहले इसकी शिकायत राजनांदगांव के छुरिया थाने में की गई। करीब 8 महीने बाद हाई कोर्ट के आदेश पर अब पुलिस निवेशकों से संपर्क कर रही है।
आरोपी ने निवेशकों से संपर्क करने के लिए कई वाट्सएप ग्रुप बनाए थे। वह जूम मीटिंग के जरिये लोगों को पैसा लगाने के लिए मोटिवेट करता था। साथ ही छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में जाकर अपनी टीम के साथ लोगों से मिलता था। सुशील की टीम झांसा देती थी कि डेटा की पूरी माइनिंग रोबोट के जरिए होगी। लोगों का भरोसा जीतने के लिए आरोपी ने डेटा माइनिंग के लिए रायपुर में सर्वर रूम भी बना रखा था। टीम में शामिल जेपी सिंह नाम का युवक खुद को आईआईटियन बताता था। झांसे में आकर लोगों ने 5 हजार डॉलर(4.15 लाख रुपए) तक निवेश किया था।
आराेपी ने टीम में रिटायर्ड आईएएस (IAS) को मैनेजर के रूप में नौकरी पर रखा था। निवेशकों में छत्तीसगढ़, मप्र, ओडिशा, तेलंगाना, पंजाब, झारखंड, महाराष्ट्र और नेपाल की महिलाएं, सीए, सैनिक और डॉक्टर शामिल हैं। माना जा रहा है कि सुशील ने या तो किसी वाॅलेट में पैसे छुपा रखे हैं। या बिटकाॅइन में निवेश किया है। वह इसके बारे में नहीं बता रहा है।
बिटकॉइन में निवेश का झांसा देकर निवेशकों से पैसा जुटाया। लोगों को फांसने के लिए पहले 100 डॉलर में मेंबर बनाता था। फिर न्यूनतम 1000 डॉलर का निवेश करवाता था। उसने डेटा माइनिंग के जरिए अपनी करंसी मार्केट में लॉन्च करने की तैयारी तक कर ली थी। प्लानिंग के तहत मार्च 2023 में उसने एप्लीकेशन से पैसों का विड्राल बंद कर दिया। जब निवेशकों के पैसे नहीं मिले, तो सबसे पहले इसकी शिकायत राजनांदगांव के छुरिया थाने में की गई। करीब 8 महीने बाद हाई कोर्ट के आदेश पर अब पुलिस निवेशकों से संपर्क कर रही है।
आरोपी ने निवेशकों से संपर्क करने के लिए कई वाट्सएप ग्रुप बनाए थे। वह जूम मीटिंग के जरिये लोगों को पैसा लगाने के लिए मोटिवेट करता था। साथ ही छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में जाकर अपनी टीम के साथ लोगों से मिलता था। सुशील की टीम झांसा देती थी कि डेटा की पूरी माइनिंग रोबोट के जरिए होगी। लोगों का भरोसा जीतने के लिए आरोपी ने डेटा माइनिंग के लिए रायपुर में सर्वर रूम भी बना रखा था। टीम में शामिल जेपी सिंह नाम का युवक खुद को आईआईटियन बताता था। झांसे में आकर लोगों ने 5 हजार डॉलर(4.15 लाख रुपए) तक निवेश किया था।
आराेपी ने टीम में रिटायर्ड आईएएस (IAS) को मैनेजर के रूप में नौकरी पर रखा था। निवेशकों में छत्तीसगढ़, मप्र, ओडिशा, तेलंगाना, पंजाब, झारखंड, महाराष्ट्र और नेपाल की महिलाएं, सीए, सैनिक और डॉक्टर शामिल हैं। माना जा रहा है कि सुशील ने या तो किसी वाॅलेट में पैसे छुपा रखे हैं। या बिटकाॅइन में निवेश किया है। वह इसके बारे में नहीं बता रहा है।