उत्तर प्रदेश : बारिश में भी धीरेंद्र शास्त्री मिले अपने भक्तो से , सोए महाराज को भीड़ ने उठाया
वाराणसी में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यहां आते समय मुझे हरे झंडे दिखाई दिए। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है कि नहीं? हिंदुओं को एकजुट करने और सनातन के प्रचार के लिए 21 से 30 नवंबर तक बागेश्वर से रामराज ओरछा तक पदयात्रा करूंगा। 1 दिन में 20 किमी चलूंगा। इसका मकसद हिंदू एकता को मजबूत करना है।
ये बातें बारिश में भीगते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहीं। दरअसल, गुरुवार को बिहार जाते वक्त वह अचानक बड़ागांव में अपने एक शिष्य के आवास पर पहुंचे। आसपास के लोगों को जैसे ही पता चला तो घर के बाहर उन्हें देखने के लिए भीड़ लग गई।
भीड़ बढ़ी तो बारिश के बीच ही शुक्रवार सुबह धीरेंद्र शास्त्री मकान की छत पर पहुंचे। उन्होंने लोगों से हर-हर महादेव के जयकारे लगवाए। कहा कि कैसे हो? तुम लोग सुबह से हल्ला कर रहे थे। हम लुढ़के (सो रहे) पड़े थे। बड़े लोग तो हमसे मिल लेते हैं, लेकिन पिछड़े और बिछड़े लोग मुझसे नहीं मिल पाते।
इसलिए अब मैं 107 किमी पैदल यात्रा करूंगा। गांव-गांव जाऊंगा। लोगों से मिलूंगा। मेरी पहली यात्रा बागेश्वर से रामराज ओरछा तक होगी। इस यात्रा का नारा- जाति पाति भेदभाव को जड़ से मिटाना है, हमें भारत को भव्य बनाना है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमको विश्वनाथ जी के दर्शन करने थे। मन में आया कि हमारे भाग्य में इस गांव का दाना-पानी लिखा है। इस गांव की मिट्टी को प्रणाम करना है। फिर चला आया। तुम लोगों के दर्शन मिलने थे, तो मिले। मैं 20 मिनट के लिए आया था। सोचा था कि जल्दी चला जाऊंगा। लेकिन, फिर नींद आ गई और मैं यहीं रुक गया।
ये बातें बारिश में भीगते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहीं। दरअसल, गुरुवार को बिहार जाते वक्त वह अचानक बड़ागांव में अपने एक शिष्य के आवास पर पहुंचे। आसपास के लोगों को जैसे ही पता चला तो घर के बाहर उन्हें देखने के लिए भीड़ लग गई।
भीड़ बढ़ी तो बारिश के बीच ही शुक्रवार सुबह धीरेंद्र शास्त्री मकान की छत पर पहुंचे। उन्होंने लोगों से हर-हर महादेव के जयकारे लगवाए। कहा कि कैसे हो? तुम लोग सुबह से हल्ला कर रहे थे। हम लुढ़के (सो रहे) पड़े थे। बड़े लोग तो हमसे मिल लेते हैं, लेकिन पिछड़े और बिछड़े लोग मुझसे नहीं मिल पाते।
इसलिए अब मैं 107 किमी पैदल यात्रा करूंगा। गांव-गांव जाऊंगा। लोगों से मिलूंगा। मेरी पहली यात्रा बागेश्वर से रामराज ओरछा तक होगी। इस यात्रा का नारा- जाति पाति भेदभाव को जड़ से मिटाना है, हमें भारत को भव्य बनाना है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमको विश्वनाथ जी के दर्शन करने थे। मन में आया कि हमारे भाग्य में इस गांव का दाना-पानी लिखा है। इस गांव की मिट्टी को प्रणाम करना है। फिर चला आया। तुम लोगों के दर्शन मिलने थे, तो मिले। मैं 20 मिनट के लिए आया था। सोचा था कि जल्दी चला जाऊंगा। लेकिन, फिर नींद आ गई और मैं यहीं रुक गया।