मेरठ : हनीट्रैप गैंग का खुलासा ; झूठे रेप केस में फसा कर पैसे ठगती थी महिलाए , पहचान बदल करती थी दोस्ती
मेरठ पुलिस ने हनीट्रैप गैंग का खुलासा किया है जिसमे दो महिलाओं समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक महिला सुमैया खान शालू बनकर लोगों को फंसाती थी। गैंग ने मेरठ के अलावा, गाजियाबाद और दिल्ली तक के लड़कों को फंसाकर उनसे पैसे ठगे।
पुलिस ने बुधावार को पूठा रोड पर चेकिंग के दौरान एक कार को रुकवाया। कार में दो युवती और दो युवक बैठे हुए थे। तभी वहां पर एक बाइक आकर रुकी, बाइक सवार बचाव में खड़े हो गए। मामला संदिग्ध देख पुलिस सभी को थाने लेकर आई। पूछताछ में पता चला कि यह लोग हनीट्रैप में फरार चल रही गैंग के सदस्य हैं।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि हमें शालू शर्मा नाम की युवती ने तहरीर दी थी। उसने पतारपुर के रहने वाले एक युवक पर रेप का आरोप लगाया था। केस की जांच में रेप की शिकायत फर्जी निकली। हमने आरोपी से पूछताछ की, तो उसने बताया कि शालू ने उससे कहा है कि 10 लाख रुपए दे दो, केस वापस ले लूंगी। इसके बाद जांच में शालू के बारे में कई खुलासे हुए। इसके साथ एक और महिला भी सामने आई, जो खुद को शालू की भाभी बता रही थी।
युवक ने बताया कि शालू ने पहले उससे दोस्ती की, फिर सहमति से संबंध बनाए और इसके बाद उसे धमकाने लगी। शुरुआत में उसने कुछ रुपए शालू को दिए, लेकिन शालू की डिमांड बढ़ती गई।
जांच में पता चला कि जिस शालू शर्मा ने हमें शिकायत दी थी, उसका असली नाम सुमैया खान है, उसकी भाभी का नाम सिमरन है। इन दोनों के अलावा फिरोज नाम का एक युवक भी है, जो पूरी स्क्रिप्ट लिखता है। फिरोज हनीट्रैप की गैंग का मास्टरमाइंड है। वो लड़कों को चिह्नित करता है, इसके बाद सुमैया और सिमरन को काम पर लगा देता है।
पुलिस को गैंग के बारे में जानकारी मिल गई है, यह बात सुमैया और सिमरन को पता चली तो दोनों फरार हो गईं।
सिमरन उर्फ रूहीना ने फिरोज के कहने पर सुमैया से दोस्ती की। इसके बाद फिरोज ने दोनों को पैसे कमाने का शॉर्ट कट बताया। उसने अपने चार और साथियों को गैंग में शामिल किया।
एक युवक को फंसाने के बाद गैंग के सभी लोग अपना अलग-अलग रोल अदा करने लगते। कोई भाई बनता, तो कोई चाचा। इसके बाद ये लोग फंसाए गए युवक से पैसों की डिमांड करते। पैसे न देने पर रेप की झूठी तहरीर थाने में दे देते। फिर सुलह का दबाव बना, रुपए ऐंठते।
पुलिस ने बुधावार को पूठा रोड पर चेकिंग के दौरान एक कार को रुकवाया। कार में दो युवती और दो युवक बैठे हुए थे। तभी वहां पर एक बाइक आकर रुकी, बाइक सवार बचाव में खड़े हो गए। मामला संदिग्ध देख पुलिस सभी को थाने लेकर आई। पूछताछ में पता चला कि यह लोग हनीट्रैप में फरार चल रही गैंग के सदस्य हैं।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि हमें शालू शर्मा नाम की युवती ने तहरीर दी थी। उसने पतारपुर के रहने वाले एक युवक पर रेप का आरोप लगाया था। केस की जांच में रेप की शिकायत फर्जी निकली। हमने आरोपी से पूछताछ की, तो उसने बताया कि शालू ने उससे कहा है कि 10 लाख रुपए दे दो, केस वापस ले लूंगी। इसके बाद जांच में शालू के बारे में कई खुलासे हुए। इसके साथ एक और महिला भी सामने आई, जो खुद को शालू की भाभी बता रही थी।
युवक ने बताया कि शालू ने पहले उससे दोस्ती की, फिर सहमति से संबंध बनाए और इसके बाद उसे धमकाने लगी। शुरुआत में उसने कुछ रुपए शालू को दिए, लेकिन शालू की डिमांड बढ़ती गई।
जांच में पता चला कि जिस शालू शर्मा ने हमें शिकायत दी थी, उसका असली नाम सुमैया खान है, उसकी भाभी का नाम सिमरन है। इन दोनों के अलावा फिरोज नाम का एक युवक भी है, जो पूरी स्क्रिप्ट लिखता है। फिरोज हनीट्रैप की गैंग का मास्टरमाइंड है। वो लड़कों को चिह्नित करता है, इसके बाद सुमैया और सिमरन को काम पर लगा देता है।
पुलिस को गैंग के बारे में जानकारी मिल गई है, यह बात सुमैया और सिमरन को पता चली तो दोनों फरार हो गईं।
सिमरन उर्फ रूहीना ने फिरोज के कहने पर सुमैया से दोस्ती की। इसके बाद फिरोज ने दोनों को पैसे कमाने का शॉर्ट कट बताया। उसने अपने चार और साथियों को गैंग में शामिल किया।
एक युवक को फंसाने के बाद गैंग के सभी लोग अपना अलग-अलग रोल अदा करने लगते। कोई भाई बनता, तो कोई चाचा। इसके बाद ये लोग फंसाए गए युवक से पैसों की डिमांड करते। पैसे न देने पर रेप की झूठी तहरीर थाने में दे देते। फिर सुलह का दबाव बना, रुपए ऐंठते।