ब्रिटेन : कीर स्टार्मर बने ब्रिटेन के पीएम , 14 साल की तपस्या के बाद मिली जीत

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ब्रिटेन : कीर स्टार्मर बने ब्रिटेन के पीएम , 14 साल की तपस्या के बाद मिली जीत

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बचपन में सुपरबॉय कहे जाने वाले कीर स्टार्मर वाम विचारों के समर्थक हैं। वह एक प्रसिद्ध वकील, कुशल खिलाड़ी और संगीतप्रेमी भी हैं। कभी राजनीति छोड़ किताबें बेचने की सोच रहे थे, पर आज वह ब्रिटेन की राजनीति के शिखर पुरुष बन गए हैं।
वह एक वकील हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राजघराने की ओर से आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा लड़ने से पहले शाकाहार समर्थकों का बचाव करने को प्राथमिकता दी। वह युवावस्था में पूंजीवाद विरोधी ट्रॉट्स्की पत्रिका के संपादक थे, फिर भी उन्होंने इस साल लेबर पार्टी के मंच से दिए गए अपने भाषणों में ‘धन सृजन’ को बढ़ावा देने की बात कहकर पूंजीपतियों को खुश किया। वह लेबर पार्टी के इतिहास में पहले नेता हैं, जिन्हें नौकरी मिलने से पहले ‘सर’ की उपाधि मिली। राजशाही-विरोधी होने के बावजूद उन्हें अब सप्ताह में एक बार निश्चित रूप से ब्रिटिश क्राउन से मुलाकात करना होगा।
1990 के दशक में वे मैकडॉनल्ड्स और दो पर्यावरण कार्यकर्ताओं हेलेन स्टील और डेविड मॉरिस के बीच 10 वर्षों तक चलने वाले एक कुख्यात मुकदमे 'मैक्लिबेल' की वजह से चर्चा में थे। जब सामाजिक कार्यकर्ताओं को कानूनी सहायता से वंचित किए जाने के बाद अदालत में अपना प्रतिनिधित्व खुद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, तो उनका साथ दिया सर कीर स्टार्मर ने। ये वही कीर स्टार्मर हैं, जिनका सम्मान विरोधी दल के नेता भी करते हैं। इन्होंने ब्रिटेन की राजनीति में तहलका मचाते हुए कंजर्वेटिव पार्टी का चौदह वर्षों का वर्चस्व तोड़ा और लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत करने से पहले, उन्होंने मानवाधिकार मुद्दों पर काम करने वाले असाधारण बैरिस्टर के रूप में ख्याति अर्जित की थी। उन्हें 2010, 2015, 2017 और 2019 में चुनावी हार का भी सामना करना पड़ा था।
2021 में हार्टलपूल के उपचुनाव में मिली हार के बाद कीर स्टार्मर राजनीति को अलविदा कहने वाले थे। वह चुनाव में मिली हार से बेहद दुखी थे। इसलिए उन्होंने राजनीति छोड़कर किताबें बेचने का मन बनाया। हालांकि अपनी पत्नी और एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने बाद में यह विचार त्याग दिया। 
सर स्टार्मर 16 साल की उम्र में ही लेबर पार्टी के यूथ विंग यंग सोशलिस्ट से जुड़ गए। उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में लॉ की पढ़ाई के लिए लीड्स यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वे अपने परिवार में यूनिवर्सिटी जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने।
स्टार्मर ब्रिटेन में राजशाही के खिलाफ रहे। हालांकि कानून के जरिये लोगों की भलाई करने के लिए उन्हें राजमहल से 2014 में नाइटहुड की उपाधि मिली और वे सर कीर स्टार्मर हो गए। उन्हें 2002 में क्वीन का काउंसल भी बनाया गया था।
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