भारत की ऐसे अनसुलझे स्थान ,जिनकी गुथी विज्ञान भी नहीं सुलझा पाई
भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है। इन जगहों के रहस्यों के बारे में कोई वैज्ञानिक कारण समझ नहीं आता फिर भी कम से कम वो जगहें लोककथाओं में प्रसिद्ध है और कुछ उनके रहस्यों के कारण ही हैं। किसी जगह पर भूत का डेरा माना जाता है तो कहीं पर देवताओं का आशीर्वाद।
देखते है कुछ रहस्यमय जगहों को जिन्हे सुलझा पाना विज्ञान के भी बस में नहीं है -
1. केरल का कोदिन्ही गांव
सबसे पहले बात करते हैं केरल के उस गांव की जहां का रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए। मल्लापुरम जिले में मौजूद कोदिन्ही गांव ऐसा है, जहां 200 से ज्यादा ट्विन्स हैं। यहां हर दूसरे घर में जुड़वा बच्चे होते हैं। कई बार तिड़वे बच्चे भी हुए। इस गांव को सरकार भी Village of Twins कहती है। इस गांव को लेकर एक बात अजीब है कि यहां की महिलाएं अगर किसी और गांव में शादी करके जाती हैं तो भी उनके जुड़वा बच्चे होते हैं।
2.राजस्थान का कुलधरा गांव
कुलधरा राजस्थान का काफी प्रसिद्ध गांव है जहां आपको इंसान नहीं बल्कि खाली घर और खंडहर ही मिलेंगे। कहते हैं कि 200 साल पहले ये गांव 1500 पालिवाल ब्राह्मणों का घर था। इस गांव के लोगों पर जैसलमेर का दीवान सलीम सिंह अत्याचार करता था। वो मनचाहा कर वसूल करता था। इसके बाद सलीम सिंह की नजर गांव के मुखिया की बेटी पर पड़ी। सलीम सिंह ने गांव वालों पर बहुत ज्यादा कर लगाने की धमकी दी। लड़की को बचाने और सलीम सिंह के डर से बाहर निकलने के लिए रातों-रात पूरा गांव खाली हो गया। हालांकि, किसी ने भी गांव के 1500 लोगों को जाते नहीं देखा। कहा जाता है कि इस गांव को वो लोग श्राप देकर गए थे कि यहां अब कोई नहीं बस पाएगा।
3.असम का जतिंगा गांव
असम का जतिंगा गांव भी अपने अजीबोगरीब रहस्य के लिए मशहूर है। इस हरे भरे इलाके में हर साल मानसून के आखिरी में एक अजीब घटना होने लगती है। यहां सूरज ढलने के बाद हजारों की संख्या में पक्षी एक एक कर मरने लगते हैं। ऐसा क्यों आज तक कोई नहीं जान सका। ये हर दिन होता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार यहां पर बुरी आत्माओं का साया है। जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद पक्षी कोहरे की वजह से ठीक से देख और महसूस नहीं कर पाते और इसलिए वो पेड़ों से टकरा कर मर जाते हैं।
4.मानव कंकाल वाला तालाब
रूपकुंड तालाब में अजीब रहस्य समाया हुआ है। हर साल सर्दियों के बाद जैसे ही बर्फ पिघलती है वैसे ही इस तालाब में मानव कंकाल तैरने लगते हैं। 16,500 फिट की ऊंचाई पर मौजूद इस तालाब को 1942 में ढूंढा गया था। तब से लेकर अब तक ये गांव एक रहस्य बना हुआ है। रूपकुंड तालाब में कई फॉरेंसिक और रेडियोकार्बन टेस्ट किए गए जिसके बाद वैज्ञानिकों को मानना है कि यहां मौजूद कंकाल कम से कम 1200 साल पुराने हैं। कोई नहीं जानता ये कहां से आए। हालांकि लोककथा है कि ये कन्नौज के राजा जसधवल और उनकी प्रेग्नेंट रानी और उनके सभी नौकरों का काफिला है जो नंदा देवी के दर्शन को निकले थे, लेकिन रास्ते में तूफान की चपेट में आ गए।