ऐसे गांव जहां इंटरनेट का नामों निशान तक नहीं; लोगो ने इंटरनेट का नाम भी नहीं सुना

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ऐसे गांव जहां इंटरनेट का नामों निशान तक नहीं; लोगो ने इंटरनेट का नाम भी नहीं सुना

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आज के डिजिटल ज़माने के साथ साथ लोग भी डिजिटल हो गए हैं. कैश रखना तो लोगों ने छोड़ ही दिया है. कहीं भी चले जाओ, सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन करने की जरुरत पड़ती है. इसके अलावा स्मार्टफोन के इस जमाने में लोग अब 5G इंटरनेट चला रहे हैं. लेकिन बिहार के ऐसे करीब दो सौ से अधिक गांव हैं, जहां अभी तक इंटरनेट नहीं पहुंचा है.
अगर इन गांवों में आप अपना 5G फोन लेकर जायेंगे तो आपको 2G स्पीड भी नहीं मिलेगी. बिहार के लोगों को हाई स्पीड इंटरनेट मिले, इसके लिए भारत नेट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. लेकिन अभी तक राज्य के 173 गांवों को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ा ही नहीं जा सका है. इंटरनेट तो छोडो, इन गांवों में आपके मोबाइल में ही नेटवर्क नहीं आएगा. इससे इंटरनेट चलाना तो दूर आप किसी से बात भी नहीं कर सकते हैं.
केंद्र सरकार ने भारत नेट प्रोजेक्ट की शुरुआत देश को डिजिटल बनाने के लिए की थी. इसकी समीक्षा रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बात सामने आई है. बिहार के कुल 44888 गांव में से 234 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक 4G नेटवर्क नहीं आया है. इसके अलावा 173 गांवों को नेटवर्क से जोड़ा ही नहीं गया है. इन आंकड़ों पर चिंता जताई गई है. जिन गांवो में नेटवर्क नहीं है, वहां पंचायत सरकार भवन में इंटरनेट सुविधा बहाल करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, सरकार ग्रामीण लोगों की सुविधा के लिए पंचायत भवन में सारे सरकारी दस्तावेजों के काम शुरू करने का प्लान बना रही है. इसके तहत ग्रामीण एक ही जगह पर सरकारी योजनाओं के लिए आावेदन कर पाएंगे. साथ ही जमीन के नकल, आय, जाति प्रमाण पत्र का आवेदन भी पंचायत सरकार भवन से कर पाएंगे. लेकिन जिन गांवों में इंटरनेट है ही नहीं, वहां ये फैसिलिटी शुरू कर पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मंत्रालय ने अब बिहार के सूचना एवं तकनीकी विभाग से पूछा है कि मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने के लिए कितने मोबाइल टावर की जरुरत है.

 
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