अयोध्या : 31 साल बाद हटाया गया राम मंदिर में यातायात प्रतिबंध , 1993 में बने एक्ट के कारण लगा था प्रतिबंध

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अयोध्या : 31 साल बाद हटाया गया राम मंदिर में यातायात प्रतिबंध , 1993 में बने एक्ट के कारण लगा था प्रतिबंध

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रामनगरी अयोध्या में लंबे समय से यातायात प्रतिबंध लगा हुआ था।लेकिन अब ये प्रतिबंध काफी हद तक कम क्र दिए गए है। प्रशासन और पुलिस ने कई तरह की सुरक्षा बंदिशों में ढील दी है। टेढ़ी बाजार चौराहे से बैरियर हटा दिए गए है। यहां से राम जन्मभूमि पथ के पास श्रीराम अस्पताल तक चार पहिया वाहनों को प्रवेश मिलने लगा है। रामघाट चौराहे पर भी वाहनों को नहीं रोका जाएगा।
अयोध्या में प्रमुख पर्वों के अलावा वीकेंड यानि शनिवार व रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होती है। इस दौरान यातायात प्रतिबंधों का दंश अभी तक स्थानीय लोगों के साथ देश भर से आने वाले श्रद्धालु झेल रहे थे। रामनगरी में रहने वालों को तो सामान्य दिनों में भी सुरक्षा कारणों से समस्याओ का सामना करना पड़ता था। शनिवार से इसमें काफी राहत दे दी गई है।
यातायात प्रतिबंधों में ढील दिए जाने से सबसे ज्यादा राहत रामकोट के वासियों को मिली है। पहले टेढ़ी बाजार बैरियर व गोकुल भवन बैरियर पार कर वही वाहन जाते थे, जिन्हें विशेष अनुमति होती थी या फिर जिनके पास यलो जोन का पास हो वही बैरियर पर करके आगे जाते थे। अब टेढ़ी बाजार से चार पहिया वाहन सीधे कटरा, अशर्फी भवन होते हुए रामपथ पर पहुंच सकते हैं।
उनवल बैरियर से रामजन्मभूमि की ओर चार पहिया वाहनों का प्रवेश अभी भी प्रतिबंधित है। यहां वही वाहन जा सकेंगे, जिनको कंट्रोल रूम से जाने की अनुमति दी गई होगी। रामघाट चौराहे से भी चार पहिया वाहनों का प्रवेश अभी तक प्रतिबंधित रहता था, लेकिन शनिवार से यहां आवाजाही शुरू हो गई है। एसपी सिटी मधुबन सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं व स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए प्रतिबंधों में कुछ ढ़ील दी गई है। सुरक्षा मानकों के अनुसार चेकिंग और चौकसी पहले की तरह ही रहेगी।
छह दिसंबर 1992 की घटना के बाद रामकोट में प्रतिबंध बढ़ा दिए गए थे। इसके बाद 1993 में अयोध्या एक्ट बनाया गया, जिसके बाद प्रतिबंधों को और भी बढ़ा दिया गया। पांच जुलाई वर्ष 2005 को राम जन्मभूमि पर हुए आतंकी हमले के बाद रामकोट को सुरक्षा प्रतिबंधों में जकड़ दिया गया। स्थानीय लोगों के लिए यलो जोन के पास बनाए गए। स्थानीय निवासियों को रोजाना असुविधा का सामना करना पड़ता था।


 

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