मुक्केबाजी में छाया हरियाणा, कॉमनवेल्थ गेम्स में दिलाए 4 मैडल

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मुक्केबाजी में छाया हरियाणा, कॉमनवेल्थ गेम्स में दिलाए 4 मैडल

मुक्केबाजी में छाया हरियाणा, कॉमनवेल्थ गेम्स में दिलाए 4 मैडल


K9Media

इंग्लैंड के शहर बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणवियों का मुक्का जमकर चला है। मुक्केबाजी में देश ने छह पदक पक्के किए हैं, इनमें से चार खिलाड़ी हरियाणा निवासी हैं। हरियाणा के रोहतक जिले के अमित पंघाल, झज्जर के सागर अहलावत व भिवानी की जैस्मिन और नीतू घनघस ने अपना पदक पक्का कर लिया है। हरियाणा बॉक्सिंग संघ के प्रवक्ता राजनारायण पंघाल ने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणवी बॉक्सर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय दल में प्रदेश से छह खिलाड़ी शामिल थे, जिनमें से चार ने अपने पदक पक्के कर लिए हैं।  

मुक्केबाजी में निकहत जरीन (50 किग्रा), नीतू (48 किग्रा) और मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा), अमित पंघाल फ्लाईवेट (48-51 किग्रा), जैस्मिन लाइटवेट (60 किग्रा) सागर अहलावत +92 किग्रा भारवर्ग ने पदक पक्के किए हैं। इनमें निकहत और माेहम्मद हुसामुद्दीन को छोड़कर अन्य चारों खिलाड़ी हरियाणा निवासी हैं। 

बॉक्सिंग में सबसे पहला पदक बुधवार को भिवानी जिले के धनाना गांव की नीतू ने अपना पदक पक्का किया था। गांव धनाना की बेटी नीतू घनघस ने क्वार्टर फाइनल में आयरलैंड की मुक्केबाज को 5-0 से एकतरफा हराकर सेमीफाइनल की टिकट भी पक्की की और साथ ही इस मैच के बाद मुक्केबाज नीतू ने पदक पक्का कर लिया है। अब छह अगस्त को उनका सेमीफाइनल मैच होगा।

नीतू ने बनाई मुक्केबाजी में अलग पहचान
भिवानी के गांव धनाना निवासी नीतू घनघस (21) ने वर्ष 2012 में भिवानी में कोच जगदीश के पास ट्रेनिंग शुरू की थी। मेहनत के बल पर वह आज इस मुकाम पर पहुंची है। 48 किलो भारवर्ग की बॉक्सर नीतू सीबीएलयू से एमपीएड की पढ़ाई कर रही है। मुक्केबाजी में महज 10 साल के सफर में नीतू ने गांव की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बना दी है।

नीतू घनघस की प्रमुख उपलब्धियां

  • वर्ष-2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप गोवाहटी में स्वर्ण पदक।
  • वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
  • वर्ष-2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
  • वर्ष 2022 में सोफिया बुल्गारिया में हुए स्ट्रेडजा कप इटली की खिलाड़ी हो हराकर जीता स्वर्ण पदक।     
  • भिवानी जिले की मुक्केबाज नीतू घनघस के बाद जैस्मिन लंबोरिया ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स में सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है। बॉक्सिंग के 60 किलोग्राम भारवर्ग में भारत की जैस्मिन ने भी सेमीफाइनल में जगह बना ली है। इसके साथ ही उन्होंने भी पदक पक्का कर लिया है। जैस्मिन ने क्वार्टर फाइनल में मुकाबले में न्यूजीलैंड की टोरी ग्रांटन को 4-1 से हराया है। अब छह अगस्त को जैस्मिन का इंग्लैंड की मुक्केबाज के साथ सेमीफाइनल में मुकाबला होगा।

    जैस्मिन ने विश्व चैम्पियन को हराकर बनाई विशेष पहचान
    हालुवास गेट क्षेत्र में महताब दास की ढाणी निवासी बॉक्सर जैस्मीन लंबोरिया (20) ने वर्ष 2016 में मुक्केबाजी में चाचा प्रविंद्र और संदीप के मार्गदर्शन में बॉक्सिंग शुरू की। जैस्मिन 60 किलोग्राम भारवर्ग की मुक्केबाज है। जैस्मिन के पिता जयबीर लंबोरिया अनुबंध आधार पर सुरक्षाकर्मी की नौकरी कर रहे हैं। जैस्मिन ने मुक्केबाजी के छह साल के इस सफर में नेशनल से लेकर वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर को हराकर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

    जैस्मिन लंबोरिया की प्रमुख उपलब्धियां
    •  वर्ष 2021 में दुबई में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक
    •  वर्ष 2021 में बॉक्सम इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल
    गुरुवार को अमित पंघाल ने मैच में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को 5-0 से हराते हुए देश के लिए बॉक्सिंग में एक और पदक पक्का किया। अमित के पिता विजेंद्र सिंह ने बताया कि शनिवार को सेमीफाइनल और रविवार को फाइनल मुकाबला होगा। अब बस इसी पल का इंतजार है कि अमित फाइनल में जीतकर देश की झोली में गोल्ड मेडल डाले।

    अमित पंघाल ने फ्लाईवेट (48-51 किग्रा) स्पर्धा में स्कॉटलैंड के लेनोन मुलीगन को 5-0 से परास्त कर दिया। पंघाल ने मुलीगन के खिलाफ शानदार डिफेंस किया। उनके डिफेंस से मुलीगन थक गए। पंघाल ने बीच-बीच में हमले कर अंक जुटाए। पंघाल पिछली बार गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने में सफल हुए थे। इस बार उनकी नजर पदक के रंग को बदलने पर है।

    पिछले कॉमनवेल्थ में जीता था रजत पदक
    अमित पंघाल अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं। 2018 में एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक व कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीते थे। 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक व एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। इस बार वे कॉमनवेल्थ गेम्स के सेमीफाइनल में प्रवेश कर चुके हैं। उनके प्रशंसकों को इस बार उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद है।
    किसान का बेटा मुक्केबाज सागर पहुंचा सेमीफाइनल में
    झज्जर जिले के गांव धांधलान में साधारण किसान का बेटा सागर बर्मिंघम में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में अपने मुक्के का दम दिखाकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है। सागर सैमुल्स के मुक्केबाज को 5-0 से हराकर सेमीफाइनल में पहुंच गया है। कोच हितेश देशवाल ने बताया कि सागर ने तीनों राउंड में जबरदस्त बढ़त बनाए रखी। हालांकि पहले राउंड में सैमुल्स के खिलाड़ी ने मुक्केबाजी के दांव पेच आजमाए थे लेकिन सागर के पंच के आगे हार मान ली। सागर लगातार चार साल तक ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन रहा है। इसके अलावा भी इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भी चैंपियनशिप अपने नाम रखी है। वहीं सागर ने नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त किया है।
     
    बता दें सागर ने मुक्केबाज नरेंद्र को ट्रायल में हराकर कॉमनवेल्थ मे प्रवेश किया था। वहीं उन्होंने आर्मी के मुक्केबाज सतीश कुमार को भी ओलंपिक चैंपियनशिप में हराकर अपना लोहा मनवाया है। गौरतलब है कि सतीश कुमार को पिछले बारह साल में कोई भी नही हरा पाया था।

    कोरोना काल में भी अभ्यास नहीं छोड़ा
    कोरोना काल के दौरान जब कैंप बंद हुए तो कोच हितेश देशवाल ने सागर को अकेले भी प्रेक्टिस कराई। कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल में सागर ने शानदार प्रदर्शन किया और उसने पहले ट्रायल में ओलंपिक 2020 प्रतिभागी सतीश कुमार को हराया, फिर फाइनल में नरेंद्र को मात दी। सागर के प्रदर्शन की बदौलत उसका चयन 28 जुलाई से 8 अगस्त तक इंग्लैंड के बर्मिंघम आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में हो गया।

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