हरियाणा में ठेकेदारी प्रथा होगी बंद

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हरियाणा में ठेकेदारी प्रथा होगी बंद

हरियाणा में ठेकेदारी प्रथा होगी बंद


हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में ‘ठेकेदारी’ प्रथा को खत्म करने की तैयारी कर ली है। आउटसोर्सिंग से जुड़ी सभी प्रकार की नौकरियां अब सरकार ही लगाएगी। इसके लिए ‘हरियाणा कौशल रोजगार निगम’ नामक खुद की लिमिटेड कंपनी सरकार बनाएगी।  सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

ठेकेदारी प्रथा खत्म करने को भाजपा चुनावी मुद्दा भी बनाती रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव में इसे घोषणा-पत्र में भी शामिल किया गया था। गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शुरू से ही ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ रहे हैं। कैबिनेट ने दो करोड़ रुपये की इक्विटी शेयर के साथ कंपनी की स्थापना की मंजूरी दी है। प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनके ठेकेदारों द्वारा कॉन्ट्रेक्ट की नौकरियों की एवज में भी युवाओं से पैसा वसूला गया। इसके अलावा समय पर वेतन नहीं देने, पीएफ आदि में धांधली, अधिक पैसों की कटौती के अलावा मनमर्जी से ठेकेदारों द्वारा कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के मामले आम थे। ठेकेदारों के जरिये लगनी वाली नौकरियों में आरक्षण नीति का भी उल्लंघन हो रहा था। 

कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में यह कंपनी काम करेगी। अब सभी विभाग, बोर्ड-निगम, यूनिवर्सिटी व सरकार के स्वामित्व वाले संगठनों में कुशल, अर्धकुशल और अन्य मानव शक्ति की डिमांड इस निगम को भेजनी होगी। निगम आवश्यक योग्यता व अनुभव के अनुसार युवाओं का चयन कर बोर्ड-निगमों की जरूरत पूरी करेगा। रोजगार की तलाश करने वाले उम्मीदवारों का ऑनलाइन रजिस्टर तैयार होगा। इतना ही नहीं, निगम द्वारा ऐसे युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जाएगा। पहले से ही कार्यरत कर्मचारियों को ट्रेनिंग तो दी ही जाएगी, साथ ही, प्राइवेट सेक्टर में भी युवाओं को रोजगार के लिए तैयार कर उनकी डिमांड पूरी की जाएगी।

2014 के विधानसभा चुनाव में ठेकेदारी को खत्म करने के लिए घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। अनिल विज भी ठेकेदारों के माध्यम से विभागों व बोर्ड-निगमों में नौकरी लगाए जाने का विरोध करते हुए इसके खिलाफ सीएम को पत्र लिख चुके थे। इस फैसले से आउटसोर्सिंग की नीतियों के तहत रोजगार लेने वाले युवाओं का शोषण होने से बचेगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि कैबिनेट ने दो करोड़ रुपये की इक्विटी शेयर के साथ कंपनी की स्थापना की मंजूरी दी है। प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनके ठेकेदारों द्वारा कांट्रेक्ट की नौकरियों की एवज में भी युवाओं से पैसा वसूला गया। इसके अलावा समय पर वेतन नहीं देने, पीएफ और ईएसआइ फंड में धांधली, अधिक पैसों की कटौती के अलावा मनमर्जी से ठेकेदारों द्वारा कर्मचारियों के नौकरी से हटाने के मामले आम हैं। ठेकेदारों के जरिये लगनी वाली नौकरियों में आरक्षण नीति का भी उल्लंघन हो रहा था।

इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने खुद की कंपनी के जरिये रोजगार देने का फैसला लिया है। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में यह कंपनी काम करेगी। अब सभी विभाग, बोर्ड-निगम, यूनिवर्सिटी व सरकार के स्वामित्व वाले संगठनों में कुशल, अर्धकुशल और अन्य मानवशक्ति की डिमांड इस निगम को भेजनी होगी। निगम आवश्यक योग्यता व अनुभाव के अनुसार युवाओं का चयन कर विभाग व बोर्ड-निगमों की जरूरत पूरी करेगा।

मुख्यमंत्री के अनुसार रोजगार की तलाश करने वाले उम्मीदवारों का आनलाइन डाटा तैयार होगा। इतना ही नहीं, निगम द्वारा ऐसे युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण भी मुहैया करवाया जाएगा। पहले से ही कार्यरत कर्मचारियों को ट्रेङ्क्षनग तो दी ही जाएगी, साथ ही, प्राइवेट सेक्टर में भी युवाओं को रोजगार के लिए तैयार कर उनकी डिमांड पूरी की जाएगी। किसी भी विभाग या बोर्ड-निगम में तैनाती से पहली कंपनी के निदेशक मंडल से अनुमति लेनी होगी।

मुख्य सचिव इस कंपनी के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) के चेयरमैन होंगे। निदेशक मंडल में कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग, हरियाणा विकास एवं पंचायत विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, वित्त तथा रोजगार विभाग के प्रशासनिक सचिवों के अलावा सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव और कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक शामिल होंगे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

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