ड्रग्स वाले मामले के बाद सजायाफ्ता रामपाल इस केस में भी हुआ बरी

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ड्रग्स वाले मामले के बाद सजायाफ्ता रामपाल इस केस में भी हुआ बरी

ड्रग्स वाले मामले के बाद सजायाफ्ता रामपाल इस केस में भी हुआ बरी


सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने व लोगों को बंधक बनाने के केस में कोर्ट ने सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को बरी कर दिया है। इस केस के अलावा रामपाल को ड्रग्स केस में पिछले दिनों बरी किया जा चुका है। जिला एवं सत्र न्यायधीश अरुण कुमार सिंघल की कोर्ट ने इस केस पर सुनवाई करते हुए रामपाल व अन्य चार को केस में बरी कर दिया है। इस मामले में सरकार की तरफ से जिला कोर्ट में अपील की गई थी। इससे पहले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा 2017 में रामपाल व अन्य को बरी किया जा चुका था। सरकार ने इसमें उपरी कोर्ट में इस बारे में अपील की थी।

बरवाला थाना पुलिस ने 17 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल, बधावड़ वासी रामफल, सोनीपत के भटगांव वासी राजेंद्र कुमार, रोहतक के बिजेंद्र, इमलौटा के प्रीतम के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने, बंधक बनाने के आरोपों में केस दर्ज किया था। इस केस पर सुनवाई करते हुए 29 अगस्त 2017 को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मुकेश सैनी की कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों को केस से बरी कर दिया था। तीन साल तक चली कोर्ट कार्रवाई के बाद जिला कोर्ट ने निचली कोर्ट का फैसला बरकार करते हुए सरकार की अपील को ख़ारिज कर दिया।सतलोक आश्रम का संचालक रामपाल फिलहाल हत्या के केस में आखिरी सांस तक की सजायाफ्ता होने के बाद हिसार सेंट्रल जेल में बंद है।

गौरतलब है कि साल 2006 में रामपाल के हिसार के बरवाल आश्रम को लेकर विवाद हुआ था।  इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई थी। रामपाल के समर्थकों ने हिसार कोर्ट में हगांमा किया था जिसके चलते पुलिस ने उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और ये मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया था। इसके बाद 2013 में रोहतक के करौथा गांव में कब्जे को लेकर विवाद हुआ था जिसमें दो गुटों में झगडा हुआ था। इसी दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी। मौत के मामले में उन्हें अदालत में पेश होना था।

नवंबर 2014 में अदालत ने रामपाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था और 10 नवंबर को रामपाल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।इसके बाद रामपाल के समर्थकों ने उन्हें अस्वस्थ बताकर अदालत में पेश नहीं होने दिया था। 19 नवंबर को पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार करना चाहा तो उसी दौरान समर्थकों का पुलिस के साथ भयंकर टकराव हुआ था। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने 20 नवंबर को आश्रम खाली करवा कर अपने कब्जे में ले लिया था। 11 अक्टूबर 2018 को हत्या के मामलों में रामपाल समेत 22 लोगों को दोषी करार दिया गया था। इन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि देशद्रोह के मामले में अभी भी कोर्ट में सुनवाई जारी है।

बता दें रामपाल हिसार के बरवाला में तथा रोहतक के करौथा आश्रम चलाता था। वो पहले हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर था और साल 2000 में  हरियाणा सरकार ने लापरवाहियों के चलते उन्हें बर्खास्त कर दिया था।  रामपाल के आश्रम में सभी कमरे एयर कंडीशनर थे और प्रवचन गृह में कई एलईडी लगी हुई थीं।  आज भी इसके नाम से कई आश्रम हैं और लाखों की तादाद में समर्थक हैं। 

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