'.तो भगवान भी हमारी मदद नहीं करेंगे' ,सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन पॉलिसी पर बोला दिल्ली हाईकोर्ट

  1. Home
  2. NATIONAL

'.तो भगवान भी हमारी मदद नहीं करेंगे' ,सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन पॉलिसी पर बोला दिल्ली हाईकोर्ट

'.तो भगवान भी हमारी मदद नहीं करेंगे' ,सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन पॉलिसी पर बोला दिल्ली हाईकोर्ट


दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सरकार की वैक्सीनेशन नीति (Vaccination Policy) पर सवाल उठाया है. मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि युवाओं को बचाना होगा क्योंकि वो हमारे देश का भविष्य हैं. कोर्ट ने कहा, ”ये संतोषजनक व्यवस्था नहीं हैं. आपने शुरुआत में 45-60 साल के लोगों का टीकाकरण शुरू किया था और अब आपने इसे 18 साल से ऊपर युवाओं के लिए पेश किया है. हालांकि आप उनका टीकाकरण नहीं कर रहे हैं. जब कोई टीका उपलब्ध ही नहीं है तो आपने उनके लिए टीकाकरण की घोषणा क्यों की?”

कोर्ट ने कहा, ” इतनी गलत घोषणा क्यों करनी पड़ी? हमें भविष्य में निवेश करना है, भविष्य में आराम नहीं करना है. हम अपने देश के युवाओं को दरकिनार कर रहे हैं और वृद्ध लोगों को तरजीह दे रहे हैं.”

कोर्ट ने कहा, अब तक कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं. युवा वर्ग देश का भविष्य है. हम अपने रास्ते से भटक रहे हैं. हमें अपने भविष्य की रक्षा करने की जरूरत है, हमें अपने युवाओं को बचाने की जरूरत है.

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह आगे का रास्ता तय करे. उन्होंने इटली के उदाहरण का हवाला दिया, जहां अस्पतालों में बिस्तरों की कमी होने पर युवाओं और बूढ़ों में से य़ुवाओं को चुना गया था.

कोर्ट ने आगे कहा, ”हमारे पास बुजुर्ग मरीजों के लिए बेड नहीं हैं. आपके 80 साल के बुजुर्ग ने अपना जीवन जी लिया है. जब हम संकट के समय में होते हैं आदर्श रूप से, आपको सभी को बचाना चाहिए लेकिन अगर आपके पास संसाधन नहीं हैं तो छोटों के बारे में सोचने का फैसला करें.” कोर्ट ने कहा, “भगवान भी हमारी मदद नहीं करेंगे अगर हम खुद की मदद नहीं करते हैं. आपके पास सभी आंकड़े हैं. " वहीं केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अमित महाजन ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है.

इससे पहले वैक्सीनेशन नीति पर सुनवाई करते हुए सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा थ कि वह उनके सामने एक नीति रखें कि एम्फोटेरिसिन-बी की तीव्र कमी के बीच किसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति सांघी और न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अधिकारियों को दवा की आपूर्ति कम होने तक कुछ आयु समूहों या वर्गों को बाहर करने का “कठोर फैसला” लेना होगा.

पीठ ने कहा कि अगर दो मरीज हैं जिन्हें दवा की जरूरत है. एक जो 80 साल का है और दूसरा 35 साल का है, और दवा की केवल एक खुराक है, तो एक को बाहर करना होगा. कोर्ट ने कहा, हम उस स्थिति का सामना कर रहे हैं. हमें इस पुल को पार करना होगा. क्या आप इसे 80 साल के बुजुर्ग को देंगे या उस 35 वर्षीय व्यक्ति को देंगे, जिसके दो बच्चे हैं? कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाब के साथ मंगलवार को वापस लौटने को कहा था.

Around The Web

Uttar Pradesh

National