भारी विरोध के चलते आखिरकार झुकना पड़ा खट्टर सरकार को Students के सामने, जानिये क्या है मामला
हरियाणा | मनोहर सरकार ने प्रदेश की यूनिवर्सिटीज को कर्ज देने के अपने फैसले को वापस ले लिया है. भारी विरोध के चलते अब प्रदेश की 10 यूनिवर्सिटी को 147.75 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी की जाएगी. जबकि सरकार के वित्त विभाग ने 29 अप्रैल 2022 को जारी पत्र में यूनिवर्सिटी को ग्रांट नहीं, बल्कि 147.75 करोड़ का कर्ज देने की बात कही थी. इस फैसले का चौतरफा विरोध हुआ तो सरकार ने इसे वापस लेने में ही अपनी भलाई समझी.
यूनिवर्सिटी को जारी की ग्रांट
'कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को 59 करोड़', 'महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक को 23.75', 'बीपीएसएमवी खानपुर कलां सोनीपत को 12.50 करोड़', 'इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर रेवाड़ी को 4.50 करोड़', 'चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी जींद को 5.50 करोड़', 'एस्टेबलिशमेंट ऑफ गुरुग्राम यूनिवर्सिटी गुरुग्राम को 6.50 करोड़', 'डॉ. बीआर अंबेडकर एनएलयू सोनीपत को 7.25 करोड़', 'महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी कैथल को 8.75 करोड़', 'चौधरी बंसी लाल यूनिवर्सिटी भिवानी को 10 करोड़', 'चौधरी देवी लाल यूनिवर्सिटी सिरसा को 10 करोड़',
सरकार का जताया आभार
राज्य सरकार के वित्त विभाग ने अप्रैल महीने में एक पत्र जारी कर यूनिवर्सिटी को जारी होने वाले ग्रांट पर रोक लगाते हुए कर्ज देने की प्रथा शुरू की थी. इसके विरोध में राज्य की यूनिवर्सिटी जुड़े टीचर्स एसोसिएशन, गैर शिक्षक संघ और छात्र संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बुधवार को तीन घंटे की हड़ताल की थी. जिसके चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा.
जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा कि यह पैसा यूनिवर्सिटी को इसलिए जारी किया जाता है, ताकि गरीब, मध्यम सहित अन्य वर्गों के बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर सकें. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के छात्र संगठन इनसो ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था. अब सरकार ने अपने फैसले को वापस ले लिया है, जो स्वागत योग्य है.