कथूरा गांव ने किसानों के लिए 8 ट्राली गेहूं दान में दिया  कुंडली बॉर्डर पर गेहूं सहित अन्य खाद्य सामग्री से भरी ट्राली लेकर पहुंचे किसान

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कथूरा गांव ने किसानों के लिए 8 ट्राली गेहूं दान में दिया  कुंडली बॉर्डर पर गेहूं सहित अन्य खाद्य सामग्री से भरी ट्राली लेकर पहुंचे किसान

कथूरा गांव ने किसानों के लिए 8 ट्राली गेहूं दान में दिया  कुंडली बॉर्डर पर गेहूं सहित अन्य खाद्य सामग्री से भरी ट्राली लेकर पहुंचे किसान


कथूरा गांव ने किसानों के लिए 8 ट्राली गेहूं दान में दिया 
कुंडली बॉर्डर पर गेहूं सहित अन्य खाद्य सामग्री से भरी ट्राली लेकर पहुंचे किसान
अरुण कुमार . गोहानाा
तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए चल रहे किसान आंदोलन के लिए गांव कथूरा के ग्रामीणों ने 8 ट्राली गेहूं दान में दिया है। बृहस्पतिवार को गांव के लोग गेहूं से भरी ट्रालियों व अन्य खाद्य सामग्री के साथ कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने पर पहुंचे। गौरतलब है कि धरने पर आगामी पूरे 1 साल के लिए अनाज कम न पड़े इसके लिए क्षेत्र में अनाज संग्रह अभियान चलाया जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर किसान पिछले कई महीने से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के तहत किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चारों तरफ मुख्य मार्गों पर धरनों पर बैठे हुए हैं। कुंडली बॉर्डर पर भी किसानों का धरना चल रहा है। अगर आंदोलन ज्यादा लंबा चलता है तो धरनों पर अनाज की कमी न हो इसके लिए किसानों द्वारा अनाज संग्रह अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत गांव कथूरा के ग्रामीणों ने आंदोलन के लिए 8 ट्राली गेहूं दान में दिया है। बृहस्पतिवार को ग्रामीण अनाज सहित अन्य खाद्य सामग्री से भरी ट्रालियों के साथ कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के लिए कुंडली बॉर्डर पर आगामी पूरे 1 साल के लिए अनाज जमा किया जाएगा। जरूरत के हिसाब से दूसरी जगह चल रहे धरनों पर भी यहीं से अनाज व अन्य खाद्य सामग्री भेजी जाएगी। उनके अनुसार लॉकडाउन के चलते भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों का भी पलायन शुरू हो गया है। धरनों पर मजदूरों के लिए भी खाने-पीने की पूरी व्यवस्था कर दी गई है। 
मरेंगे तो सरकार के साथ लडक़र 
भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने कहा कि तीन नए कृषि कानून किसान व मजदूर के लिए डेथ वारंट हैं। इन कानूनों के लागू होने से कृषि का परम्परागत ढ़ांचा ध्वस्त हो जाएगा तथा किसान और मजदूर बर्बाद हो जाएंगे। नरवाल ने कहा कहा कि जब किसानों और मजदूरों को मरना ही है तो वे इन कृषि कानूनों की वजह से नहीं अपितु सरकार से लडक़र मरेंगे।
अब तो पीछे हटने का सवाल नहीं 
किसान राज नंबरदार, राममेहर ठेकेदार, सुनील, सत्यवान नंबरदार, सतपाल, अजमेर, दिलबाग, उमेश, शिवकुमार, कृष्ण और अमित ने कहा कि किसान आंदोलन को चले हुए 5 महीने से भी अधिक बीत चुके हैं। अब तक सरकार ने किसानों की नहीं सुनी। अब तो पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। अब यह किसान आंदोलन नहीं जनांदोलन बन चुका है। देश के सभी वर्गों के लोग इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। अब सरकार का घमंड भी टूटेगा और उसे तीनों कृषि कानूनों को वापस भी लेना पड़ेगा। 

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