मेडिकल छात्रों के लिए अच्छी खबर: SC ने दिया आदेश- विदेश में पढाई करके बिना किसी ट्रेनिंग के देश में करेंगे प्रैक्टिस छात्र

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मेडिकल छात्रों के लिए अच्छी खबर: SC ने दिया आदेश- विदेश में पढाई करके बिना किसी ट्रेनिंग के देश में करेंगे प्रैक्टिस छात्र

मेडिकल छात्रों के लिए अच्छी खबर: SC ने दिया आदेश- विदेश में पढाई करके बिना किसी ट्रेनिंग के देश में करेंगे प्रैक्टिस छात्र


हर साल हजारों छात्र विदेश से मेडिकल पढ़ाई कर देश वापस आते हैं, लेकिन क्या भारत आने के बाद वे यहां बिना ट्रेनिंग किए प्रैक्टिस कर पाएंगे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले वो छात्र, जिन्होंने वहां फिजिकली क्लीनिकल ट्रेनिंग नहीं ली है, वो देश में प्रैक्टिस करने के लिए जरूरी प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन पर दावा नहीं कर सकते. नेशनल मेडिकल कमीशन ऐसे छात्रों को प्रैक्टिस के लिए दी जाने वाली ट्रेनिंग के लिए जरूरी सर्टिफिकेट देने के लिए बाध्य नहीं है.

बिना ट्रेनिंग लोगों के स्वास्थ्य से होगा खिलवाड़

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के ऐसे छात्रों को इंटर्नशिप पूरी करने के लिए सर्टिफिकेट देना देश के लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करना होगा. बिना प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के किसी डॉक्टर से ये उम्मीद नहीं रखी जा सकती कि वो देश के लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखेगा.

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

दरअसल, इस मामले में मेडिकल छात्रों ने चीन के मेडिकल कॉलेज में अपने एकेडमिक कोर्स के नौ सेमेस्टर पूरे कर लिए थे. कोविड महामारी के चलते 10वें सेमेस्टर में होने वाली क्लीनिकल ट्रेनिंग उन्होंने ऑनलाइन की थी. इस आधार पर उन्हें वहां से MBBS की डिग्री भी  मिल गई, लेकिन तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल ने उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया. छात्रों ने इसके खिलाफ मद्रास हाई का रुख किया. हाई कोर्ट ने छात्रों के हक में आदेश दिया.

कोर्ट ने NMC से स्कीम बनाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिए जाने की मांग तो ठुकरा दी, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि ऐसे छात्र जिन्होंने विदेश से पढ़ाई पूरी की है, राष्ट्रीय संसाधन होने के नाते उन्हें यूं ही बर्बाद नहीं किया जा सकता. देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने में उनकी भी सेवा ली जानी चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि ऐसे छात्र असल में क्लीनिकल ट्रेनिंग जरूर लें. इसलिए कोर्ट ने नेशनल मेडिकल काउंसिल से कहा है कि वो दो महीने के अंदर ऐसे छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में क्लीनिकिल ट्रेनिंग दिलाने के लिए स्कीम बनाए. ट्रेनिंग की समयसीमा, उसके लिए जरूरी फीस नेशनल मेडिकल काउंसिल तय करे.

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