पंचायतों के 20 महीने तक भंग रहने से गांवों का विकास थम गया

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पंचायतों के 20 महीने तक भंग रहने से गांवों का विकास थम गया

पंचायतों के 20 महीने तक भंग रहने से गांवों का विकास थम गया


(K9 Media) पानीपत। हरियाणा में पंचायतों को 23 फरवरी 2021 को भंग कर दिया गया और उसे बाद से गांवों के विकास की डोर जिला प्रशासन के हाथ में थी, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। पंचायतों के 20 महीने तक भंग रहने से गांवों का विकास थम गया। हर गांव में जलापूर्ति और स्वच्छता संबंधी योजनाओं के लिए जारी किया गया बजट इस्तेमाल नहीं हो सका। पानीपत पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले 35 गांवों के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत वित्त वर्ष 2021-2022 में नौ करोड़ रुपये तय किया गया, जिसमें से महज तीन करोड़ रुपये ही जारी हुए, क्योंकि विकास कार्यों के प्रस्ताव बनाकर ही नहीं भेजे गए। जारी किए गए इन तीन करोड़ में से भी महज दो करोड़ रुपये ही खर्च किए गए और नौ करोड़ रुपये के उपलब्ध फंड में से सात करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए जा सके। 15वें वित्त आयोग के तहत गांवों में जलापूर्ति और स्वच्छता संबंधी योजनाओं को लागू करने के लिए फंड जारी किया गया था। पंचायत समिति पानीपत के 35 में 14 गांव ऐसे रहे, जहां एक रुपया भी वित्त वर्ष 2021-22 में खर्च नहीं किया गया। सिवाह, ददलाना और बराना गांवों में विकास के लिए फंड अधिक रहा, लेकिन यहां पर एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। इन गांवों में विकास कार्यों पर खर्च शून्य रहा। केवल एक गांव, जहां लगभग पूरा फंड लगा
महज एक गांव महमदपुर रहा, जहां इस वित्त वर्ष में 13 लाख का बजट तय किया गया था। इस वित्तीय वर्ष में चार लाख रुपये जारी किया गए और विकास कार्यों के लिए मौजूद बजट कुल 14 लाख रुपये था। इसमें से महज 78222 रुपये ही खर्च नहीं हुए। बाकी से विकास कार्य हुए।
पंचायत समिति पानीपत के गांवों में चुनाव के लिए इस बाद दो नई ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। यह गांव हैं डेरा सिकलीगर और छोटी राजापुर। यहां पर पहली बार सरपंच चुने जाएंगे। इन गांवों में विकास कार्यों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में विकास के लिए 10 लाख रुपये तक का फंड तय किया गया था। इन गांवों विकास के लिए दो-दो लाख रुपये की राशि उपलब्ध थी, लेकिन एक रुपया खर्च नहीं किया गया।

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