भारत में गधों पे संकट: महाराष्ट्र में 25 तो यूपी में 16 हजार ही बचे, जानें- आपके प्रदेश में कितने गधे

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भारत में गधों पे संकट: महाराष्ट्र में 25 तो यूपी में 16 हजार ही बचे, जानें- आपके प्रदेश में कितने गधे

भारत में गधों पे संकट: महाराष्ट्र में 25 तो यूपी में 16 हजार ही बचे, जानें- आपके प्रदेश में कितने गधे


(K9 Media) उपयोगिता कम होने के चलते देश में गधों की प्रजाति पर संकट आ गया है। पूरे देश में गधों की संख्या एक लाख 20 हजार से भी कम रह गई है। राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 10 ही राज्य ऐसे हैं, जहां इनकी आबादी एक हजार से अधिक है। हरियाणा में तो इनकी कुल संख्या महज 800 ही है। इसमें से भी अंबाला में केवल तीन गधे ही बचे हैं, जबकि भिवानी में सबसे अधिक 80 गधे हैं। गधों की घटती आबादी से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक संतुलन के लिहाज से भी गधों के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इंसान ने अपनी जरूरत के हिसाब से जानवरों को पालता है। लंबे समय तक बोझ ढोने के लिए गधा पालन होता था लेकिन जैसे-जैसे मशीनों का उपयोग बढ़ता गया, गधों की उपयोगिता खत्म होती गई। 

उपयोग नहीं होने के चलते पालनहारों ने गधों से दूरी बना ली। इसका असर इनकी आबादी पर पड़ने लगा। बीते 15 साल में ही गधों की आबादी साढ़े चार लाख से घटकर एक लाख के करीब आ गई। वर्ष 2019 में हुई पशुगणना के अनुसार देश में गधों की कुल आबादी एक लाख 20 हजार थी, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या तीन लाख 20 हजार और वर्ष 2007 में चार लाख 20 हजार थी। अगली पशुगणना 2024 में होगी।

केवल 10 राज्यों में ही एक हजार से अधिक है आबादी
पशुपालन विभाग के अनुसार तीन साल पहले हुई पशुगणना में राजस्थान में 23 हजार, महाराष्ट्र में 25 हजार, यूपी में 16 हजार, गुजरात व बिहार में 11 हजार, जम्मू कश्मीर में 10 हजार, कर्नाटक में 9 हजार, मध्य प्रदेश में आठ हजार व हिमाचल और आंध्र प्रदेश में 5-5 हजार गधे बचे थे। हर साल इनकी आबादी कम होती जा रही है और अगली पशुगणना में इनकी संख्या एक लाख से भी कम रहने की आशंका है। हरियाणा में केवल 800 गधे ही बचे हैं। यही हाल पंजाब और उत्तराखंड का भी है। उत्तराखंड में भी गधों की कुल आबादी एक हजार से कम ही है।

हरियाणा: सबसे कम तीन गधे अंबाला में
पशुधन के मामले में संपन्न हरियाणा में तो गधों की कुल संख्या ही 800 दर्ज है। इसमें भी अंबाला में 3, सोनीपत में 4, कैथल में 6, पानीपत में 6, कुरुक्षेत्र में 10, फतेहाबाद में 12, जींद में 14 और यमुनानगर में 15 गधे ही बचे हैं। इसके अलावा महेंद्रगढ़ में 19, फरीदाबाद में 21, करनाल में 21, पंचकूला में 22,  रेवाड़ी में 22, चरखी दादरी में 33, झज्जर में 37, मेवात में 70, हिसार में 70, पलवल में 79, रोहतक में 79, सिरसा में 79, भिवानी में 80 और गुरुग्राम में 88 गधे हैं।

गधों की घटती संख्या चिंता का विषय है। उपयोगिता कम होने की वजह से लोगों ने इनका पालन छोड़ दिया है। जिस तरह से इनकी आबादी कम हो रही है, आने वाले कुछ ही वर्षों में शायद इनके विषय में किताबों में ही पढ़ना होगा। शोध कार्यों के लिए भी इस प्रजाति को संरक्षित करने की जरूरत है। - डॉ. यशपाल शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार।

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