Haryana: CM मनोहर लाल ने अपने बचपन के स्कूल की हालत कर बदतर, विद्यार्थियों को ........

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Haryana: CM मनोहर लाल ने अपने बचपन के स्कूल की हालत कर बदतर, विद्यार्थियों को ........

Haryana: CM मनोहर लाल ने अपने बचपन के स्कूल की हालत कर बदतर, विद्यार्थियों को ........


(K9 Media) 

राजकीय विद्यालय, आनंदपुर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दसवीं तक की पढ़ाई की थी। तबादला नीति के तहत स्कूल से पांच शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया है। एक पद खत्म किया गया है। विद्यार्थी और परिजन बोले कि पहले किताबें नहीं पहुंची अब शिक्षकों की कमी से परेशानी हैं। 

शिक्षकों के तबादलों में हुई विसंगतियों के कारण जिस स्कूल से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्राथमिक और माध्यमिक की पढ़ाई की, आज उस स्कूल में छात्रा को पढ़ाना पड़ रहा है। बात हो रही है रोहतक के भाली आनंदपुर गांव स्थित राजकीय विद्यालय की, जहां से तबादला नीति के तहत पांच शिक्षकों को स्थानांतरण किया गया है, जबकि पीजीटी में अर्थशास्त्र शिक्षक का पद ही खत्म कर दिया गया है। इससे विद्यार्थियों और क्षेत्रवासियों में रोष है। गुरुवार को अमर उजाला की पड़ताल यहां एक छात्रा ही बच्चों को पढ़ाती नजर आई, जबकि दूसरी क्लास में एक महिला बच्चों को पढ़ा रही थी, जो स्कूल की शिक्षक नहीं थी।

भले ही सीएम मनोहर लाल का जन्म रोहतक के निंददाना गांव में हुआ था, लेकिन उनका बचपन बनियानी गांव में गुजरा। यहां से एक किलोमीटर दूर स्थिति राजकीय विद्यालय आनंदपुर से उन्होंने दसवीं तक पढ़ाई की थी। इसी वर्ष अप्रैल में सीएम ने ही स्कूल के नए भवन का उद्घाटन किया था।

उस दौरान अपना बचपन यादकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल भावुक भी हो गए थे, उन्होंने बताया था कि 1965 में इस विद्यालय में छठी कक्षा में प्रवेश लिया था और दसवीं कक्षा तक यहीं पढ़ाई की थी। वे गांव बनियानी से रोजाना 41 एकड़ खेतों के बीच से पैदल चलकर स्कूल में पहुंचते थे, लेकिन तबादला नीति की विसंगतियों से सीएम का यह विद्यालय भी बच नहीं सका।

स्थिति यह है कि यहां 19 में से पांच शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। इसमें टीजीटी के दो और पीजीटी के तीन शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा पीजीटी के एक शिक्षक का पद ही खत्म कर दिया गया है। फिलहाल स्कूल में 417 विद्यार्थी हैं, जिनके परिजनों में भी शिक्षकों की कमी से रोष है।

शिक्षक ही नहीं हैं स्कूल में, पढ़ाई कैसे होगी
राजकीय स्कूल में बेटे का दाखिला करवा रखा है। बेटा रोजाना बताता है कि स्कूल के अधिकतर शिक्षकों के तबादले होने से पढ़ाई नहीं हो रही है। छमाही परीक्षा भी नजदीक है। नियमित तौर पर शिक्षक नहीं होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी।

पहले किताबें समय पर नहीं पहुंचीं, अब शिक्षक नहीं
मेरे दो बच्चे राजकीय स्कूल में पढ़ रहे हैं। अप्रैल में बच्चों के दाखिले करवाए थे। दाखिले के तीन महीने बाद जुलाई में बच्चों को किताबें दी गई। अब स्कूल में शिक्षक ही नहीं हैं। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। - सुनील, अभिभावक

अर्थशास्त्र विषय के बच्चे कहां पढे़ंगे
मेरी भतीजी राजकीय स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती है। अर्थशास्त्र में रुचि होने की वजह से उसने इसे मुख्य विषय चुना है। शैक्षणिक सत्र के बीच में स्कूल से यह पद खत्म कर दिया। विकल्प के तौर पर विषय बदलने के लिए कहा गया है। विभाग के फैसले का बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ेगा। - अशोक, अभिभावक

पद दोबारा जारी नहीं किया तो करेंगे विरोध
राजकीय विद्यालय में गांव के करीब चार सौ बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों के पद खत्म कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। खत्म किए हुए पदों को दोबारा जारी नहीं किया गया तो ग्रामीण सामूहिक तौर पर विरोध करेंगे।

पहले स्कूल में कुल 19 शिक्षक कार्यरत थे। अर्थशास्त्र पीजीटी का पद खत्म किया गया है। पांच अन्य शिक्षकों के तबादले किए गए हैं। गुरुवार को नए शिक्षकों ने स्कूल में ज्वाइनिंग दी है। जल्द ही स्कूल में पठन-पाठन सुचारु होगा।
स्थानांतरित पदों पर गुरुवार से नए शिक्षकों को पदभार संभालना है। पद खत्म होने के मामले में स्कूलों में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है।

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