पानीपत के जांबाज ड्राइवर-कंडक्टर सम्मानित:क्रिकेटर ऋषभ पंत की बचाई थी जान

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पानीपत के जांबाज ड्राइवर-कंडक्टर सम्मानित:क्रिकेटर ऋषभ पंत की बचाई थी जान

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रूड़की में कार हादसे का शिकार हुए क्रिकेटर ऋषभ पंत को हरियाणा रोडवेज बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने मर्सिडीज से बाहर निकाला। फिर एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल भिजवाया। पंत के कहने पर उन्होंने उनकी मां को भी फोन किया लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला।

वहीं, पंत को बचाने का पता चलने के बाद पानीपत रोडवेज डिपो के GM ने दोनों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। पानीपत पहुंचकर रोडवेज बस के ड्राइवर सुशील और कंडक्टर परमजीत ने पूरे मामले की जानकारी दी।

1 महीने से चला रहे इस रूट पर बस
जानकारी देते हुए ड्राइवर सुशील ने बताया कि वह करनाल के गांव बल्ला का रहने वाला है। वह हरियाणा रोडवेज के पानीपत डिपो में ड्यूटी कर रहा है। पिछले करीब 1 महीने से डिपो की बस नंबर HR67A8824 में पानीपत से हरिद्वार और हरिद्वार से पानीपत रूट पर बस चला रहा है। उसके साथ उसके ही गांव का कंडक्टर परमजीत भी है। शुक्रवार को वह रोजाना की तरह सुबह 4:25 पर हरिद्वार से पानीपत के लिए चले थे।

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सामने से ही अनियंत्रित आ रही थी
सुशील ने बताया कि सुबह करीब 5:20 बजे जब वे नारसन गुरुकुल के नजदीक पहुंचे तो सुशील ने आगे देखा कि एक गाड़ी आ रही है। जो अनियंत्रित नजर आ रही थी। उनके देखते ही देखते गाड़ी उनके नजदीक पहुंची और रेलिंग से टकराते हुए सड़क पार कर उनकी बस के आगे आ गई। इससे पहले कि वह बस के आपातकाल ब्रेक लगाता, तब तक गाड़ी चार पलटी खाते हुए कंडक्टर साइड चली गई। जिसके बाद गाड़ी सीधी खड़ी हो गई।

देखते ही देखते कार में डिग्गी की तरफ से लगी आग
उन्होंने आनन-फानन में बस को रोका। जिसके बाद दोनों नीचे उतरे तो तब तक कार की डिग्गी से आग लगनी शुरू हो गई थी। दोनों ने बिना देरी करें, महज 5 सेकंड के भीतर ड्राइवर साइड पर बाहर की तरफ लटके हुए पंत को घसीट कर बाहर निकाला और कच्चे डिवाइडर पर छाती के बल लिटा दिया। इसके बाद उन्होंने गाड़ी को चारों तरफ से देखा कि कहीं उसके भीतर और सवारी तो नहीं है।

ऋषभ पंत बोले; लग गई थी झपकी, मैं हूं भारतीय क्रिकेटर
खुद की जान जोखिम में डालकर ड्राइविंग करने पर कंडक्टर परमजीत ने मर्सिडीज सवार चालक को तेज आवाज में कहां कौन है तू? क्या देखकर ड्राइविंग नहीं कर सकता था?। जिस पर मर्सिडीज सवार शख्स ने कहा कि मैं भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत हूं। हालांकि ड्राइवर सुशील ने उन्हें पहचाना नहीं था। मगर, कंडक्टर परमजीत कभी कभार क्रिकेट देख लेते हैं तो उन्हें पहचान हो गई।

चालक ने पुलिस को और परिचालक ने एंबुलेंस को की लगातार कॉल
हादसे के बाद ड्राइवर ने पुलिस कंट्रोल रूम नंबर डायल 112 और कंडक्टर ने एंबुलेंस कंट्रोल रूम नंबर 108 पर लगातार कॉल की। करीब 12 से 15 मिनट के भीतर मौके पर एंबुलेंस पहुंची। इसके बाद ऋषभ पंत समेत मौके से बचाया गया सामान एंबुलेंस में रखा गया।

उन्होंने एंबुलेंस ड्राइवर को बताया यह भारतीय क्रिकेटर है इन को किसी अच्छे अस्पताल में ले जाया जाए। करीब 20 मिनट तक मौके पर ड्राइवर-कंडक्टर समेत तमाम सवारियां खड़ी रही। जब ऋषभ पंत को वहां से अस्पताल के लिए ले जाया गया, तब यह दोनों अपनी बस और सवारियों को लेकर पानीपत की ओर रवाना हुए।

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ऋषभ पंत की मां का नंबर था स्विच ऑफ
हादसे के बाद भारतीय विकेटकीपर ऋषभ पंत ने रोडवेज कंडक्टर को कहा कि वह उनकी मां को फोन करें। परिचालक का नंबर एंबुलेंस कंट्रोल नंबर पर लगातार जारी था, जिस वजह उन्होंने एक सवारी को फोन करने को कहा। जब ऋषभ पंत की मां को कॉल की गई, तो उनका नंबर स्विच ऑफ था। जिस पर ऋषभ पंत ने कहा कि शायद मां सो रही होंगी, इसलिए उनका नंबर बंद है। इसके बाद उन्होंने पानी मांगकर पिया।

UP की सवारियों ने नहीं की मदद, हरियाणवी आए आगे
ड्राइवर-कंडक्टर ने कहा कि जब हरिद्वार से चले थे तो उनकी बस में महज एक महिला सवारी थी। इसके बाद पतंजलि के बाहर से एक सवारी मिली। रुड़की से 13 सवारियां मिली। इस तरह घटनास्थल तक पहुंचने तक उनकी बस में करीब 35 सवारियां थी।

बस में सवार हरियाणा की सवारियां मदद के लिए आगे आई। उन्होंने हर तरह से मदद की। यहां तक की सड़क पर बिखरे ऋषभ पंत के करीब 5 से 7 हजार की नकदी भी इकट्ठे की। इसके बाद अन्य सामान भी गाड़ी से किसी तरह निकाला और ऋषभ पंत के साथ एंबुलेंस में रखवा दिया।

रोडवेज के जीएम बोले: सरकार ने राज्य स्तरीय सम्मान की कही बात
इस बारे में पानीपत रोडवेज डिपो GM कुलदीप जांगड़ा ने बताया कि उनके पास परिवहन मंत्री कार्यालय से फोन आया है, जिन्होंने ड्राइवर और कंडक्टर का राज्यस्तरीय सम्मान करने की बात कही है। वहीं इन्हें मानवता की मिसाल पेश करने पर पानीपत डिपो की तरफ से प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया है।

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