भारतीय संविधान न्याय, समानता व स्वतंत्रता के सिद्धांतों को स्थापित करता है: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

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भारतीय संविधान न्याय, समानता व स्वतंत्रता के सिद्धांतों को स्थापित करता है: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

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 हरियाणा के महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आधारशिला के रूप में हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। यह हमारे देश में न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को स्थापित करता है। श्री दत्तात्रेय मंगलवार को ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने अपने संबोधिन में कहा कि आज युवा पीढ़ी पर संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और उसे संरक्षित करने की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है। हमारे संविधान का विस्तृत ढांचा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्ति को संतुलित करता है और जवाबदेह कानून का शासन सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक सिद्धांतों को जोडक़र एक समावेशी, न्यायपूर्ण व प्रगतिशील समाज के निर्माण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा संविधान लोकतांत्रिक आदर्शों और समावेशिता के प्रतीक के रूप में देश की विविधता में एकता के प्रमाण के रूप में खड़ा है उन्होंने कहा कि हमारा संविधान वंचित वर्गों के लिए शिक्षा के अधिकार, सम्मान के अधिकार, समानता के अधिकार और न्याय के अधिकार के लिए भी प्रतिबद्ध है।

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कार्यक्रम के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में स्थापित किए गए संविधान संग्रहालय की प्रशंसा भी की और कहा कि ऐसे संग्रहालय की प्रतिकृति प्रत्येक राज्य व जिला में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय न केवल छात्रों को संविधान के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा बल्कि यह जनता को भी सूचित करेगा।
उन्होंने कहा कि आज प्रथम संविधान सभा के दूरदर्शी सदस्यों को याद करने का भी अवसर है, जहां डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने महान संविधान का निर्माण किया और उसका मसौदा तैयार किया, जिसने भारत को दुनिया के सबसे बड़े गणराज्य के रूप में स्थापित किया। संविधान को गहन अध्ययन, शोध और विद्वत्ता के बाद लिखा गया था, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में एक वास्तविक चुनौती थी। आज यह 140 मिलियन भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव के रूप में, संविधान समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के आधार पर अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है।

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कार्यक्रम में विशविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा कि भारत में युवा लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए, जो भविष्य के नेतृत्व की यात्रा पर निकलेंगे, भारत का संविधान ज्ञान का एक प्रकाश स्तंभ है और एक स्थापित मार्ग है जो हमारे देश को संचालित करता है। हमें भारत के युवाओं के लिए संविधान के बारे में जानकारी तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर दबीरू श्रीधर पटनायक ने सम्मानित सभा को धन्यवाद प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम में संविधान सभा में शामिल सदस्यों के परिजनों को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में सभी ने अपने विचार भी रखे। कार्यक्रम में राई से विधायक कृष्णा गहलावत, सोनीपत से विधायक निखिल मदान, खरखौदा से विधायक पवन खरखौदा, गन्नौर से विधायक देवेंद्र कादियान, भाजपा जिलाध्यक्ष जसबीर दोदवा, एडीसी अंकिता चौधरी, सीटीएम रेणुका नांदल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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