पानीपत : NGT ने थर्मल पावर स्टेशन पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर लगाया 6.90 करोड़ का जुर्माना
हरियाणा के पानीपत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पानीपत थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 6.90 करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एक माह में जमा कराना होगा। अगर तय समय अवधि में जमा नहीं कराया गया तो इसको बढ़ाया भी जा सकता है। पिछले एक माह में एनजीटी द्वारा शराब फैक्ट्री, एनएफएल व अंसल पर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर हर्जाना लगाया जा चुका है।
वहीं पानीपत थर्मल पावर स्टेशन ने अदालत को आश्वासन दिया है कि राख बांधों में संग्रहीत 108 लाख मीट्रिक टन राख का दो से तीन साल के भीतर वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से निपटान कर दिया जाएगा। एनजीटी ने 31 जुलाई, 2027 तक राख को पूरी तरह से साफ करने का निर्देश दिया है।
सुताना गांव निवासी सुभेंद्र ने अपनी याचिका में कहा था कि खुखराना गांव में पानीपत थर्मल पावर स्टेशन द्वारा बिजली उत्पादन से निकलने वाली राख को अवैध रूप से आसपास के इलाकों में डंप किया जा रहा है। गर्मियों में राख के कण सुताना, जाटल, खुखराना, उंटला और आसन जैसे आस-पास के गांवों में फैल जाते हैं। इसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों और राहगीरों को सांस लेने में गंभीर समस्या पैदा हो गई। उन्होंने अपनी शिकायत में 20 मई 2022 की शाम चली तेज आंधी में राख उड़कर घरों में आने का जिक्र किया था।
22 सितंबर 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थर्मल पावर स्टेशन द्वारा अवैध रूप से डंप की जा रही राख की जांच के लिए समिति को निर्देश दिए थे। डीसी की अध्यक्षता में समिति ने यहां का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को दी थी।
थर्मल पावर स्टेशन ने अदालत को जानकारी दी है कि करीब 98 हजार पौधे लगाए गए हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उनमें से कितने अभी भी जीवित हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को जीवित रखना सुनिश्चित किए बिना उन्हें लगाना न तो प्रभावी कदम है और न ही पर्यावरण संरक्षण के किसी उद्देश्य को पूरा करता है।
एनजीटी ने पावर प्लांट को निर्देश दिया है कि वह निर्धारित क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाएं। यह भी सुनिश्चित करें कि अगले पांच वर्षों तक उनका अस्तित्व बना रहे। इसी तरह उन्हें ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए भी कहा गया है। एनजीटी ने थर्मल अधिकारियों को वन विभाग अधिकारी से परामर्श लेने को भी कहा है।
वहीं पानीपत थर्मल पावर स्टेशन ने अदालत को आश्वासन दिया है कि राख बांधों में संग्रहीत 108 लाख मीट्रिक टन राख का दो से तीन साल के भीतर वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से निपटान कर दिया जाएगा। एनजीटी ने 31 जुलाई, 2027 तक राख को पूरी तरह से साफ करने का निर्देश दिया है।
सुताना गांव निवासी सुभेंद्र ने अपनी याचिका में कहा था कि खुखराना गांव में पानीपत थर्मल पावर स्टेशन द्वारा बिजली उत्पादन से निकलने वाली राख को अवैध रूप से आसपास के इलाकों में डंप किया जा रहा है। गर्मियों में राख के कण सुताना, जाटल, खुखराना, उंटला और आसन जैसे आस-पास के गांवों में फैल जाते हैं। इसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों और राहगीरों को सांस लेने में गंभीर समस्या पैदा हो गई। उन्होंने अपनी शिकायत में 20 मई 2022 की शाम चली तेज आंधी में राख उड़कर घरों में आने का जिक्र किया था।
22 सितंबर 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थर्मल पावर स्टेशन द्वारा अवैध रूप से डंप की जा रही राख की जांच के लिए समिति को निर्देश दिए थे। डीसी की अध्यक्षता में समिति ने यहां का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को दी थी।
थर्मल पावर स्टेशन ने अदालत को जानकारी दी है कि करीब 98 हजार पौधे लगाए गए हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उनमें से कितने अभी भी जीवित हैं। अदालत ने कहा कि पेड़ों को जीवित रखना सुनिश्चित किए बिना उन्हें लगाना न तो प्रभावी कदम है और न ही पर्यावरण संरक्षण के किसी उद्देश्य को पूरा करता है।
एनजीटी ने पावर प्लांट को निर्देश दिया है कि वह निर्धारित क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के पौधे लगाएं। यह भी सुनिश्चित करें कि अगले पांच वर्षों तक उनका अस्तित्व बना रहे। इसी तरह उन्हें ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए भी कहा गया है। एनजीटी ने थर्मल अधिकारियों को वन विभाग अधिकारी से परामर्श लेने को भी कहा है।