Big Breaking: महिला कोच के सेक्शुअल हैरेसमेंट केस में पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर आज होगा फैसला, SIT ने किया जमानत का विरोध

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Big Breaking: महिला कोच के सेक्शुअल हैरेसमेंट केस में पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर आज होगा फैसला, SIT ने किया जमानत का विरोध

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Big Breaking: जूनियर महिला कोच के सेक्शुअल हैरेसमेंट केस के आरोपी हरियाणा के पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह की अग्रिम जमानत पर आज फैसला होगा। कल चंडीगढ़ कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं मंत्री की अग्रिम जमानत याचिका पर चंडीगढ़ पुलिस की SIT अपने जवाब में जमानत नहीं दिए जाने की दलील दे चुकी है।

एसआईटी ने अपने जवाब में कहा है कि संदीप सिंह की जमानत का कोई आधार नहीं बनता है, इसलिए जमानत याचिका को खारिज कर देना चाहिए।


मामले से जुड़े तथ्यों को मंत्री ने छिपाया

संदीप सिंह की अग्रिम जमानत याचिका के विरोध में कहा गया है कि याची संदीप सिंह ने जानबूझकर मामले से जुड़े तथ्य छिपाए हैं। इसमें जांच एजेंसी को प्रभावित करने और यही तथ्यों को निर्धारित करने में सहयोग न करने वाली जानकारी शामिल है। आरोपी पुलिस के नोटिस के बाद 7 जनवरी, 10 फरवरी, 2 जून और 2 अगस्त को पुलिस जांच में शामिल हुआ था। उसके द्वारा पुलिस को दिए बयानों और जांच में सामने आए तथ्यों के बीच विरोधाभास है।

नहीं कराया लाई डिसेप्शन टेस्ट

आरोपी का लाई डिसेप्शन टेस्ट करने के लिए जांच एजेंसी ने अदालत में 10 मार्च को अर्जी भी दायर की थी। अदालत द्वारा जवाब दायर करने के लिए दिए 13 अप्रैल के लिए ​दिए गए अंतिम अवसर पर आरोपी ने जवाब दायर कर टेस्ट करवाने से इंकार किया था। इसके बाद 5 मई को अर्जी का निपटारा हो गया। इससे पता चलता है कि आरोपी ने जांच एजेंसी को सहयोग नहीं किया।

दूसरी ओर अग्रिम जमानत का अ​धिकारी विशेषा​धिकार होता है जिसमें आरोपी के व्यवहार पर विचार करना सबसे अहम होता है। लाई डिसेप्शन टेस्ट की अर्जी पर लंबे समय तक जवाब न देना और बाद में इसके लिए मना कर देना दर्शाता है कि आरोपी सही तथ्य छिपा रहा है।

कोच को पैसे देने का किया प्रयास

दलील में यह भी कहा गया है कि आरोपी राज्य में मंत्री है और चुना हुआ प्रतिनि​धि है। ऐसे में उसका दायित्व बनता था कि वह लाई डिसेप्शन टेस्ट करवाए। ऐसे में यदि पीड़िता के लगाए आरोप झूठे होते तो सच सामने आ सकता था। वहीं आरोपी ने जांच को प्रभावित करते हुए पीड़िता को बहकाते हुए रुपयों का प्रस्ताव दिया। अपने पद का प्रयोग करते हुए उस पर दबाव बनाया। उसे निलंबित किया गया और CID के जरिए उस पर नजर रखी गई।

कोच की बिना शिकायत पर बना दी गई SIT

पीड़िता के ​​खिलाफ मंत्री के प्रभाव में झूठी ​शिकायत दायर की गई और बिना कोई एफआईआर दर्ज किए मामले में एसआईटी बना दी गई। यह सब पीड़िता का शोषण करने और उस पर दबाव बनाने के लिए किया गया। गैरकानूनी रूप से बनाई गई एसआईटी के जरिए पीड़िता और उसके परिवार पर भी दबाव बनाया गया। यह सब इसलिए किया गया ताकि पीड़िता अपनी ​शिकायत वापस ले ले।

यदि मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ दे दिया जाता है तो वह मुकदमे को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं पीड़िता को आरोप वापस लेने के लिए भी प्रभावित कर सकता है।

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