Haryana News : अमावस्या के मौके पर पांडु पिंडारा में श्रद्धालुओं की लगी भीड़, सरोवर पर लगाई आस्था की डुबकी
साल 2024 की पहली अमावस्या (पौष अमावस्या) है। जींद के पांडू पिंडारा में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया ।
धार्मिक मान्याताओं में पौष अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है। पौष अमावस्या जहां पितरों को खुश करने के लिए विशेष महत्व रखती है। वहीं काल सर्प दोष भी इसी दिन दूर किया जा सकता है। इस दिन कुशा घास की अंगूठी पहन कर श्राद्ध कर्म करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं दान व स्नान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन अवश्य करवाना चाहिए।
पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर वीरवार को पौष अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने कड़ाके की ठंड के बीच सरोवर में स्नान, पिंडदान करके करके तर्पण किया।
पांडु पिंडारा पर पूजा पाठ करते हुए श्रद्धालु।
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
पितरों की शांति के लिए पिंड दान करते लोग।
पितरों को खुश करने के लिए विशेष फलदायी है पौष अमावस्या : नवीन शास्त्री
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अमावस्या के दिन पितरों को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है। इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष अमावस्या के दिन वीरवार को पीपल की पूजा करें।