Haryana News: हरियाणा के बुर्ज खलीफा ने पंजाब में किया कमाल, मेल कैटेगरी में रहा नंबर वन
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पंजाब के मुक्तसर में चालीस शहीदों की याद में ऐतिहासिक माघी मेले की शुरुआत हो गई है। यहां सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली घोड़ा मंडी है, जो उत्तर भारत की सबसे बड़ी घोड़ा मंडी है। इसमें राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात से घोड़े लाए गए हैं।
मंडी में 2 लाख से लेकर 2 करोड़ रुपए तक के महंगे घोड़े हैं। इसमें नुकरा (सफेद घोड़ा), मारवाड़ी (राजस्थान) और मज्जुका नस्ल के घोड़े सबसे ज्यादा फेमस है।
मंडी में मांग के अनुसार घोड़ों की कीमतें उसकी खासियत के कारण बढ़ जाती है। यहां हॉर्स शो का भी आयोजन किया गया। घोड़ों ने अपनी कला, सुंदरता, खासियत के प्रदर्शन के साथ लंबी छलांग लगाई।
हॉर्स शो की फीमेल कैटेगरी में पहला स्थान 5 साल की हिना को मिला है। इसकी हाइट 63 फीट है। मेल कैटेगरी में पहला स्थान हरियाणा के बुर्ज खलीफा को मिला है। इसकी हाइट 71 फीट है। हरियाणा से आए प्रिंस ने कहा कि उसके घोड़े बुर्ज खलीफा की उम्र पौने 4 साल है।
हॉर्स शो के दौरान फीमेल कैटेगरी में पहला स्थान पाने वाली हिना तकरीबन 5 साल की है। ये मारवाड़ी घोड़ी है, जिसकी हाइट 66 फीट है। जय स्टड फार्म के सिद्धार्थ गुप्ता ने बताया कि उनकी इस घोड़ी ने अभी तक दो पहले शो में इनाम जीते हैं। बीते साल हनुमानगढ़ में हॉर्स शो 2023 में पहला स्थान पाया और एम्पायर हॉर्स शो 2023 में फर्स्ट रनरअप रही थी।
मुक्तसर के माघी मेले आए घोड़ों की PHOTOS...
नगमा की ब्रीड भी मारवाड़ी है और हाइट 63 फीट से ज्यादा है। नगमा की उम्र 3 साल है और उसने पहली बार इस हॉर्स शो में भाग लिया।
मुक्तसर मेले में पहुंचा मारवाड़ी सफेद घोड़ा।
प्रदर्शन के लिए तैयार घोड़ा अपने मालिक के साथ।
मुक्तसर के माघी मेले में घोड़े लेकर पहुंचे स्टड फार्म मालिक।
मंडी में बिकने के लिए पहुंचे सफेद घोड़े।
भारतीय नस्ल के घोड़े आकर्षित
पिछले साल ग्लैंडर रोग के कारण पंजाब में घोड़ा मंडियों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बाद इस मेले में भी घोड़े लाने पर प्रतिबंध लग गया था, लेकिन स्टड मालिकों के विरोध के बाद 16 जनवरी तक घोड़ा मेले की अनुमति दे दी गई। इस मेले में खास आकर्षण का केंद्र ये घोड़े ही होते हैं।
इस मंडी में ज्यादातर भारतीय नस्लें ही बेची और खरीदी जाती हैं। विदेशी घोड़ों को इन मंडियों में नहीं ले जाया जाता है। कुछ साल पहले जब नेटवर्किंग का जमाना नहीं था, तब विदेशी घोड़े भी यहां आते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। ग्लैंडर रोग के कारण भी कोई महंगे घोड़े यहां लेकर नहीं आता है।
इन मंडियों में आमतौर पर पंजाब के नुकरा (सफेद घोड़ा), मारवाड़ी (राजस्थान) और मज्जुका वंश के घोड़े लाए जाए जाते हैं।
अपने घोड़े को प्रतियोगिता के लिए लोग दूर-दूर से मेले में पहुंचते हैं।
15 जनवरी तक श्रद्धालु होते हैं नतमस्तक
श्री मुक्तसर साहिब में 12 जनवरी से श्री अखंड पाठ साहिब का प्रकाश करवाया जाता है। 13 जनवरी को दीवान सजाए जाते हैं और माघी वाले दिन 14 जनवरी को श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डाला जाता है। अगले दिन 15 जनवरी को नगर कीर्तन सजाने के साथ ही मेले की रिवायती तौर पर समाप्ति हो जाती है। दूर-दराज से लाखों लोग यहां नतमस्तक होते है