Haryana News Update: करनाल का एग्रो माल बदहाली में, बीजेपी राज में नाम बदला लेकिन हालात नहीं
Haryana News Update: हरियाणा में करनाल के नेशनल हाईवे-44 स्थित एग्रो मॉल का उद्घाटन 10 माह पहले गृह मंत्री अमित शाह के हाथों होने के बावजूद भी इसके दिन नहीं फिरे। हरियाणा सरकार ने एग्रो मॉल को चलाने के लिए बड़े-बड़े दावे तो किए, लेकिन हकीकत में नहीं बदल पाई। नतीजा 47.80 करोड़ के एग्रो मॉल में कबूतर उड़ रहे हैं। 86 दुकान और 46 ऑफिसों वाले मॉल में महज तीन ही दुकानें हैं और वह भी सरकारी महकमों की।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा थे। कृषि और बागवानी के लिए आधुनिक बाजार की स्थापना के उद्देश्य को लेकर एग्रो मॉल का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। 17 सितंबर 2008 में एग्रो मॉल का शिलान्यास किया गया और एक अगस्त 2014 को उद्घाटन। किसानों को उम्मीद थी कि यहां पर बहुत बड़ा कृषि बाजार बन जाएगा।
नाम बदला, लेकिन हालात नहीं
साल दर साल बीतते चले गए, एग्रो मॉल तो नहीं चला, लेकिन इस पर धूल जम गई। बीजेपी सरकार को एग्रो मॉल की याद आई और इसी साल फरवरी में बड़े-बड़े दावों के साथ एग्रो मॉल को हरियाणा को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट हाउस में बदल दिया, लेकिन हालात नहीं बदल पाए। मौजूदा समय में मॉल की सफाई व्यवस्था चरमरा चुकी है। मॉल में अब कबूतर उड़ रहे हैं। हैफेड के स्टोर संचालक ने बताया कि यहां पर तीन दुकानें चल रही हैं अन्य दुकानें जिन एक्सपोर्टरों ने ली थीं, वे आए ही नहीं।
नहीं आए एक्सपोर्टर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 14 फरवरी को हैफेड के हरियाणा को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट हाउस का उद्घाटन किया। इस दौरान बड़े-बड़े होर्डिंग भी बड़े-बड़े एक्सपोर्टरों के लगा दिए गए थे। दुकानें भी रेंट पर चढ़ गई थीं, लेकिन उद्घाटन के कुछ ही महीने बाद दुकानें खाली होती चली गईं, क्योंकि एक्सपोर्टर आए ही नहीं।
नहीं आते ग्राहक
वहीं शहर के रजनीश, व नरेन्द्र की मानें तो उनका कहना है कि जब मॉल का दूसरी बार उद्घाटन हुआ था। काफी एक्सपोर्ट ने यहां जाने के लिए दिलचस्पी दिखाई थी कुछ एक्सपोर्ट यहां पर गए भी। लेकिन पूरा दिन में एक भी ग्राहक यहां नहीं आता था। खाली जो आसपास की कॉलोनी के एक या दो ग्राहक ही आते थे। अगर यह एग्रो मॉल शहर की मेन मार्किट या बीच में होता तो वहां पर इसके चलने की ज्यादा संभावना थी।
3.92 एकड़ में बने मॉल में 86 दुकानें
3.92 एकड़ में बने इस मॉल में एक बेसमेंट व चार फ्लोर बनाए हुए हैं। ग्राउंट फ्लोर पर 86 दुकानें हैं। सिर्फ दो ही फ्लोर ओपन हैं। इसमें कोई दुकान नहीं बनी है। टॉप फ्लोर पर 46 ऑफिस बने हुए हैं। मॉल फुल AC है, लेकिन अनदेखी की भेंट चढ़ने के कारण रख-रखाव ढंग से नहीं है। ऑफिस किसी ने नहीं लिए और दुकानें भी खाली पड़ी हैं।
क्यों फेल हो रहा प्रोजेक्ट
जानकारों की माने तो एग्रो मॉल के रूप में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट करनाल की नई अनाज मंडी में बनाया गया, लेकिन यह प्रोजेक्ट चल ही नहीं पाया। वकील अरविंद मान ने कहा कि यहां पर तीन सरकारी दुकानें हैं। जिसमें एक हैफेड, दूसरी वीटा और अन्य सामान की तीसरी दुकान है। न तो यहां पर प्राइवेट सेक्टर की कोई कंपनी आई हुई है और न ही कोई प्राइवेट फर्म की दुकान है।
मॉल को प्रोत्साहन न मिल पाने के कारण यहां पर लोगों की भीड़ नहीं है, ऐसे में मॉल पर ध्यान न दे पाने के कारण 9 साल से यह प्रोजेक्ट इसी तरह से अंधेरे की गर्त में है। जब तक सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती तब तक हालात यही रहेंगे।
घोषणाओं तक सीमित भाजपा
असंध से कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि यह जुमलेबाजों की सरकार है। यह सरकार घोषणाएं तो करती है, लेकिन धरातल पर काम नहीं करवा सकती। भाजपा ने केंद्रीय गृह मंत्री से उद्घाटन इस लिए करवाया था, ताकि वह अपनी वाहवाही लूट सकें और विकास के नाम पर लोगों को बहका कर वोट हासिल कर सकें।
कांग्रेस ने किसानों के लिए इस मॉल को बनाया था। ताकि किसानों को और अच्छी आमदनी हो सके, लेकिन यह सरकार हमेशा ही किसान विरोधी रही है।