Haryana Politics: हरियाणा में AAP को लगने वाला है दूसरा झटका, अशोक तंवर बीजेपी करेंगे जॉइन
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हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) को इसी महीने दूसरा तगड़ा झटका लग सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक तंवर मकर संक्रांति को AAP छोड़कर BJP जॉइन कर सकते हैं। अशोक तंवर की बुधवार को नई दिल्ली में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ मीटिंग हुई। इससे पहले 5 जनवरी को ही AAP की हरियाणा इकाई की उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा अपने पिता निर्मल सिंह के साथ कांग्रेस जॉइन कर चुकी हैं।
हरियाणा सरकार अगले महीने 2 फरवरी से 19 फरवरी तक लगने वाले सूरजकुंड मेले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बतौर चीफ गेस्ट बुलाना चाहती है। सीएम मनोहर लाल बुधवार को खुद राष्ट्रपति को आमंत्रित करने दिल्ली पहुंचे थे। इसी दौरान जब CM दिल्ली के ताज होटल में थे, तो वहीं पर अशोक तंवर ने उनके साथ मुलाकात की।
मकर संक्रांति पर जा सकते हैं भाजपा में
दैनिक भास्कर ने जब इस बारे में अशोक तंवर से पूछा तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि उनके एक करीबी शख्स ने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात की पुष्टि की। उसके मुताबिक 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन अशोक तंवर भाजपा जॉइन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री के साथ हुई मीटिंग के बाद तंवर के BJP में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा अशोक तंवर को हरियाणा की सिरसा या अंबाला सीट से टिकट दे सकती है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने पिछले साल 25 मई को अशोक तंवर को हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए अपनी कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया था। उसी समय सुशील गुप्ता को AAP की हरियाणा इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। गुप्ता उससे पहले हरियाणा के प्रभारी थे।
राज्यसभा न भेजे जाने से नाराज हुए तंवर
अशोक तंवर आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा जाना चाहते थे। AAP के 3 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 27 जनवरी को समाप्त हो रहा है। इनमें दिल्ली के एनबी गुप्ता, सुशील गुप्ता और यूपी के संजय सिंह शामिल हैं। पार्टी ने इनमें से एनबी गुप्ता और संजय सिंह को दोबारा राज्यसभा भेजने का फैसला किया। वहीं तीसरी सीट पर सुशील गुप्ता की जगह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को उम्मीदवार बनाया।
सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा नहीं भेजे जाने के कारण अशोक तंवर के सब्र का पैमाना छलक गया और उन्होंने AAP को छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय कर लिया। राज्यसभा की सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 9 जनवरी थी। इस तारीख के गुजरने के अगले ही दिन अशोक तंवर ने हरियाणा सीएम से मीटिंग कर ली।
8 महीने पहले अंबाला से BJP के लोकसभा सांसद रतन लाल कटारिया का चंडीगढ़ PGI में निधन हो गया था। वह पिछले कई दिनों से निमोनिया के चलते PGI में भर्ती थे।
कटारिया के निधन के बाद अंबाला में बड़ा दलित चेहरा नहीं
सियासी जानकारों के मुताबिक, भाजपा अशोक तंवर को अंबाला या सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है। अंबाला के सांसद रत्नलाल कटारिया के निधन के बाद पार्टी के पास इस समय यहां कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है। हालांकि रत्नलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया अंबाला से टिकट पर दावेदारी जता रही हैं।
सिरसा से सुनीता दुग्गल की टिकट काटने की चर्चाएं
सिरसा लोकसभा हलके से सुनीता दुग्गल BJP की सांसद हैं, लेकिन उनका टिकट काटने की चर्चाएं चल रही हैं। यदि ऐसा हुआ तो तंवर वहां से भी आइडियल कैंडिडेट हो सकते हैं।
BJP को बड़ा दलित चेहरा मिलेगा
अशोक तंवर अगर भाजपा में शामिल होते हैं तो पार्टी को एक बड़ा दलित चेहरा मिल जाएगा। हरियाणा में शुरू से ही गैरजाट की राजनीति करने वाली BJP की नजरें समाज के अन्य पिछड़े तबकों पर है। ऐसे में अशोक तंवर की एंट्री उसके लिए हर लिहाज से फायदेमंद साबित होगी।
राहुल की टीम में थे, हुड्डा के कारण छोड़ी कांग्रेस
अशोक तंवर ने वर्ष 1993 में अपने सियासी करियर की शुरुआत कांग्रेस से की। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। वह 2003 में कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग, NSUI और 2005 में यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। यूथ कांग्रेस में उन्होंने राहुल गांधी के साथ काम किया। राहुल गांधी ने ही फरवरी 2014 में अशोक तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया।
बतौर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा में हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। हुड्डा के कारण ही उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे से नाराज होकर अशोक तंवर ने 5 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उस समय अशोक तंवर ने 5 करोड़ रुपए में कांग्रेस के टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था।
पहले TMC में गए, फिर AAP में आए तंवर
कांग्रेस छोड़ने के बाद अशोक तंवर ने अपना दल बनाया, लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए। इसके बाद वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए। सालभर TMC में रहने के बाद अशोक तंवर का उससे भी मोहभंग हो गया और 4 अप्रैल 2022 को वह आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो गए।
राजनीति में लंबे समय से एक अदद मजबूत मंच तलाश रहे अशोक तंवर को उम्मीद थी कि आम आदमी पार्टी में उन्हें राज्यसभा सांसद जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अब लगभग 21 महीने बाद वह एक बार फिर पार्टी बदलने जा रहे हैं।
हरियाणा AAP में भविष्य साफ नहीं
हरियाणा बेशक AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का होमस्टेट है, लेकिन पार्टी के पास यहां कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है। जिसकी पूरे प्रदेश में पहचान हो और जो अपने बूते पार्टी को वोट दिलवा पाए।
पंजाब विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक सफलता के बाद AAP ने हरियाणा में जोर-शोर से अपनी गतिविधियां शुरू की थी मगर उसके बाद हिमाचल, गोवा, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ भी खास नहीं कर पाई। ऐसे में हरियाणा के नेताओं को भी AAP में अपना भविष्य नहीं दिख रहा। वैसे भी AAP में सबकुछ दिल्ली से तय होता है और हरियाणा के नेताओं के हाथ में कुछ भी नहीं है।
लगभग दो हफ्ते पहले ही आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा और अंबाला जिले में अच्छी पैठ रखने वाले उनके पिता पूर्व मंत्री निर्मल सिंह AAP छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। तंवर भी खुद को आम आदमी पार्टी में फंसा हुआ महसूस कर रहे थे, इसलिए वह भी इससे किनारा करने जा रहे हैं।