Teacher Bharti Case: HSSC पर हाईकोर्ट ने ठोका भारी जुर्माना, ड्राइंग टीचर भर्ती का है मामला
Teacher Bharti Case: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डीम्ड विश्वविद्यालय, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (जेएनवी), उदयपुर से आर्ट एंड क्राफ्ट में दो साल का डिप्लोमा रखने वालों की उम्मीदवारी पर विचार नहीं करने के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने एचएसएससी को उन सभी चयनित 816 आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों के पूर्व परिणाम को संशोधित करने का भी निर्देश दिया है, जिन्होंने जेआरएन उदयपुर से डिप्लोमा उत्तीर्ण किया था और यदि उनके द्वारा प्राप्त अंक उनकी संबंधित श्रेणियों में अंतिम चयनित उम्मीदवारों से अधिक हैं तो चयनित अभ्यर्थियों को उसी तिथि से नियुक्ति दी जायेगी।
हाई कोर्ट ने उन्हें वेतन को छोड़कर सभी परिणामी लाभ देने का भी आदेश दिया है, जो अन्य को सेवा में शामिल होने की तारीख से दिया जाएगा.प्रहलाद। हाई कोर्ट ने आयोग को इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के चार सप्ताह के भीतर इन निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने आयोग की कार्यशैली के कारण उस पर एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाने का आदेश दिया यह राशी गरीब रोगी कल्याण कोष, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में जमा की जाएंगी।
हाई कोर्ट के जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने 14 नवंबर, 2021 को घोषित परिणाम के अनुसार आर्ट एंड क्राफ्ट के पदों के लिए राजबीर सिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं की उम्मीदवारी पर विचार करने के लिए एचएसएससी को निर्देश देने की मांग वाली दर्जन भर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किए हैं।
पीठ ने कहा कि ऐसे संस्थानों से डिप्लोमा अमान्य होने के संबंध में आयोग को प्राप्त आपत्तियों के बारे में जो दावे किए गए हैं, वे अस्पष्ट हैं क्योंकि न तो इसका विवरण और न ही आपत्तियों की तारीख का खुलासा किया गया है। इस तरह की अनिश्चित आपत्तियां, अपने आप में याचिकाकर्ताओं को अयोग्य घोषित करने का आधार नहीं हो सकतीं, खासकर तब जब आयोग ने खुद फैसले के साथ-साथ परिपत्र के बावजूद उन्हें योग्य माना और उन्हें अंतिम तक चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी थी।
आयोग ने मामले के तथ्यों का पता लगाए बिना या मुद्दे पर दिमाग लगाए बिना, मामले में मनमाने ढंग से काम किया। इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ताओं का अनुचित उत्पीड़न हुआ और उन्हें इस मुकदमेबाजी में मजबूर किया। इस मामले में मुख्य मुद्दा यह था कि क्या जेआरएन विद्यापीठ उदयपुर से याचिकाकर्ताओं के आर्ट एंड क्राफ्ट में दो वर्षीय डिप्लोमा विज्ञापन के अनुसार अपेक्षित योग्यता नहीं थी, क्या वह विज्ञापित पदों पर नियुक्ति के पात्र नहीं थे।
याचिका के अनुसार, जब 2006 में आर्ट एंड क्राफ्ट की भर्ती का विज्ञापन निकला था उस समय उनको अयोग्य करार दिया गया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने एक याचिका दायर करके अपनी उम्मीदवारी की अस्वीकृति को चुनौती दी थी और उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई थी और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट (एससी) द्वारा भी उनकी पात्रता को बरकरार रखने के बाद मामले को अंतिम रूप दिया गया था*
हालांकि, जब 2006 की भर्ती रद्द होने और सरकार ने 2020 में पदों को फिर से विज्ञापित किया, तो उन्हें एचएसएससी द्वारा योग्य नहीं माना गया, इस तथ्य के बावजूद कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उनके डिप्लोमा को बरकरार रखा था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि उनकी उम्मीदवारी को अस्वीकार करना अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन है।