सामाजिक विकास के लिए गीता के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना होगा-चेयरपर्सन रजनी विरमानी

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सामाजिक विकास के लिए गीता के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना होगा-चेयरपर्सन रजनी विरमानी

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 गोहाना नगर परिषद की चेयरपर्सन रजनी विरमानी ने कहा कि गीता हमारी संस्कृति है और इसी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए केंद्र व हरियाणा सरकार लगातार कार्य कर रही है। गीता जयंती को महोत्सव का रूप देते हुए कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का आयोजन किया गया और सभी जिलों में जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव आयोजित किए गए। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में गीता को शामिल करना है। गीता हर शंका का समाधान है और हमें इस समाधान के जरिए समाज को आगे बढ़ाने का कार्य करना है। श्रीमती विरमानी मंगलवार को सुभाष स्टेडियम में आयोजित अंतर्राष्टï्रीय गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि गीता में निहित आहार-विहार के संदेश को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हमें आहार संतुलित रखना चाहिए। असंतुलित आहार रोगों को बुलावा देता है। इससे मन की शांति भी भंग होती है। उन्होंने कहा कि योग को ही आधार मानकर हमेंं मोक्ष की ओर बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन का मार्ग ही गीता है।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे हरियाणा खेल विश्वविद्यालय राई के कुलपति व पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने गीता को नमन करते हुए कहा कि श्रीमदभागवतगीता मानव उद्घार का ग्रंथ है, जो हमें जीवन जीने का तरीका सिखाता है। आत्मा और परमात्मा का ज्ञान गीता से मिलता है। गीता ने भगवान की प्राप्ति के तीन मार्ग दर्शाये हैं, जिनमें ज्ञान योग, कर्म योग और भक्ति योग शामिल है। इन तीनों में से किसी भी एक मार्ग का चयन कर हम परमपिता परमात्मा को पा सकते हैं। गीता हमें नि:स्वार्थ कर्म का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने वाला ग्रंथ गीता है। कहा गया है कि 21वीं सदी की सबसे भयंकर बीमारी तनाव है, जिससे निजात गीता ही दिला सकती है।

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सेमिनार में द्वितीय वक्ता के रूप में प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विद्यालय की बहन प्रमोद का कहना था कि आत्मा हर बंधन से मुक्त है। शरीर का बंधन स्थाई नहीं होता, जिसे एक न एक दिन तोडकऱ आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप में समाहित हो जाती है। उन्होंने जनसमूह का आह्वïान किया कि वे जीवन में अहंकार का त्याग करें। अहंकार अनेक प्रकार की समस्याओं का जन्मदाता है। साथ ही उन्होंने शिक्षकों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा प्रदान करें, जिसमें नैतिक मूल्य अवश्य शामिल किये जायें। विद्यार्थियों पर शिक्षक का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने सन्यास की भी व्याख्या करते हुए कहा कि जंगल में जाना ही सन्यास नहीं है। सही मायनों में समस्त लोक इच्छाओं व बुराइयों का त्याग ही सन्यास है। गीता हमें यही संदेश देती है, जिसकी आज अत्यधिक जरूरत है।  
गुरूकुल जुआं के आचार्य वेदनिष्ठ ने गीता में दिए गए विभिन्न संदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक मनुष्य रहेगा तब तक श्रीमदभागवतगीता की आवश्यकता रहेगी। उन्होंने वर्तमान दौर की समस्याओं के निवारण के लिए गीता की जरूरत पर बल दिया। गीता को आत्मसात करते हुए हम जीवन में आगे बढ़ेंगे तो कभी निराशाा नहीं आएगी। साथ ही उन्होंने नियमित रूप से यज्ञ करने पर भी बल दिया।  इसके अलावा उन्होंने कहा कि सारी समस्याओं का समाधान गीता में निहित है। कार्यक्रम के शुरू में मुख्यातिथि ने सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा गीता पर आधारित प्रदर्शनी व विभिन्न विभागों, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा लगाई गई स्टॉलों का भी अवलोकन किया।

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अंत में नगराधीश रेणुका नांदल ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया। वहीं जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी राकेश गौतम ने सभी को शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग से आए नटराज गु्रप की टीम व विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने बेहतरी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। इस दौरान मंच का कुशल संचालन डॉ० सुभाष सिसोदिया ने किया। कार्यक्रम में रैडक्रॉस सोसायटी के पूर्व सचिव सुभाष वशिष्ठ, नगर परिषद गोहाना की महिला पार्षद बबली, भगवती राजपाल, अंजू राजौरा, इनर व्हील क्लब की प्रधान व विधायक निखिल मदान की मां अनीता मदान, डॉ० कमलेश मलिक, मोहन सिंह मनोचा, प्रवीण वर्मा, नरेन्द्र बुटानी, रविन्द्र सरोहा, सीमा दहिया, सुषमा दहिया, पवन तनेजा, ट्रीमैन देवेन्द्र सूरा, अजय मलिक, परमानंद बत्रा सहित अधिकारीगण व समाजसेवी और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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