Stomach Issues: त्यौहारों पर खाया पेट भर कर अब हो रहे है परेशान,जानिए कैसे रखें पेट के बैक्टीरियों का ख्याल

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Stomach Issues: त्यौहारों पर खाया पेट भर कर अब हो रहे है परेशान,जानिए कैसे रखें पेट के बैक्टीरियों का ख्याल

Stomach Issues: त्यौहारों पर खाया पेट भर कर अब हो रहे है परेशान,जानिए कैसे रखें पेट के बैक्टीरियों का ख्याल


Stomach Issues अक्सर टीवी के प्रचारों में आपने देखा होगा कि एक जापानी ड्रिंक बेची जाती है। और बताया जाता है कि इसमें हेल्दी गट बैक्टीरिया हैं। साथ ही दावा किया जाता है कि ये आपके पाचन को अच्छा करने में मदद करती है। और उसमें 10 हजार से ज्यादा हेल्दी बैक्टीरिया हैं।

आपने कभी सोचा है कि कोई भला बैक्टीरिया क्यों पिएगा? बैक्टीरिया का नाम तो हमने हमेशा बीमारियों के साथ लिया है। तो आखिर ये बैक्टीरिया हमारे पेट में क्या काम करते हैं?

दरअसल हमारी आंत में एक माइक्रोबायोम यानी नन्हे, सूक्ष्म, आंखों से न दिखाई देने वाले जीवों का फलता-फूलता पूरा संसार रहता है। जिसमें कई तरह के बैक्टीरिया, फंगस, वायरस और दूसरे सूक्ष्म जीव शामिल हैं।

डरने की कोई जरूरत नहीं ये नॉर्मल है, एक फन फैक्ट तो ये भी है कि हमारे शरीर में जितनी कोशिकाएं हैं, उससे 10 गुना ज्यादा पेट के बैक्टीरिया या गट बैक्टीरिया हैं। जिनका वजन करीब 2 किलो तक हो सकता है। इनमें से ज्यादातर माइक्रोबायोम हमारे लिए अच्छे हैं। और पाचन में मदद करते हैं। बस कुछ थोड़ा टेढ़े हैं, जिन्हें बुरे गट बैक्टीरिया कहते हैं।

कई बार ज्यादा तेल मसाले, चीनी और मीठा खाने की वजह से गट बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है, जैसा कि त्योहारों में अक्सर होता है। और अपच या गैस जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। गलत खानपान से बुरे गट बैक्टीरिया ऐसे चले आते हैं जैसे कि ‘मुझसे शादी करोगी’ फिल्म में समीर की जिंदगी में विकिड सनी चला आता है।

तो आइए आज सेहतनामा में बात करते हैं, इन्हीं गट बैक्टीरिया की। और कैसे इन्हें हेल्दी रख पाचन दुरुस्त रखा जा सकता है।

मूड पर भी असर डालता है गट बैक्टीरिया

साइकोलॉजिस्ट और ‘व्हेन फूड हर्ट्स (when food hurts)’ की लेखिका एंड्रिया नजारेको बताती हैं कि पेट के ये बैक्टीरिया हमारे शरीर और दिमाग पर कई तरह के असर डालते हैं। दरअसल पेट का हमारे दिमाग से सीधा कनेक्शन है। यही कारण है कि पेट को सेकंड ब्रेन या दूसरा दिमाग भी कहा जाता है।

वो आगे बताती हैं, “दरअसल हमारे गट में कई तरह के न्यूरोट्रांसमीटर बनते हैं, ये वो केमिकल हैं जो हमारे इमोशन या मूड को कंट्रोल और प्रभावित करते हैं।

कई बार लोगों को लग सकता है कि डिप्रेशन और एंग्जायटी दिमाग में केमिकल इंबैलेंस की वजह से होते हैं। लेकिन ये केमिकल हमारे गट में बनते हैं। और तो और 30 से भी ज्यादा तरह के न्यूरोट्रांसमीटर हमारे गट में बनते हैं। यहां तक 90% सेरोटोनिन हार्मोन (जो हमें खुशी का अहसास देता) गट में ही बनता है और ये बैक्टीरिया इसमें मदद करते हैं।”

अब आप समझ सकते हैं कि ये नन्हे अदृश्य बैक्टीरिया कितने करामाती हैं। और हमारे लिए अच्छे और बुरे दोनों हो सकते हैं। इसलिए हमें ये समझना होगा कि हम सही तरह के बैक्टीरिया को फलने फूलने में मदद करें और बुरे बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकें। कैसे? आइए समझते हैं।

कैसे बिगड़ता है गट बैक्टीरिया का संतुलन

हमारे खान-पान का पेट के गट बैक्टीरिया पर सीधा असर पड़ता है। इस बारे में जरनल ऑफ ट्रांसलेशनल मेडिसिन में एक रिसर्च छपी। जिसमें वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरह के खाने के हमारे गट बैक्टीरिया पर पढ़ने वाले असर के बारे में बताया। आइए इसे आराम से समझते हैं।

1. फैट

सैचुरेटेड फैट जैसे पाम ऑयल, रेड मीट वगैरह बुरे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। जो इन्फ्लेमेशन या अंदरूनी अंगों की सूजन का कारण बनते हैं। वहीं अनसैचुरेटेड फैट जैसे सरसों का तेल, ऑलिव ऑयल, या तिल का तेल अच्छे गट बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो यही इन्फ्लेमेशन कम करने में मदद करते हैं।

और तो और ये LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद करते हैं। मतलब फैट बुरा नहीं है, गलत तरह का फैट बुरा है। जो बर्गर, पिज्जा और वनस्पति तेल या पाम ऑयल में तली चीजों में होता है और बुरे गट बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है।

2. फाइबर

रिसर्च में ये भी देखा गया कि है फाइबर वाली चीजें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज वगैरह प्रीबायोटिक का काम करते हैं। मतलब से अच्छे बैक्टीरिया के लिए खाने का काम करते हैं और उसे बढ़ाते हैं। साथ ही पाचन में मदद करते हैं। और तो और हैजा जैसे रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने में भी मदद करते हैं।

वहीं शुगर खाना खराब गट बैक्टीरिया को दावत देने जैसा है। ये गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं को पैदा कर सकती है।

3. प्रोबायोटिक

प्रोबायोटिक ऐसा खाना है, जिसमें पहले से अच्छे बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं। ये हमारे पेट में अच्छे बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं। हमने अपने बुजुर्गों से सुना है कि खाने के साथ छाछ पाचन के लिए अच्छा होता है।

ये बस पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाला ज्ञान नहीं है। इसके पीछे विज्ञान भी है, दरअसल छाछ में ‘लैक्टो बैसिलस‘ नाम का एक बैक्टीरिया होता है। यही वो बैक्टीरिया है जो दूध से दही बनाता है। ये अच्छे गट बैक्टीरिया हैं और पाचन में मदद करते हैं। रिसर्च में ये भी पाया गया कि प्रोबायोटिक खाने पाचन तो सुधारते ही हैं, इम्यूनिटी भी दुरुस्त रखते हैं। ये कुछ प्रोबायोटिक खाने की चीजें हैं-

कैसे रखें गट बैक्टीरिया का ख्याल

ये करामाती बैक्टीरिया अगर अच्छे हों तो, बल्ले-बल्ले और अगर बुरे हों तो, हाय राम! इसलिए आपको ख्याल रखना पड़ेगा कि वही काम करें जिससे अच्छे गट बैक्टीरिया बढ़ें और बुरे गट बैक्टीरिया स्वाहा हो जाएं। नीचे लगे ग्राफिक से समझते हैं कि कैसे हम अपने गट बैक्टीरिया का ख्याल रख सकते हैं।

आइए जानते हैं गट बैक्टीरिया के बारे में कुछ फन फैक्ट

हमारे गट में हो सकते हैं 100 लाख करोड़ गट बैक्टीरिया।
गट में 5000 तरह के बैक्टीरिया हो सकते हैं।
ये कई तरह के न्यूरोट्रांसमीटर बनाने में मदद करते हैं।
विटामिन-K बनाने में मदद कर सकते हैं।
मोटे, पतले या डायबिटिक लोगों में एक दूसरे से अलग तरह के गट बैक्टीरिया हो सकते हैं।
पेट में बनने वाली गैस में इसका भी हाथ होता है।

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