मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए हुड्डा ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

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मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए हुड्डा ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए हुड्डा ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार


मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए हुड्डा ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार
कहा- गेहूं की खरीद, उठान और भुगतान में हो रही है देरी 
मंडियों में गेहूं के भीगने से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करे सरकार - हुड्डा 
एकसाथ महामारी, मौसम, महंगाई, सरकारी नीतियों और बदइंतजामी का सामना कर रहा है किसान- हुड्डा 


23 अप्रैल, चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर सरकार को व्यवस्था में सुधार लाने की नसीहत दी है। उनका कहना है कि उन्हें प्रदेशभर से वक्त पर गेहूं की खरीद, उठान और भुगतान ना होने की खबरें मिल रही हैं। इस बीच खराब मौसम ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। उठान नहीं होने की वजह से करीब 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडियों में खुले आसमान के नीचे पड़ा। सरकार द्वारा जोर-शोर से शुरू की गई रेडी टू लिफ्ट योजना पूरी तरह फेल हो गई है। सरकार का दावा था कि इस योजना के तहत ठेकेदार को 48 घंटे के अंदर मंडी से गेहूं का उठान करना होगा। लेकिन मंडियों में लगे गेहूं के ढेर खुद योजना के विफल होने की गवाही दे रहे हैं। 

सरकारी तंत्र की विफलता का खामियाजा अब किसान को भुगतना पड़ रहा है। लगातार दो दिन से उसका पीला सोना बारिश में भीग रहा है। सरकार को गेहूं भीगने की वजह से किसान को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। तबतक गेहूं को भीगने से बचाने के लिए मंडियों में तिरपाल मुहैया करवाए जाने चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की अनाज मंडियों में बारदाना की भारी किल्लत है। वक्त पर उठान नहीं होने के कारण किसानों को मंडी में अनाज रखने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। इसलिए उनकी खरीद में भी देरी हो रही है। सरकार द्वारा 48 से 72 घंटे में किसानों को पेमेंट करने का दावा भी झूठा साबित हुआ है। 1 अप्रैल से खरीद शुरू होने के बावजूद अब तक गिने चुने किसानों की ही पेमेंट हो पाई है। 

नेता प्रतिपक्ष में कोरोना संक्रमित होने से ठीक पहले प्रदेश की कई अनाज मंडियों का दौरा किया था। मंडियों में उन्होंने किसान, मजदूर और आढ़तियों से बातचीत कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। उन्होंने सरकार से तमाम खामियों को दूर करने की मांग की थी। बावजूद इसके आज हालात जस के तस बने हुए हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि आज किसान एक साथ महामारी, मौसम, महंगाई, सरकार की नीतियों और बदइंतजामी की मार झेल रहा है। किसान चाहे खेत में हो, मंडी में या दिल्ली बॉर्डर पर, हर जगह उसे सरकारी अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है। हुड्डा ने कहा कि सरकार को किसानों की अनदेखी महंगी पड़ेगी। कोई भी देश या प्रदेश तभी ख़ुशहाल होगा, जब उसका किसान खुशहाल होगा। इसलिए किसान सरकार की प्राथमिकता होने चाहिए।

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