यहां इंद्रदेव को खुश करने के लिये लड़कियों को निवस्त्र कर पूरे गांव में घूमाया जाता है

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यहां इंद्रदेव को खुश करने के लिये लड़कियों को निवस्त्र कर पूरे गांव में घूमाया जाता है

यहां इंद्रदेव को खुश करने के लिये लड़कियों को निवस्त्र कर पूरे गांव में घूमाया जाता है


भोपाल : हमारे देश में आज भी ऐसे अंधविश्वास जारी हैं, जिसे लोग पढ़-लिखकर भी मानते आ रहे हैं। आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है लेकिन इसके बावजूद हम अंधविश्वास से उभर नहीं पाये हैं। ऐसा ही अंधविश्वास का एक मामला मध्यप्रदेश के दमोह जिले से सामने आया है। यहां बारिश के लिये इंद्रदेव को खुश करने के लिये एक बेहद ही अजीब कुप्रथा जारी है।

हाल ही में बारिश ना होने की वजह से यहां के ग्रामीणों ने कम से कम छह बच्चियों को निवस्त्र कर पूरे गांव में घूमाया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दमोह जिला प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट कर दी है। अधिकारियों ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि ''बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर जबेरा थाना क्षेत्र के बनिया गांव में रविवार को यह घटना हुई थी।''दमोह के जिलाधिकारी एस कृष्ण चैतन्य ने घटना को लेकर कहा कि जल्द ही एनसीपीसीआर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वहीं दूसरी ओर जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) डी आर तेनिवार ने बताया कि, 'पुलिस को सूचना मिली थी कि स्थानीय प्रचलित कुप्रथा के तहत बारिश के देवता को खुश करने के लिए कुछ नाबालिग लड़कियों को नग्न कर घुमाया गया था।'  पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जायेगी। जब पुलिस ने ग्रामीणों से पूछा तो उनका कहना था कि इस प्रथा के परिणामस्वरूप बारिश हो सकती है।'' आपको बता दें कि यहां लंबे अरसे से ऐसा माना जाता है कि सूखे की स्थिति को ठीक करने के लिये बच्चियों को नग्न करके घूमाने से इंद्रदेव खुश हो जाते हैं और बारिश होती है।  इस प्रथा के अनुसार छोटी-छोटी बच्चियों को नग्न कर उनके कंधे पर मूसल रख दिया गया और इसके बाद उस मूसल में मेंढक को बांध दिया गया।

इसके बाद बच्चियों को पूरे गांव में घुमाते हुए महिलाएं पीछे-पीछे भजन करती हुई चलने लगी। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले घरों से यह महिलाएं आटा, दाल और भी अन्य खाने की सामग्री मांगते हुए निकली और जो भी खाद्य सामग्री इकट्ठी हुई उसे गांव के ही मंदिर में भंडारा के माध्यम से पूजन कर दिया गया।

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