कुंडली बॉर्डर खुलने की उम्मीद: 30 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके उद्योग जगत को किसानों की 'हां' का इंतजार

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कुंडली बॉर्डर खुलने की उम्मीद: 30 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके उद्योग जगत को किसानों की 'हां' का इंतजार

कुंडली बॉर्डर खुलने की उम्मीद: 30 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके उद्योग जगत को किसानों की 'हां' का इंतजार


कृषि कानूनों के विरोध में साढ़े नौ माह पहले शुरू हुए किसान आंदोलन से उद्योग जगत की कमर टूट चुकी है। उद्योगपति अब तक करीब 30 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके हैं। बॉर्डर बंद होने से उन्हें ही सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के मामले को संज्ञान में लेकर रास्ता खुलवाने के आदेश देने से उद्योगपति व राहगीरों को उम्मीदें जगी हैं। किसान आंदोलन से बॉर्डर बंद होने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों में माल नहीं आने-जाने से काफी नुकसान हो चुका है। शुरुआत के ढाई माह तक तो सड़क पूरी तरह बंद रहने से उद्योगों में काम बंद ही हो गया था। हालांकि उसके बाद संख्या कम हुई और राई व अन्य औद्योगिक क्षेत्र में काम शुरू हुआ, लेकिन कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में हालात सामान्य नहीं हो सके। अनुमान के अनुसार सोनीपत में अब तक करीब 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है तो प्रदेश के अन्य जिले भी बॉर्डर सील होने से प्रभावित हुए हैं। वहां करोड़ों का नुकसान हुआ। किसान आंदोलन का केंद्र कुंडली होने के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव वहां पड़ा। कारोबारियों का कहना है कि आंदोलन से उद्योगपति और व्यापारी बर्बादी के कगार पर पहुंच गए।

26 नवंबर को एनएच-44 के कुंडली बॉर्डर पर डाला था डेरा
कृषि कानून रद्द कराने के लिए किसानों ने 26 नवंबर को नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। किसानों का पड़ाव कुंडली से केजीपी-केएमपी के गोल चक्कर तक है। इस तरह प्रदेश के बड़े व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल कुंडली में इसका सबसे व्यापक असर पड़ा। कुंडली के साथ नाथूपुर-सबौली का औद्योगिक क्षेत्र तीन माह तक पूरी तरह बंद रहा। वहीं राई, मुरथल व बड़ी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरियां आंशिक रूप से चलीं। पहले तीन माह ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बंद रहा, जिससे कच्चा माल न फैक्टरी में पहुंचा और न सामान तैयार होकर वहां से सप्लाई हुआ। उसके बाद किसानों का जमावड़ा कम हुआ तो राई, सोनीपत व बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में अन्य मार्गों से कच्चा माल आने व तैयार माल जाने लगा, लेकिन इसमें में भी उद्योगपतियों का ट्रांसपोर्ट का खर्च दो से तीन गुना बढ़ गया। कुंडली और नाथूपुर औद्योगिक क्षेत्र में उसके बाद भी वाहन नहीं जा सके। वहां करीब चार माह वाहन अंदर से घूमकर पहुंचना शुरू हुए। उसके बावजूद अभी तक भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के एक तरफ का रास्ता खुलवाने के आदेश से उद्योगपतियों को एक उम्मीद की किरण दिखाई है

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