लोकडाउन ही क्या समस्या का समाधान है।

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लोकडाउन ही क्या समस्या का समाधान है।

लोकडाउन ही क्या समस्या का समाधान है।


कोरोना महामारी की दूसरी लहर आते ही लाकडाउन की पैरवी होने लगी थी। धीरे-धीरे लगभग सभी प्रभावित राज्यों ने स्थानीय स्तर पर लाकडाउन का एलान भी कर दिया था। संक्रमण पर काफी हद तक लगाम के बाद अब अनलाक की प्रक्रिया चल रही है। कुछ लोगों का कहना है कि अभी भले ही मामलों में गिरावट आई है, लेकिन पहली लहर के पीक के हिसाब से मामले बहुत कम नहीं हुए हैं। ऐसे में अनलाक कितना सही है?

ऐसे में सवाल उठता है कि लाकडाउन लगाने का सही समय क्या है? अध्ययन बताते हैं कि कोरोना की पूरी लहर के दौरान लाकडाउन लगाए रखना कोई समाधान नहीं है। लाकडाउन का बड़ा आर्थिक, सामाजिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इसे बहुत जरूरी होने पर ही लगाना चाहिए। लगातार लाकडाउन रहे तो फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है। लाकडाउन के असर को लेकर दूसरी लहर से मिले अनुभव का फायदा उठाकर सरकारें भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर रणनीति बना सकती हैं।

 क्या है लाकडाउन का सही समय?

लाकडाउन का असल उद्देश्य संक्रमण की गति थामना है। ऐसे में इसका सबसे ज्यादा फायदा भी तभी है, जब संक्रमण की गति बढ़ रही हो। संक्रमण की गति को मापने का तरीका है इफेक्टिव रीप्रोडक्शन नंबर यानी आरई। जब आरई एक से ऊपर होने का अर्थ है कि प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति एक से ज्यादा व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है। इस स्थिति में संक्रमण का ग्राफ ऊपर चढ़ता है। इस समय लाकडाउन सही कदम है। वहीं आरई एक से नीचे होने पर ग्राफ स्वत: ही नीचे आने लगता है। ऐसे समय में लाकडाउन से होने वाला नुकसान इसके फायदे से ज्यादा हो जाता है। 

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