Joshimath Crisis: जोशीमठ में जमीन धंसने का सच!
- 30 गांवों में खलबली, लगे डेंजर जोन बोर्ड
Joshimath Crisis: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने का एक बड़ा दावा सामने आया है। ये घटना होने से कुछ दिन पहले आईआईटी कानपुर की रिसर्च टीम यहाँ पहुंची थी। इस टीम को भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने लीड किया। इस दौरान टीम ने एक अहम सर्वे किया। प्रो. राजीव ने बताया कि जोशीमठ को दोबारा बसाने की बात कहना खतरे से खाली नहीं है। यह रहने के बिलकुल भी लायक नहीं है।
जमीन धंसने और मकान में दरारों से हड़कंप
गढ़वाल के 25-30 गांवों में भी जमीन धंसने और मकान में दरारों ने हड़कंप मचा दिया है। टिहरी जिले की कृषि भूमि पर डेढ़ फुट तक दरारें पड़ चुकी हैं। जिसकी वजह से गांव के कई घर खतरे में आ चुके हैं। अटाली गांव के पीड़ित परिवारों में रेलवे विभाग के खिलाफ काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर मंडरा रहा खतरा
पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने रेलवे निर्माण कार्य का विरोध नहीं किया अब गांव की कृषि भूमि और घरों पर दरारें पड़ रही हैं। प्रशासन और रेलवे के अधिकारी यहां हालात देखकरआश्वासन देकर चले जाते हैं। उत्तरकाशी में यमुनोत्री नेशनल हाइवे के ऊपर वाडिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। यमुनोत्री धाम को जाने वाला एक मात्र नेशनल हाइवे भी धंसने लगा है। इस गांव में 100 से अधिक परिवार रहते हैं। गांव में बिजली सप्लाई के खंभे भी अब तिरछे हो गए हैं।
बदरीनाथ हाईवे पर मोटी दरारें
बदरीनाथ हाईवे पर भी मोटी दरारें आ गयी है। तहसील के आवासीय भवनों में भी हल्की दरारें आ गयी है। ज्योतेश्वर मंदिर और मंदिर परिसर में दरारें आ गई है। घरों में दरारें आने से लोग दहशत में आ गए है। मारवाड़ी में भूमि से लगातार पानी का रिसाव होने से निचले क्षेत्र के भवन भी खतरे की चपेट में आ गए है।