अपने वर्करों और सेवादारों का हमेशा ध्यान रखते हैं चौटाला साहब
अपने वर्करों और सेवादारों का हमेशा ध्यान रखते हैं चौटाला साहब!
किसी भी बड़ी शख्सियत के बड़े बनने में उसकी सहजता और अपनों की ध्यानदारी बड़ा गुण मानी जाती है। ओमप्रकाश चौटाला में ये दोनों गुण किसी से छिपे नहीं हैं।
कुछ दिन पहले की बात है। जब चौटाला साहब को पता चला कि 90 साल के भीम सिंह, खाजवाला, बीकानेर किसी धर्मशाला में हैं। उसी समय उन्होंने अपने पौते कर्ण को बुलाकर कहा कि अभी के अभी जाकर बीकानेर से भीम सिंह को साथ लेकर आओ। चौटाला साहब ने उन्हें कहा कि भीम सिंह इसे अपना ही घर समझो और आराम से यही रहो और उनके लिए एक कमरा और उनकी सेवा व तीमारदारी के लिए एक सेवादार का प्रबंध भी कर दिया।
एक साथी ने जिज्ञासा में जानना चाहा कि आखिर भीम सिंह कौन हैं, जिनकी इतनी सेवा हो रही है। उनके पूछने पर चौटाला साहब ने बताया कि ये भीम सिंह मेरे पिता देवीलाल जी का वफादार सेवादार रहा है। अब इसकी सेवा करना हमारा फर्ज और धर्म दोनों है। इसे इंसानियत कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।इसीलिए कहा जाता है कि चौटाला साहब का परिवार अपने चहेतों का साथ आखिरी सांस (श्मशान घाट) तक देता है।