हरियाणा : बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई को महासभा संरक्षक पद से किया निष्कासित
हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई पर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने एक्शन लिया है. उन्हें महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया गया है. सभा ने एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कुलदीप बिश्नोई के बेटे ने अंतरजातीय विवाह किया, जिसकी वजह से संपूर्ण बिश्नोई समाज में रोष है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई संरक्षक पद पर नहीं रह सकते.
इससे पहले कुलदीप बिश्नोई ने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का संरक्षक रहते हुए अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए वर्तमान प्रधान देवेंद्र बूड़िया को प्रधान पद से हटाया था. उसकी जगह पर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान बनाया गया था. कुलदीप बिश्नोई की ओर से लेटर जारी करने के बाद देवेंद्र बूड़िया ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा था कि संरक्षक के पास प्रधान को हटाने की अब पावर खत्म हो गई है. इसलिए कुलदीप बिश्नोई के लेटर का अब कोई मतलब नहीं रह गया है.
इससे पहले देवेंद्र बूड़िया ने जोधपुर में बिश्नोई समाज के लोगों के बीच कुलदीप बिश्नोई पर विधानसभा चुनाव के दौरान अपने बेटे के प्रचार-प्रसार के लिए 10 करोड़ रुपये का चंदा एकत्रित करने और विधायक रणधीर पनिहार के जरिए अपहरण करवाने का भी आरोप लगाया था.
कुलदीप बिश्नोई ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर देवेंद्र बूड़िया को हटाने की जानकारी दी थी. उनकी तरफ से जारी पत्र में लिखा गया था कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने पिछले करीब 100 वर्षों से गुरु जंभेश्वर भगवान और मां अमृता देवी के दिखाए आदर्शों पर चलते हुए समाजसेवा, जीव और पर्यावरण रक्षा की दिशा में विलक्षण कार्य किए हैं. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पवित्र संविधान की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसा माना गया है कि महासभा का कोई भी प्रधान या सदस्य अपने पद पर रहते हुए निजी स्वार्थवश समाज को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है या अनुशासनहीनता करता है तो महासभा उसे पदमुक्त कर सकती है.
बिश्नोई की ओर लिखा गया, "देवेंद्र बूड़िया की ओर से पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में काफी तथ्यहीन, झूठी और समाज को बांटने वाली बातें कही जा रही हैं, जिससे समाज में बिखराव और टकराव की संभावनाएं नजर आ रही हैं. मेरे पास निजी तौर पर भी समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों, साधु-संतों और महासभा के पदाधिकारी के साथ ही समाज के राजनीतिक व्यक्तियों की ओर से काफी शिकायतें आ रही हैं. साथ ही साथ विभिन्न निर्माण कार्यों में टेंडर प्रक्रियाओं का भी पालन उनकी ओर से नहीं किया गया. समाज की एकता बनाए रखने के लिए, समाज में महासभा के पदाधिकारियों के प्रति विश्वास बना रहे और समाज में बंटवारा न हो और आपसी भाईचारा बना रहे, इसलिए अखिल भारतीय विश्नोई महासभा का संरक्षक होने के नाते मैं तुरंत प्रभाव से देवेंद्र बूड़िया को पदमुक्त करता हूं."
इससे पहले कुलदीप बिश्नोई ने अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का संरक्षक रहते हुए अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए वर्तमान प्रधान देवेंद्र बूड़िया को प्रधान पद से हटाया था. उसकी जगह पर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान बनाया गया था. कुलदीप बिश्नोई की ओर से लेटर जारी करने के बाद देवेंद्र बूड़िया ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा था कि संरक्षक के पास प्रधान को हटाने की अब पावर खत्म हो गई है. इसलिए कुलदीप बिश्नोई के लेटर का अब कोई मतलब नहीं रह गया है.
इससे पहले देवेंद्र बूड़िया ने जोधपुर में बिश्नोई समाज के लोगों के बीच कुलदीप बिश्नोई पर विधानसभा चुनाव के दौरान अपने बेटे के प्रचार-प्रसार के लिए 10 करोड़ रुपये का चंदा एकत्रित करने और विधायक रणधीर पनिहार के जरिए अपहरण करवाने का भी आरोप लगाया था.
कुलदीप बिश्नोई ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर देवेंद्र बूड़िया को हटाने की जानकारी दी थी. उनकी तरफ से जारी पत्र में लिखा गया था कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा ने पिछले करीब 100 वर्षों से गुरु जंभेश्वर भगवान और मां अमृता देवी के दिखाए आदर्शों पर चलते हुए समाजसेवा, जीव और पर्यावरण रक्षा की दिशा में विलक्षण कार्य किए हैं. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पवित्र संविधान की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसा माना गया है कि महासभा का कोई भी प्रधान या सदस्य अपने पद पर रहते हुए निजी स्वार्थवश समाज को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है या अनुशासनहीनता करता है तो महासभा उसे पदमुक्त कर सकती है.
बिश्नोई की ओर लिखा गया, "देवेंद्र बूड़िया की ओर से पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में काफी तथ्यहीन, झूठी और समाज को बांटने वाली बातें कही जा रही हैं, जिससे समाज में बिखराव और टकराव की संभावनाएं नजर आ रही हैं. मेरे पास निजी तौर पर भी समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों, साधु-संतों और महासभा के पदाधिकारी के साथ ही समाज के राजनीतिक व्यक्तियों की ओर से काफी शिकायतें आ रही हैं. साथ ही साथ विभिन्न निर्माण कार्यों में टेंडर प्रक्रियाओं का भी पालन उनकी ओर से नहीं किया गया. समाज की एकता बनाए रखने के लिए, समाज में महासभा के पदाधिकारियों के प्रति विश्वास बना रहे और समाज में बंटवारा न हो और आपसी भाईचारा बना रहे, इसलिए अखिल भारतीय विश्नोई महासभा का संरक्षक होने के नाते मैं तुरंत प्रभाव से देवेंद्र बूड़िया को पदमुक्त करता हूं."