Health Updates: सर्दियों में नींद जानिए क्यों है जरूरी, विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिसर्च में हेल्थ से जुडी ये रिपोर्ट आई सामने
Health Updates: कुछ भालू और कुतरने वाले जानवर सर्दियों में कई महीनों की नींद निकाल लेते हैं। जी हां, उत्तरी अमेरिका और कनाडा के भालू 8 महीनों तक बिना कुछ खाए पिए, सोते हुए निकाल सकते हैं। इसे विज्ञान की भाषा में हाइबरनेशन कहते हैं।
दरअसल बर्फीली जगहों की सर्दियों में शिकार करना और खाना ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए ये जानवर सर्दियों का पूरा मौसम नींद जैसी अवस्था में हाइबरनेट करते निकाल देते हैं। ताकि अपनी ऊर्जा बचा कर जीवित रह सकें।
ठंड के मौसम में तो हम इंसान भी अलसियाने लगते हैं। कंबल- रजाई से करण-अर्जुन जैसा रिश्ता बन जाता है। नींद के झोंके अक्सर हमें बिस्तर तक पहुंचा देते हैं। लेकिन ये बस मौसम की नाजुक मिजाजी है या फिर ठंड में शरीर को ज्यादा नींद की जरूरत पड़ती है? हाल ही में इस बारे में आई रिसर्च तो इसी तरफ इशारा कर रही है।
फ्रंटियर्स न्यूरोसाइंस में छपी एक रिसर्च में पता चला है कि सर्दियों में गहरी नींद या REM स्लीप का समय बढ़ जाता है। मतलब सर्दियों में लोग ज्यादा गहरी नींद ले सकते हैं। तो क्या इस रिसर्च के आने के बाद लोगों को मौसम के साथ अपनी नींद में भी बदलाव करने चहिए? आइए समझते हैं।
क्या है REM स्लीप
हमारी नींद कई स्टेज में पूरी होती है जिसमें से एक है, REM या रैपिड आई मूवमेंट स्लीप। इसमें आंखें तेजी से इधर-उधर हिलती हैं और नींद सबसे गहरी होती है। हमें सपने भी इसी स्टेज में आते हैं। नींद की पूरी साइकिल आप नीचे दिए क्रिएटिव से समझ सकते हैं।
कितनी नींद है जरूरी और क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी एक रिसर्च में बताया कि 6 घंटे सोने वाले लोगों में सड़क हादसों का खतरा 7 घंटे सोने वाले लोगों के मुकाबले 33% ज्यादा हो सकता है। यानी सिर्फ 1 घंटे एक्स्ट्रा नींद से हादसों का खतरा 33% तक कम किया जा सकता है।
मतलब नींद में एक घंटे की कटौती भी हमारी कंसंट्रेशन पर असर डाल सकती है। अब आप समझ ही सकते हैं कि नींद हमारे दिमाग के लिए कितनी जरूरी है। साथ ही ये नींद गहरी और बिना रुकावट वाली होनी चाहिए।
उत्तरी अमेरिकी भालुओं से इतर अंटार्कटिका के ‘चिनस्ट्रैप पेंग्विन’ तो लंबी नींद सोते ही नहीं हैं। दरअसल, ये दिन में 10,000 से ज्यादा छोटी-छोटी झपकियां लेकर, करीब 11 घंटे की नींद निकाल लेते हैं। मतलब प्रकृति में नींद के लिए सभी की अलग-अलग जरूरतें तय हैं।
हम इंसानों में भी उम्र के साथ नींद की जरूरत बदलती रहती है। इसे नीचे दिए क्रिएटिव की मदद से समझ सकते हैं।
गहरी नींद के लिए अपनाएं ये नुस्खे
ब्रिटिश लेखक और स्लीप साइंटिस्ट मैट वाकर के मुताबिक जिन लोगों में नींद की कमी होती है। उनके दिमाग का इमोशनल सेंटर (अमिग्डाला) ज्यादा एक्टिव रहता है। जिसकी वजह से वो ज्यादा इमोशनल हो सकते हैं और नेगेटिव इमोशन भी ज्यादा आ सकते हैं।
नींद की कमी की वजह से डिप्रेशन, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। स्लीप जर्नल में छपी एक रिसर्च में भी देखा गया कि 7-8 घंटे से कम सोने वालों में असमय मौत का खतरा 12% ज्यादा हो सकता है, दूसरी तरफ इससे ज्यादा सोने वालों को ये खतरा 30% तक ज्यादा हो सकता है।
इन तरीकों से नींद सुधार कर इस खतरे को टाला भी जा सकता है, आइए समझते हैं।
सुबह उठकर तेज रोशनी में जाएं
अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट एंड्रिव हबरमैन के मुताबिक सुबह तेज रोशनी में रहने से हमारी नींद पर भी असर पड़ता है। इससे सुबह नींद के हॉर्मोन मेलाटोनिन का निकलना बंद हो जाता है और रात में बढ़ जाता है। जो अच्छी नींद लेने में हमारी मदद करता है।
एक ही समय पर जागें और सोएं
अक्सर हम काम के दिनों में तो सही समय पर जागते और सोते हैं लेकिन छुट्टी के दिनों में नींद का कोई ठिकाना नहीं रहता। मेडिकल जर्नल स्लीप के मुताबिक स्लीप हाइजीन यानी रोज बेहतर नींद के लिए रोज एक ही समय पर सोना-जगना बहुत जरूरी है।
शाम को कॉफी से बनाएं दूरी
अक्सर लोग शाम का आलस भगाने के लिए चाय-कॉफी की चुस्कियां लेते हैं। लेकिन ध्यान रहे, ज्यादा कैफीन हमारी नींद पर भी असर डाल सकती है। इसलिए अच्छी नींद के लिए ज्यादा चाय-कॉफी अवॉइड करें।
कमरे में रखें शांति और अंधेरा
नींद की क्वालिटी पर लाइट का भी असर पड़ता है। जहां सुबह की रौशनी नींद के लिए अच्छी है वहीं रात में ज्यादा रौशनी की वजह से नींद पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए सोने के कमरे को लाइटों और स्क्रीन से दूर रखें।