Insurance Policy: लोग सरेंडर कर रहे है LIC की इंश्योरेंस पॉलिसी, वजह जान आप हो जायेंगे हैरान

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Insurance Policy: लोग सरेंडर कर रहे है LIC की इंश्योरेंस पॉलिसी, वजह जान आप हो जायेंगे हैरान

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Insurance Policy: बीते पांच साल में 47 फीसदी लोगों ने या तो अपनी जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर कर दिया है या फिर पॉलिसी को रिन्यू नहीं कराया है। एसबीआई लाइफ की फाइनेंशियल इम्युनिटी रिपोर्ट के मुताबिक, 68 फीसदी लोगों का ये भी मानना है कि उनके पास पर्याप्त बीमा कवर है, लेकिन वास्तव में सिर्फ 6 फीसदी लोगों के पास ही पर्याप्त बीमा कवर है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 71 फीसदी ऐसे भी लोग हैं, जो ये मानते हैं कि फाइनेंशियल इम्युनिटी के लिए बीमा लेना आवश्यक है, लेकिन वह बीमा लेना नहीं चाहते हैं। वहीं 80 प्रतिशत लोगों का कहना है कि फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए बीमा आवश्यक है। इसके बावजूद भी 94 फीसदी लोगों के पास या तो बीमा नहीं है या फिर अपार्याप्त कवर नहीं ले रखा है।  

37 फीसदी के पास अन्य सोर्स इनकम 
रिपोर्ट का दावा है कि देश के 37 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बीमा के बजाय अन्य सोर्स इनकम ले रखा है और 41 फीसदी का मानना है कि सेकेंड्री इनकम से फाइनेंशियल इम्युनिटी और मजबूत होगी। 

रिपोर्ट के मुताबिक, 87 प्रतिशत उपभोक्ता अगले पांच साल में जीवन बीमा खरीदने की योजना बना रहे हैं, जिसमें 46 फीसदी उपभोक्ता अगले साल तक बीमा कवर ले सकते हैं। लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स का फाइनेंशियल इम्युनिटी स्कोर 7।4 है, जबकि बिना बीमा वाले उपभोक्ताओं का फाइनेंशियल इम्युनिटी स्कोर 6।3 है। 

क्यों बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर रहे लोग 
बीते पांच साल बड़ी संख्या में लोगों को बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने की खास वजह महंगाई रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती महंगाई के बीच लोगों का जीवन यापन कठिन हुआ है और पैसों की ज्यादा आवश्यकता पड़ी है। वहीं मेडिकल का खर्च भी पहले की तुलना में बढ़ा है, जिस कारण ज्यादातर लोगों ने अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को सरेंडर किया है। 

क्या है एसबीआई लाइफ की फाइनेंशियल इम्युनिटी रिपोर्ट 
एसबीआई लाइफ की ओर से यह लोगों के फाइनेंशियल तैयारियों को लेकर रिपोर्ट पेश करता है। इस रिपोर्ट में वित्तीय जरूरतों वाली चीजों पर फोकस किया जाता है और लोगों की वित्तीय कमी को उजागर किया जाता है। एसबीआई लाइफ की ये तीसरी रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में देश के 41 शहरों में से 5,000 लोगों पर स्टडी की गई है। 

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