कांग्रेस मुमताज पटेल की बड़ी खुलासा: गुजरात में मुस्लिमों को घर मिलने में दिक्कत
कांग्रेस मुमताज पटेल की बड़ी खुलासा: गुजरात में मुस्लिमों को घर मिलने में दिक्कत
गुजरात की भरूच लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के गठबंधन के बाद चर्चा में आई कांग्रेस की नेता मुमताज पटेल ने एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि उन्हें दिल्ली में किराए पर घर नहीं मिल रहा है क्योंकि वे मुस्लिम हैं।
मुमताज पटेल ने टीवी चैनल न्यूज-24 को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, "मुसलमान भारत में सुरक्षित नहीं हैं। मैं एक मुस्लिम होने के नाते ये बातें कह रही हूं। रोज घर ढूंढ रही हूं, लेकिन नहीं मिल रहा है।"
मुमताज पटेल ने कहा कि उनकी मां भी दो साल पहले घर ढूंढ रही थीं, लेकिन नहीं मिला। उन्होंने कहा, "मुसलमान परिवार से आती हूं, इसलिए लोग घर नहीं देते। गुजरात में भी स्थिति ठीक नहीं है। जब झगड़ा होता है, तो मुसलमानों की रिपोर्ट नहीं की जाती।"
उन्होंने राम मंदिर को भी लेकर अपनी बात कही और कहा कि यह भावुक इशू है, जिसे पॉलिटिकल नहीं करना चाहिए। उन्होंने आर्टिकल-370 पर भी कुछ कहा और कहा कि अभी इस पर बोलना ठीक नहीं है
गुजरात में मुस्लिमों को घर मिलने में दिक्कत: एक जटिल समस्या
यह सच है कि गुजरात में कई मुस्लिमों को घर ढूंढने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के पीछे कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:
सामाजिक भेदभाव: 2002 के गुजरात दंगों के बाद, हिंदू-मुस्लिम संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। कुछ मकान मालिक मुस्लिम किरायेदारों को लेने से हिचकिचाते हैं, खासकर हिंदू-बहुल इलाकों में।
आर्थिक कारक: कई मुस्लिम गरीब समुदायों से आते हैं, जिसके कारण वे महंगे किराए का भुगतान करने में असमर्थ होते हैं।
कानूनी बाधाएं: कुछ मामलों में, मुस्लिमों को "परेशान क्षेत्रों" ("Disturbed Areas") में घर खरीदने या किराए पर लेने से प्रतिबंधित किया जाता है।
भेदभावपूर्ण नीतियां: कुछ आरोप हैं कि कुछ सरकारी नीतियां मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव करती हैं, जिससे उन्हें घर ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
यह समस्या केवल मुस्लिमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दलितों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों को भी घर ढूंढने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
इस समस्या का समाधान:
- सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना: हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक सशक्तिकरण: मुस्लिम समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से उन्हें बेहतर घरों का खर्च उठाने में मदद मिलेगी।
- कानूनी बाधाओं को दूर करना: "परेशान क्षेत्रों" ("Disturbed Areas") में रहने पर प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए।
- भेदभावपूर्ण नीतियों को समाप्त करना: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाए, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो।