My Life Story: शादी के बाद पति के साथ नहीं, बल्कि ससुर के साथ करना पड़ता है ये काम...
My Life Story: लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप कुछ दिनों तक ठीक हो सकती है, लेकिन शादी हो जाने के बाद यह कठिन हो जाती है। यह एक महिला के साथ भी हुआ, जो अपने ससुराल वालों के साथ नहीं, बल्कि अपने पति के साथ रहना चाहती थी।
शादी के बाद एक लड़की को चाहे न होते हुए भी बहुत सारे फैसले लेने पड़ते हैं। कुछ फैसले अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार भय या चिंता के कारण हम उन्हें लेने से डरते हैं, जबकि हमारी भावनाएं भी ख़राब हो सकती हैं। इस महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्हें बताया गया कि उन्हें अपने ससुराल वालों के साथ रहना होगा, जबकि वह अपने पति के साथ रहना चाहती थी।
यह स्थिति उनके पति द्वारा पूरी तरह समर्थित की जाती है। वे कहते हैं कि उन्हें जहां चाहें वहां रहने की अनुमति है। लेकिन महिला को उनके बिना अच्छा नहीं लगता है। कुछ समय तक उन्होंने ससुराल वालों के साथ अनुकूलित होने की कोशिश की, लेकिन सच कहूं तो उन्हें ससुराल वालों के साथ रहने का अनुभव अजीब लगता है। शादी को अभी कुछ ही समय हुआ है इसलिए उन्हें अपने पति के बिना अकेलापन का अनुभव होता है।
यहां तक कि उन्हें एक बहू के रूप में अपनी जिम्मेदारियों की पहचान होने के कारण वे उन्हें समझती हैं। लेकिन वह अपने पति से अलग नहीं रहना चाहती हैं। अब आप बताएं, वह क्या कर सकती हैं?
एक्सपर्ट का जवाब
शादी के बाद जब यह महिला अपने पति के साथ न्यूजीलैंड जाने का सपना देखती थी, तो उसे सास-ससुर ने उस सपने को पूरा करने से रोक दिया। वे अपनी बेटी के बिना बहुत अकेले और तनहा महसूस कर रहे थे, इसलिए उन्हें बहू को भी अपने साथ रखने की इच्छा थी।
पति ने उसे समझाया कि वह जहां चाहे वहां रह सकती है, और उन्हें उसका पूरा सपोर्ट मिलेगा। लेकिन महिला के लिए उसके पति के साथ नहीं रहना असंभव था। वह अपने सास-ससुर के साथ एडजस्ट होने की कोशिश की, लेकिन उसे उनके साथ रहने में अजीब महसूस होता था।
महिला जानना चाहती थी कि वह क्या करे, क्योंकि उसे अपने पति से अलग नहीं रहना था। उसके दिल में उसके पति के प्रति प्यार था और वह उसके साथ ही रहना चाहती थी। वह चाहती थी कि उसके सास-ससुर उसे समझे और उसके साथ सहानुभूति करें।
एक मनोचिकित्सक के राय में, उसे यह ध्यान में रखना जरूरी था कि उसके पति के माता-पिता भी उसके लिए महत्वपूर्ण हैं और उन्हें भी उसके साथ वक्त बिताने की जरूरत है। उसे चाहिए था कि वह अपने सास-ससुर के साथ कुछ समय बिताए और उनके मन को समझे। उसे अपने पति के साथ वक्त बिताने के लिए भी उत्साहित होना चाहिए था और इस तरीके से वह अपने ससुराल वालों के साथ भी अधिक समझदारी से रह सकती थी।
वह यह समझ गई कि उसे अपने पति और सास-ससुर दोनों के बीच एक संतुलन बनाना होगा। उसे अपने पति के साथ न्यूजीलैंड जाने का सपना पूरा करने का प्लान बनाया, जहां उसे कुछ महीने अपने सास-ससुर के साथ रहने का समय बिताने का विचार था। वह जानना चाहती थी कि उसके सास-ससुर का भी उसके बिना समय कैसे बीत रहा है और उन्हें कैसे समर्थित किया जा सकता है।
महिला अपने योजना को अपने पति को समझाते हुए बताई और उनके साथ उनके ससुराल वालों के पास जाने का प्रस्ताव रखा। उनके पति ने भी उसे समर्थित किया और उसे अपने सास-ससुर के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया। इस तरह से, महिला ने अपने पति के साथ अपने सास-ससुर के साथ भी अधिक समझदारी से रहने का तरीका खोज निकाला।
धीरे-धीरे, उनके सास-ससुर ने उसे अपनी परिवार का हिस्सा मान लिया और उन्होंने उसे स्वीकार किया जैसे अपनी बेटी को स्वीकार किया होता है। उन्होंने उसे समर्थित किया और उसे अपने घर का हिस्सा माना। इस तरह, यह महिला अपने पति के साथ न्यूजीलैंड जा सकी और अपने सास-ससुर के साथ भी अधिक मेहनत से रहने का सामर्थ्य प्राप्त कर सकी।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। हर इंसान अपने जीवन में कई बड़े और छोटे फैसले लेने के सामने खड़ा होता है, लेकिन इन फैसलों को लेते समय अपने भावनाओं को समझना और दूसरों की भावनाओं को समझना भी बहुत महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें अच्छे और स्थायी संबंध बनाने में मदद मिलती है और उनका जीवन सुखी बनता है।