Viral News: क्या जिस्मानी जरूरत के लिए ही शादी जरूरी है ?, आप भी जानकर हो जाओगे हैरान

  1. Home
  2. VIRAL NEWS

Viral News: क्या जिस्मानी जरूरत के लिए ही शादी जरूरी है ?, आप भी जानकर हो जाओगे हैरान

cs


 

Viral News: बहुत सामयिक प्रश्न है,और इन्सान होने के नाते इस ज्वलंत प्रश्न के उत्तर पर गम्भीर होकर मनन करने की जरूरत है।

पहले शादी करने के पीछे की 'आम सोच' पर मनन करिये:—

1.  जिस्मानी जरूरत के लिये शादी,

2, दूसरा वंश व्रद्धि के लिये,

3, बुढ़ापे में एक सहारे/ पार्टनर की जरूरत ।

आइये अब बिन्दुवार विश्लेषण करते हैं....

1, जिस्मानी जरूरत जैसा कुछ नहीं:— शादी को जिस्मानी जरूरत बताने वाले जबाब दें कि जब 95% युवाओं को 29–30 की उम्र तक शादी न करने पर "जिस्मानी जरूरत की इमरजैन्सी" से दो- चार नहीं होना पड़ता,तो इस उम्र के बाद शादी के लिये कौन सी जिस्मानी जरूरत बाकी रह गई फिर? है कोई जबाब?

2, वंश वृद्धि के लिये शादी जरुरी बताने वाले जबाब दें कि क्या आज के युवा को अपने परदादा जी ( ग्रेट ग्रांड फादर) का नाम पता है? अगर नहीं,तो फिर कैसी वंश व्रद्धि ?

3, अब आइये बुढ़ापे में सहारे के लिये शादी की जरूरत के तर्क पर।आज देश में इन्सान की औसत आयु 60–65 वर्ष है।तब क्या गारंटी है कि पार्टनर 60 की उम्र के बाद भी साथ निभाए? अगर दोनों में से कोई एक गम्भीर रूप से बीमार हो जाए,तो बीमार पार्टनर की देखभाल का दबाब अलग से फेस करना होगा।

शादी के तीनों तर्क बेबुनियाद:

सीधी सी बात है शादी के लिये अमूमन जो तर्क दिये जाते हैं,वे ,सभी बेबुनियाद हैं,और शादी एक 'भेड़ चाल' के सिवाय कुछ नहीं।यानि आंखें बन्द कर सब करते चले जा रहे हैं,बस!

कोई यह नहीं सोच रहा कि शादी करके वह कुएँ में कूद रहा है।

पुराने जमाने से कहावत चली आ रही है-"शादी वो लड्डू है,जिसने भी खाया वो पछताया।"

जो चीज मिलती नहीं,लोग उसी के पीछे भागते हैं। 20–22 वर्ष के जिस युवक को आज लड़की में स्वर्ग की अप्सरा नज़र आ रही होती है,दो- चार साल बाद वही उससे उकता जाता है।

तो,आपका सवाल होना चाहिए था—" शादी क्यों नहीं करनी चाहिए?

जिन्दगी के हर झंझट की जड़ में शादी ही है।

शादी के 2–4 महीने बीते नहीं होते कि बीवी के फोन दफ्तर में ही आने लगेंगे कि "लेडी डॉक्टर को दिखाना है,शाम का एपोइंटमेंट लेकर आना ।"

यानि मैडम 'उम्मीद' से (प्रेग्नेंट) हैं,और अब उन्हें हफ्ते के हर तीसरे चौथे दिन लेडी डॉक्टर को दिखाना जरुरी है। 

तो ऐसे में शादी की लाईफ क्या खाक़ एन्जॉय करोगे?

नौ महीने बाद घर में किलकारी गूंजेगी,अच्छा जरुर लगेगा।मगर मानव शिशु को पालना कोई गुड़िया का खेल नहीं है।पूरा प्रोजेक्ट है जनाब?

बच्चों के बड़े होते होते पिता के हैंडसम चेहरे की रौनक उड़न छू हो चुकी होती है।अब पापा के चेहरे पर मकड़ी के जाले की मानिन्द चिंता की लकीरों का जाल नज़र आएगा।

अभी बच्चों को डॉक्टरी,इंजीनियरिंग पढ़नी है। एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च 40- 50 लाख के आसपास तय मानिये।

बड़े होते बच्चों की टू व्हीलर (बाईक,स्कूटी), महँगे मोबाईल, ब्रांडीड कपड़ों की फरमाइशें,बीवी की रोज-रोज मार्केट,मॉल में शॉपिंग की दौड़ पापा के बैंक बैलेंस को निचोड़ कर रख देने के लिये काफी हैं।

और अगर घर में ,ईश्वर न करे, किसी को गम्भीर (लाईलाज) बीमारी हो गई,तो फिर गई भैंस पानी में?

यानि शादी करके लाईफ एन्जॉय करना तो छोड़ो,इन्सान कोल्हू का बैल बन कर बुरी तरह पिस जाता है। शादी नून,तेल,खटाई का चक्रव्यूह जो ठहरा?

पहले जमाने की स्त्रियाँ शादी को आजीविका(दाल-रोटी) का जरिया मान शादी के बाद ताउम्र मुहँ पर ताला लगाए रहती थीं। अपने पति को ही सब कुछ मानती थीं।आजादी की बात का उनके लिये कोई मतलब नहीं होता था।इसलिये शादी जैसे तैसे निभ जाती थी।

मगर आज की लड़कियां एक पुरुष की ताउम्र गुलामी से छुटकारा पाने की हसरत, और आजाद जीवन जीने की चाहत रखती हैं। नई परिपाटी 'लिव- इन' इसका पुख्ता प्रमाण है।

यानि अब जमाना बदल चुका।अब जरुरी नहीं कि जिसे ब्याह कर लाए हो, वह पूरी जिन्दगी वफादार बनी रहे? शादी के दो-चार साल बाद 'हम-तुम-और वो' वाला कोई 'वो' बीच में अगर घुस आया ,तो फिजूल के टेंशन का एक लफड़ा अलग?

और अगर आपने उनके "वो" से अवैध रिश्ते को लेकर ज्यादा हाय-तौबा मचाई , तो वह पतली गली से खिसकने में देर भी नहीं लगाएगी ?

इधर,अनेक जॉब वाली लड़कियों ने अब एक नया राग और अलापना शुरु कर दिया है कि शादी के बाद वे ससुराल में जाकर नहीं रहेंगी? वे नये चलन ''ओपन मैरिज' को तवज्जो दे रही हैं, जिसमें लड़की शादी के बाद भी ससुराल जाकर नहीं रहती।

या ये आजाद ख्याल औरतें अपने शौहर के साथ एकल यूनिट में एकदम अलग रहना चाहती हैं। मगर शौहर के पेरेंट्स को ये सब हजम नहीं हो रहा।अब इसी बात पर घरों में झगड़े हो रहे हैं।

यानि शादी करने में लफड़े ही लफड़े हैं जनाब?

खुफिया सर्वे करा लो, 90%शादीशुदा पुरुष शादी करने की पैरवी कभी नहीं करेंगे, मगर सर्वे खुफिया ही होना चाहिए ?

कुंवारों को शादी का कड़वा तजुर्बा नहीं होता,इसलिये वे ओखली में सर डाल देते हैं।तैराकी न जानने वाले को पानी में कूदने का नतीजा डूब जाने पर ही पता चलता है न।

इसलिये शादी से पहले खूब सोच लो,समझ लो!

तो मुन्ना, जिन्हें ओखली में सर डालना हो, वे जरुर डालें, मगर अपुन तो अकेले रह कर ही खूब खुश हैं।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Around The Web

Uttar Pradesh

National