Rohtak News: HIV के साथ हेपेटाइटिस रोग का इलाज हुआ आसान, PGI ने ईजाद की नई दवा
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HIV के जिन मरीजों में हेपेटाइटिस सी भी पॉजिटिव पाया जाता है, उनका इलाज बहुत कठिन माना जाता था क्योंकि ऐसे मरीजों को HIV और हेपेटाइटिस से बचाव के लिए जो दवाएं दी जाती हैं वे एक-दूसरे के प्रभाव को कम करती थी लेकिन अब ऐसे लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर सामने आई है।
रोहतक PGI हेपेटोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने ऐसे मरीजों के इलाज में आ रही जटिलता को दूर करने के लिए दवाओं में बदलाव कर इलाज को और बेहतर करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
शोध में शामिल मरीजों में बदली गई दवा से बेहतर रिजल्ट सामने आने से इलाज भी आसान हो गया है। इस शोध को इंटरनेशनल जरनल ऑफ वायरल हेपेटाइटिस में 2023 में प्रकाशित किया गया है।
शोध के मुख्य लेखक हेपेटोलॉजी विभाग के प्रो. आर्का डे ने बताया कि हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) संक्रमण HIV- AIDS (पीएलएचए) से पीड़ित लोगों में अधिक पाया जाता है। यह खराब रोग का संकेत देता है।
इसके लिए किए गए फार्माकोकाइनेटिक अध्ययन के परिणाम वेलपटासविर और डोलटेग्रेविर के बीच महत्वपूर्ण अंतःक्रिया की अनुपस्थिति का सुझाव देते हैं। इसे हाल ही में WHO द्वारा भी प्रथम-पंक्ति एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के डोज के हिस्से के रूप में अनुशंसित किया गया है।
प्रो. आर्का डे का कहना है कि हालांकि डोल्यूटेगाविर लेने वाले पीएलएचए में वेलपटासविर आधारित डोज के उपयोग पर नैदानिक डेटा की कमी है। इसलिए पीजीआई ने डोलटेग्रेविर-आधारित एआरटी पर एचसीवी और एचआईवी से संक्रमित रोगियों में सोफोसबुविर और वेलपटासविर (एसओएफ और वीईएल) की प्रभावकारिता और सुरक्षा का आकलन करने का लक्ष्य रखा।
50 मरीजों को 12 सप्ताह दी गई दवा
इस शोध के दौरान दोनों बीमारियों से ग्रस्त 50 मरीजों को चिह्नित किया गया। उन सभी रोगियों का 12 सप्ताह तक एसओएफ और वीईएल उपचार किया गया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन मरीजों में हेमोग्राम, यकृत और गुर्दे के कार्य परीक्षणों का मूल्यांकन किया गया।
वहीं, 12 हफ्ते के बाद सतत वायरोलॉजिकल प्रतिक्रिया (एसवीआर) का भी मूल्यांकन किया गया। दोनों ही परिणाम संतोषजनक आए। पहले दी जाने वाली दवा के मुकाबले नई दवा से वायरस के खात्मे की प्रक्रिया तेज पाई गई। वहीं उससे मरीजों को कोई नुकसान भी नहीं हुआ।
डॉल्यूटेग्रेवर दवा का मुख्य काम
डॉल्यूटेग्रेवर यानि DTG एचआईवी मरीजों को अन्य दवाइयों के साथ दी जाती है। यह एचआईवी को ठीक तो नहीं करता लेकिन बीमारी से शरीर को होने वाले नुकसान व इसे फैलने से रोकता है।
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