हरियाणा में पूर्व कांग्रेस विधायक पर ED की बड़ी कार्रवाई, 44 करोड़ की संपत्ति कुर्क

गुरुग्राम जोनल कार्यालय की ED टीम ने पानीपत जिले की समालखा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक धर्म सिंह छोक्कर और उसके दोनों बेटे सिकंदर छोक्कर और विकास छोक्कर की कंपनियों मेसर्स साईं आइना फार्मर्स प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 44.55 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया है।
यह कार्रवाई ईडी की टीम ने पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 3700 से अधिक घर खरीदारों को धोखा देने और 500 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी के मामले में अस्थायी रूप से की है।
पिछले वर्ष ईडी ने कई बार पूर्व विधायक के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। विधायक धर्मसिंह छोक्कर और उनका बेटा विकास छोक्कर फरार है, जबकि सिकंदर छोकर जमानत पर है। ईडी की टीम द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों में दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और पानीपत में स्थित 13 अचल संपत्तियां शामिल हैं। इन संपत्तियों में करीब तीन एकड़ की कृषि भूमि, 2 हजार 487 वर्ग मीटर की व्यवसायिक भूमि और 8 आवासीय फ्लैट के अलावा विभिन्न व्यक्तियों से संबंधित लगभग 96 लाख रुपए की चल संपत्तियां, फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदें (एफडीआर) और बैंक खातों में धन के रूप में शामिल हैं।
ED, Gurugram Zonal office has provisionally attached assets worth Rs. 44.55 Crore on 26.03.2025 related to Dharam Singh Chhoker Ex MLA (absconding), Sikandar Chhoker (on bail) & Vikas Chhoker (absconding) & their companies M/s Sai Aaina Farms Pvt. Ltd. etc. under the provisions…
— ED (@dir_ed) March 27, 2025
इस मामले में माहिरा इंफोटेक, सीजर बिल्डवेल और माहिरा बिल्ड टेक ने गुरुग्राम के सेक्टर-68, सेक्टर-103 और सेक्टर-104 में मकान उपलब्ध कराने के वादे पर किफायती आवास योजना के तहत 3 हजार 700 से अधिक घर खरीदारों से लगभग 616.41 करोड़ रुपए एकत्र किए थे।
ये सभी कंपनियां पीड़ितों को मकान देने में विफल रहीं। जबकि, घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन को पूर्व विधायक और उनके बेटों ने अपने निजी फायदे के लिए पैसा डायवर्ट किया था।
उनके खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद धर्मसिंह छोक्कर और विकास कोर्ट में पेश नहीं हुए। नतीजतन, कोर्ट ने उन्हें 19 मई को पेश होने का निर्देश दिया है। ईडी ने गुरुग्राम पुलिस द्वारा साईं आइना फार्म्स और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की।