कृषि मंत्री ने दिए इन 13 जिलों के इन 686 गांवों को लेकर अधिकारियों को आदेश, देखें

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कृषि मंत्री ने दिए इन 13 जिलों के इन 686 गांवों को लेकर अधिकारियों को आदेश, देखें

Shyam Singh Rana


हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश की सेमग्रस्त एवं लवणीय भूमि को दुरुस्त करने के लिए कोई ठोस योजना बनाएं , किसानों के हित के लिए बजट की कमी नहीं रहने दी जाएगी।

श्याम सिंह राणा आज यहां कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।  इस अवसर पर उन्होंने सेम एवं लवणीय भूमि सुधार के लिए उठाए जा रहे क़दमों की समीक्षा की। बैठक में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजा शेखर वुंडरू , निदेशक श्री राजनारायण कौशिक के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

कृषि मंत्री ने विभाग के फ़ील्ड से आए वरिष्ठ अधिकारियों की ओर मुख़ातिब होते हुए कहा कि आप लोग किसानों के सीधे सम्पर्क में रहते हैं , किसानों से राय -मशविरा करके सेमग्रस्त और लवणीय भूमि को जल्दी से जल्दी ठीक करने के वर्तमान उपायों के अलावा अन्य उपायों पर भी विचार करें और सुझाव दें। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि जिन गांवों में पंचायती-भूमि सेम ग्रस्त है तो वहां पर पोंड बनाकर झींगा मछली के पालन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें। इससे जहां लवणीय पानी का प्रयोग हो सकेगा वहीं पंचायतों को अतिरिक्त आमदनी भी हो सकेगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सेमग्रस्त भूमि को ठीक करने के लिए अगर जिलावाइज योजना बनानी पड़े तो वह भी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में सेम की समस्या ज्यादा है वहां पर ड्रेन से पानी की निकासी करके भूमि सुधार के प्रयास करें।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा को इस अवसर पर अधिकारियों ने जानकारी दी कि प्रदेश के 13 जिलों के 686 गांव सेमग्रस्त हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की कृषि भूमि का 8 प्रतिशत यानि 9,82,731 एकड़ भूमि सेम से प्रभावित है। फिलहाल सिरसा और गुरुग्राम जिला को सेम मुक्त कर दिया गया है जबकि फतेहाबाद जिला को इस साल के अंत तक सेम मुक्त कर दिया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में भूमि को सेम और लवण से मुक्त करने के लिए "सब सर्फेस ड्रैनेज तकनीक" , "वर्टिकल ड्रैनेज तकनीक" अपनाई जाती है।  इनके अलावा , जैविक जल निकासी योजना के तहत ज्यादा पानी पीने वाले पेड़ सफेदा आदि लगाकर उक्त दोनों तकनीकों को प्रभावी बनाया जाता है तथा भूमि का सुधार जल्दी किया जाता है।

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