हरियाणा : रिश्वत केस में महिला HCS अधिकारी गिरफ्तार, 5 महीने से थीं फरार
हरियाणा में 1 लाख रुपए के रिश्वत केस में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने हरियाणा सिविल सर्विसिज (HCS) अधिकारी मीनाक्षी दहिया को गिरफ्तार कर लिया है। शुक्रवार देर रात उनकी गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को पंचकूला में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के आगे पेश किया गया। जिसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट न्यायालय ने रिश्वत के केस में HCS ऑफिसर मीनाक्षी दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि, प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता मीनाक्षी दहिया के साथ उनके रसोइए से 1 लाख रुपए की रिश्वत की वसूली के संबंध में सबूत मौजूद हैं, जिसे 29 मई को रंगे हाथों पकड़ा गया था। न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा था कि "पुलिस ने उससे रिश्वत की रकम बरामद की है।
इस मामले में सेवामुक्त जिला मत्स्य अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें सरकारी काम के बदले कथित तौर पर रिश्वत मांगने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
जस्टिस चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील "कोई भी सख्त शर्त" लगाकर जमानत की मांग कर रहे थे। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि आगे की सुनवाई से पहले की कैद याचिकाकर्ता और उनके परिवार के साथ अपरिवर्तनीय अन्याय का कारण बनेगी।
न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया था और तर्क दिया था कि अपराध में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को बरामद करने के लिए याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है।
इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट न्यायालय ने रिश्वत के केस में HCS ऑफिसर मीनाक्षी दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि, प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता मीनाक्षी दहिया के साथ उनके रसोइए से 1 लाख रुपए की रिश्वत की वसूली के संबंध में सबूत मौजूद हैं, जिसे 29 मई को रंगे हाथों पकड़ा गया था। न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा था कि "पुलिस ने उससे रिश्वत की रकम बरामद की है।
इस मामले में सेवामुक्त जिला मत्स्य अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें सरकारी काम के बदले कथित तौर पर रिश्वत मांगने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
जस्टिस चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील "कोई भी सख्त शर्त" लगाकर जमानत की मांग कर रहे थे। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि आगे की सुनवाई से पहले की कैद याचिकाकर्ता और उनके परिवार के साथ अपरिवर्तनीय अन्याय का कारण बनेगी।
न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया था और तर्क दिया था कि अपराध में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को बरामद करने के लिए याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है।