उत्तर प्रदेश : राहुल गाँधी ने मोची को भिजवाई सिलाई मशीन , मोची ने भी भिजवाए जूते , बोले वादा किया पूरा
राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के मोची राम चैत के लिए शनिवार, 27 जुलाई को एक सिलाई मशीन और आर्थिक मदद भेजी। लखनऊ से कांग्रेस पार्टी की टीम उनकी दुकान पर पहुंची। उन्हें सिलाई मशीन गिफ्ट की। राम चैत ने टीम का आभार जताया और राहुल को अपने बनाए 2 जोड़ी जूते भेजे।
राहुल 26 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह मानहानि केस में सुल्तानपुर कोर्ट पहुंचे थे। लौटते वक्त राहुल ने अचानक काफिला मोची राम चैत की दुकान पर रुकवा लिया। गाड़ी से उतरकर राहुल राम चैत की दुकान पर पहुंचे। चप्पल की सिलाई की। उनसे पूछा कि जूते कैसे बनाते हो। करीब 5 मिनट तक राम चैत से बातचीत के बाद राहुल वहां से निकल गए थे। राम चैत ने राहुल से कहा था- 'मैं गरीब हूं। थोड़ी मदद कीजिए।'
राम चैत ने बताया, 'हमें बहुत खुशी है कि उन्होंने जो वादा किया, वो पूरा कर दिया। बहुत जल्दी हमें गिफ्ट भिजवा दिया। ये बहुत बड़ा काम किया है। कल वो अचानक मेरी दुकान के सामने खड़े हो गए। हमारे पास आकर बैठ गए। हमसे दुकान के बारे में पूछने लगे। जूतों की जानकारी लेने लगे।'
पूछा कि आप कैसे जूते बनाते हो, सिलाई कैसे करते हो। हमने कहा, साहब हम कूड़ेभार से सिलवाकर लाते हैं। यहां साइज और फिटिंग करके बेचते हैं। जिस वक्त राहुल जी आए उस वक्त हम चप्पल सिल रहे थे। हम काम छोड़कर उनके स्वागत में लग गए। मेरी सिलाई देखकर वो बोले- लाओ हम भी सिलते हैं। इस सिलाई मशीन से अब काम जल्दी होंगे। पहले हम सुबह से दोपहर तक एक जोड़ी जूता बनाते थे। अब हम 10 जोड़ी बनाएंगे।'
राहुल 26 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह मानहानि केस में सुल्तानपुर कोर्ट पहुंचे थे। लौटते वक्त राहुल ने अचानक काफिला मोची राम चैत की दुकान पर रुकवा लिया। गाड़ी से उतरकर राहुल राम चैत की दुकान पर पहुंचे। चप्पल की सिलाई की। उनसे पूछा कि जूते कैसे बनाते हो। करीब 5 मिनट तक राम चैत से बातचीत के बाद राहुल वहां से निकल गए थे। राम चैत ने राहुल से कहा था- 'मैं गरीब हूं। थोड़ी मदद कीजिए।'
राम चैत ने बताया, 'हमें बहुत खुशी है कि उन्होंने जो वादा किया, वो पूरा कर दिया। बहुत जल्दी हमें गिफ्ट भिजवा दिया। ये बहुत बड़ा काम किया है। कल वो अचानक मेरी दुकान के सामने खड़े हो गए। हमारे पास आकर बैठ गए। हमसे दुकान के बारे में पूछने लगे। जूतों की जानकारी लेने लगे।'
पूछा कि आप कैसे जूते बनाते हो, सिलाई कैसे करते हो। हमने कहा, साहब हम कूड़ेभार से सिलवाकर लाते हैं। यहां साइज और फिटिंग करके बेचते हैं। जिस वक्त राहुल जी आए उस वक्त हम चप्पल सिल रहे थे। हम काम छोड़कर उनके स्वागत में लग गए। मेरी सिलाई देखकर वो बोले- लाओ हम भी सिलते हैं। इस सिलाई मशीन से अब काम जल्दी होंगे। पहले हम सुबह से दोपहर तक एक जोड़ी जूता बनाते थे। अब हम 10 जोड़ी बनाएंगे।'